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क्या है दांडी मार्च दिवस, स्वतंत्रता के आंदोलन में क्या है इसकी अहमियत

Dandi March Day : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई महान विभूतियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलनों को अंजाम दिया. इनमें से एक प्रमुख आंदोलन में नमक सत्याग्रह है. इसके लिए जो दांडी नामक गांव तक जो मार्च निकाला गया था, उसे दांडी मार्च कहा जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 11, 2024, 11:00 AM IST

हैदराबाद : आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने शोषण के लिए कई तरह कानूनों और आदेशों के माध्यम से जमकर शोषण किया था. इसका विरोध करने पर विभिन्न तरह से लोगों को प्रताड़ित करते थे. हवा, पानी के बाद नमक सदा से सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है. देश के भीतर समुद्र किनारे पाये जाने वाले नमक के प्रोसेसिंग और व्यापार नियंत्रित करना प्रारंभ कर दिया. इसके विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन किया.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

नमक पर कर के खिलाफ महात्मा गांधी का यह आंदोलन गुजरात के साबरमती आश्रम से प्रारंभ हुआ. वहां से 385 किलोमीटर दूर नवसारी जिले के दांडी नामक गांव में समुद्र किनारे पहुंचा और गांधी जी के नेतृत्व में लोगों ने नमक अधिनियम को तोड़ा. दांडी यात्रा में 78 लोग शामिल थे. दांडी मार्च 24 दिवसीय था. 12 मार्च से 05 अप्रैल 1930 तक चले इस आंदोलन ने अंग्रेजों को अंततः दमनात्मक नमक कानून को वापस लेना पड़ा.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

अहमदाबाद में 8 मार्च को एक विशाल सभा को संबोधित किया. इस दौरान भारी भीड़ के बीच गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने के अपने फैसले के बारे में घोषणा की. सभा को संबोधित करते उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए पूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम और पहला कदम है. दांडी में नमक कानून तोड़ा जाएगा.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

क्या हुआ था दांडी में
5 अप्रैल को महत्मा गांधी बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ दांडी पहुंच गये थे. अगले दिन यानि 6 अप्रैल 1930 को सुबह-सुबह वह बड़ी संख्या में पदयात्रियों के साथ दांडी में समुद्र किनारे पहुंचे. यह उन्होंने एक छोटे से गड्ढे में पड़े प्राकृतिक नमक को मुट्ठी में उठाकर द साल्ट एक्ट 1882 के तहत देश के भीतर नमक पर लाये गये प्रतिबंधों को चुनौती दे दिया.

लोगों के बीच दांडी मार्च की लोक प्रियता ने ब्रतानी हुकूमत को हिला दिया. पहले जहां सरकार ने इसे हल्के में लिया, वहीं बाद में इस आंदोलन को दबाने के लिए हर संभव उपाय किया. रिपोर्ट्स के अनुसार 31 मार्च 1930 तक देश में 95000 के करीब लोगों को गिरफ्तार किया.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

क्या है नमक कानून
द साल्ट एक्ट 1882, जिसे नमक अधिनियम 1982 के नाम से जाना जाता है. इस अधिनियम से ब्रतानी हुकूमत को नमक की प्रोसेसिंग और बिक्री का एकाधिकार मिल गया. भारत में कई जगहों पर समुद्र किनारे पहले से मुफ्त में नमक उपलब्ध था, इसके बावजूद अंग्रेजी हुकूमत ने नमक पर अपना एकाधिकार जताते हुए लोगों को बलपूर्वक नमक खरीदने के लिए मजबूर किया. एक प्रकार से कहें तो नमक पर कर लगाया गया. इसको को लेकर पूरे देश में लोगों में आक्रोश था. इसके बाद गांधी जी ने निर्णय लिया किया. गांधी जी ने फैसला किया कि यदि कोई एक उत्पाद है जिसके माध्यम से सविनज्ञ अवज्ञा आंदोलन किया जा सकता है तो वह नमक है.

ये भी पढ़ें - International Day of Non-Violence : क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, क्या है गांधी से संबंध

हैदराबाद : आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने शोषण के लिए कई तरह कानूनों और आदेशों के माध्यम से जमकर शोषण किया था. इसका विरोध करने पर विभिन्न तरह से लोगों को प्रताड़ित करते थे. हवा, पानी के बाद नमक सदा से सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है. देश के भीतर समुद्र किनारे पाये जाने वाले नमक के प्रोसेसिंग और व्यापार नियंत्रित करना प्रारंभ कर दिया. इसके विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन किया.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

नमक पर कर के खिलाफ महात्मा गांधी का यह आंदोलन गुजरात के साबरमती आश्रम से प्रारंभ हुआ. वहां से 385 किलोमीटर दूर नवसारी जिले के दांडी नामक गांव में समुद्र किनारे पहुंचा और गांधी जी के नेतृत्व में लोगों ने नमक अधिनियम को तोड़ा. दांडी यात्रा में 78 लोग शामिल थे. दांडी मार्च 24 दिवसीय था. 12 मार्च से 05 अप्रैल 1930 तक चले इस आंदोलन ने अंग्रेजों को अंततः दमनात्मक नमक कानून को वापस लेना पड़ा.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

अहमदाबाद में 8 मार्च को एक विशाल सभा को संबोधित किया. इस दौरान भारी भीड़ के बीच गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने के अपने फैसले के बारे में घोषणा की. सभा को संबोधित करते उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए पूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम और पहला कदम है. दांडी में नमक कानून तोड़ा जाएगा.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

क्या हुआ था दांडी में
5 अप्रैल को महत्मा गांधी बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ दांडी पहुंच गये थे. अगले दिन यानि 6 अप्रैल 1930 को सुबह-सुबह वह बड़ी संख्या में पदयात्रियों के साथ दांडी में समुद्र किनारे पहुंचे. यह उन्होंने एक छोटे से गड्ढे में पड़े प्राकृतिक नमक को मुट्ठी में उठाकर द साल्ट एक्ट 1882 के तहत देश के भीतर नमक पर लाये गये प्रतिबंधों को चुनौती दे दिया.

लोगों के बीच दांडी मार्च की लोक प्रियता ने ब्रतानी हुकूमत को हिला दिया. पहले जहां सरकार ने इसे हल्के में लिया, वहीं बाद में इस आंदोलन को दबाने के लिए हर संभव उपाय किया. रिपोर्ट्स के अनुसार 31 मार्च 1930 तक देश में 95000 के करीब लोगों को गिरफ्तार किया.

Mahatma Gandhi Dandi March
दांडी मार्च दिवस

क्या है नमक कानून
द साल्ट एक्ट 1882, जिसे नमक अधिनियम 1982 के नाम से जाना जाता है. इस अधिनियम से ब्रतानी हुकूमत को नमक की प्रोसेसिंग और बिक्री का एकाधिकार मिल गया. भारत में कई जगहों पर समुद्र किनारे पहले से मुफ्त में नमक उपलब्ध था, इसके बावजूद अंग्रेजी हुकूमत ने नमक पर अपना एकाधिकार जताते हुए लोगों को बलपूर्वक नमक खरीदने के लिए मजबूर किया. एक प्रकार से कहें तो नमक पर कर लगाया गया. इसको को लेकर पूरे देश में लोगों में आक्रोश था. इसके बाद गांधी जी ने निर्णय लिया किया. गांधी जी ने फैसला किया कि यदि कोई एक उत्पाद है जिसके माध्यम से सविनज्ञ अवज्ञा आंदोलन किया जा सकता है तो वह नमक है.

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