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₹150 किलो बिकता है इस गेहूं का आटा, औषधीय गुणों से भरपूर, खेती से होगी तगड़ी कमाई - Traditional Variety of Wheat

Khapli Wheat Cultivation : गया में गेहूं की दो ऐसी पारंपरिक किस्मों की खेती हो रही है, जो कई गंभीर बीमारियों में रामबाण मानी जाती है. 2000 साल पुरानी वैरायटी की खपली और मोती दाना गेहूं का आटा सामान्य आटे से 5 गुना महंगा मिलता है. यहां जानिए आखिर क्यों है ये गेहूं इतना खास. आगे पढ़ें पूरी खबर.

गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती
गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 14, 2024, 1:01 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 4:43 PM IST

गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती

गया: बिहार के गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. यह गेहूं की वैरायटी 2000 साल पुरानी है. खास बात यह है कि ये बिना खाद के तैयार हो जाती है. खपली गेहूं के आटे का मार्केट वैल्यू भी ज्यादा है. वहीं, मोती दाना गेहूं का आटा भी सामान्य आटे से ज्यादा महंगा बिकता है.

सामान्य आटे से ज्यादा है कीमत: खपली गेहूं का आटा 150 और मोती दाना का आटा 100 से 120 रुपए किलो तक बिकता है. बड़ी बात यह है इस गेहूं के आटे से बुढ़ापे के असर को एक हद तक कम किया जा सकता है. वहीं ये कई बीमारियों में फायदेमंद साबित होता है. गया जिले के जयगीर अंतर्गत अंजनिया टांड़ गांव में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. किसान गोविंद प्रजापत गेहूं की खपली और मोती दाना किस्म की खेती कर रहे हैं. इन्होंने ढाई कट्ठे में खपली गेहूं की खेती शुरू की है.

गया में किसानों ने लगाई खपली और मोती दाना गेहूं
गया में किसानों ने लगाई खपली और मोती दाना गेहूं

खपली और मोती दाना गेंहू की बढ़ी डिमांड: गोविंद प्रजापत ने 10 कट्ठे में मोती दाना गेहूं भी लगाया है. इन पुरानी वैरायटी के गेहूं का ग्रोथ काफी है. वहीं दूसरी ओर इस गेहूं के कई फायदे सेहत से जुड़े हैं. यही वजह है कि मार्केट में खपली और मोती दाना गेहूं की डिमांड है. गेहूं के इन किस्म की पैदावार होते ही इसकी बिक्री हो जाती है.

किसानों को हो रहा मुनाफा: बाजार में सामान्य आटा औसतन 30 रुपये किलो बिकता है लेकिन खपली गेहूं का आटा 150 रुपये किलो है. वहीं मोती दाना का आटा 80 से 120 रुपये किलो बिक रहा है. गोविंद ने पहली बार इसकी खेती की है, जो उसके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. सामान्य आटा जहां 3000 रुपये क्विंटल बिकता है, वहीं खपली गेहूं का आटा 15000 रुपये क्विंटल तो मोती दाना का आटा 10000 से 12000 रुपये क्विंटल तक बिकता है.

खेती से होगी तगड़ी कमाई
खेती से होगी तगड़ी कमाई

खर्च हजारों में और कमाई लाखों की: खपली और मोती दाना गेहूं की खेती काफी आसान है. जैविक खाद से इसका ग्रोथ काफी हो जाता है. वैसे यह बिना खाद के भी तैयार हो जाता है. खपली और मोती दाना गेहूं की खेती में खर्च काफी काम आता है. इस पर खर्च हजारों में ही आता है लेकिन कमाई लाखों में हो जाती है. किसान गोविंद प्रजापत इसकी खेती कर रहे हैं. इन्होंने पहली बार इसकी खेती लगाई है, लेकिन आने वाले दिनों में कई एकड़ों में इसकी खेती करेंगे.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है सपना: गोविंद प्रजापत बताते हैं कि वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम खपली या मोती दाना गेहूं का पैदावार कर सकते हैं. इसकी काफी ग्रोथ होती है. इसमें थोड़ी मेहनत कर वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम गेहूं का उत्पादन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लेंगे.गोविंद प्रजापत के अनुसार आज के परिवेश में ज्यादातर लोग बीमार हैं. ऐसे में खपली और मोती दाना गेहूं का आटा काफी फायदे वाला साबित होता है. यही वजह है, कि खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बिक जाता है, उन्हें इसके ऑर्डर आ चुके हैं.

इस गेहूं के हैं कई फायदे: यह हृदय समेत कई रोगों में फायदेमंद है. किसान ने बताया कि उन्हें कृषि मेला में थोड़ा सा बीज मिला था. इसके बाद उस थोड़े से बीज को लगाया और अब उनके पास काफी हो चुका है. इस तरह उन्हें खपली और मोती दाना गेहूं के बीज दूसरे जगह से मंंगाने की जरूरत नहीं है. इस बार जब पैदावार होगी तो और बीजों का स्टॉक बढ़ जाएगा. दो से ढाई महीने में यह फसल तैयार हो जाती है.

"ढाई कट्ठे में खपली गेहूं की खेती कर रहे हैं. यह दोनों गेहूं की वैरायटी काफी ग्रोथ वाली है. खपली गेहूं का आटा जहां 150 रुपये किलो तक बिकता है. वहीं मोती दाना गेहूं का आटा 80 से 120 रुपये किलो बिकता है. खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बिक जाता है, मुझे इसके ऑर्डर आ चुके हैं."-गोविंद प्रजापत, किसान

2000 साल पुरानी है वैरायटी: इस संबंध में पीजी डिपार्मेंट आफ बॉटनी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि खपली और मोती दाना गेहूं की किस्म 2000 साल पुरानी है. यह बिना खाद के तैयार हो जाती है. इसका मार्केट वैल्यूएशन काफी होता है. सामान्य तौर पर जहां आटा 20 से 40 रुपए किलो तक में मिलता है. वहीं खपली और मोती दाना गेहूं का आता 100 रुपये से अधिक में बिक जाता है. यह थोड़ी अलग किस्म की होती हैं.

अनोखे रंग के साथ इस आटे के कई गुण: डॉक्टर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि खपली और मोती दाना गेहूं का आटा लाल रंग का होता है. इसके फायदे इतने हैं, कि जानकर हैरान रह जाएंगे. यह बताते हैं कि इसके आटे का न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी है. गैलेक्सी मिक्स इंडेक्स लो होता है, जिससे कार्डियो, डायबिटीज के पेसेंट के लिए ये फायदेमंद साबित होता है. इससे ब्लड शुगर हाई नहीं होता है, पाचन तंत्र के लिए यह काफी अच्छा है. इसमें फाइबर काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.

"इसमें विटामिन B3 और फोलिक एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है, जो दिल और मस्तिष्क के लिए प्रचुर विटामिन के रूप काम करता है. बुढ़ापे की प्रक्रिया को यह कम करता है, वहीं सेल्स को तंदुरुस्त रखता है. यही वजह है कि इसका मार्केट वैल्यूएशन काफी है. खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बाजारों में बिक जाता है. इसके फायदे को लेकर इसकी मार्केट वैल्यू बढ़ती जा रही है."-डॉ. अमित कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय गया

पढ़ें-गया के इस अस्पताल में बना है हर्बल गार्डन, 100 से अधिक औषधीय प्रजातियों के पौधे, जानिए इसके फायदे

गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती

गया: बिहार के गया में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. यह गेहूं की वैरायटी 2000 साल पुरानी है. खास बात यह है कि ये बिना खाद के तैयार हो जाती है. खपली गेहूं के आटे का मार्केट वैल्यू भी ज्यादा है. वहीं, मोती दाना गेहूं का आटा भी सामान्य आटे से ज्यादा महंगा बिकता है.

सामान्य आटे से ज्यादा है कीमत: खपली गेहूं का आटा 150 और मोती दाना का आटा 100 से 120 रुपए किलो तक बिकता है. बड़ी बात यह है इस गेहूं के आटे से बुढ़ापे के असर को एक हद तक कम किया जा सकता है. वहीं ये कई बीमारियों में फायदेमंद साबित होता है. गया जिले के जयगीर अंतर्गत अंजनिया टांड़ गांव में खपली और मोती दाना गेहूं की खेती हो रही है. किसान गोविंद प्रजापत गेहूं की खपली और मोती दाना किस्म की खेती कर रहे हैं. इन्होंने ढाई कट्ठे में खपली गेहूं की खेती शुरू की है.

गया में किसानों ने लगाई खपली और मोती दाना गेहूं
गया में किसानों ने लगाई खपली और मोती दाना गेहूं

खपली और मोती दाना गेंहू की बढ़ी डिमांड: गोविंद प्रजापत ने 10 कट्ठे में मोती दाना गेहूं भी लगाया है. इन पुरानी वैरायटी के गेहूं का ग्रोथ काफी है. वहीं दूसरी ओर इस गेहूं के कई फायदे सेहत से जुड़े हैं. यही वजह है कि मार्केट में खपली और मोती दाना गेहूं की डिमांड है. गेहूं के इन किस्म की पैदावार होते ही इसकी बिक्री हो जाती है.

किसानों को हो रहा मुनाफा: बाजार में सामान्य आटा औसतन 30 रुपये किलो बिकता है लेकिन खपली गेहूं का आटा 150 रुपये किलो है. वहीं मोती दाना का आटा 80 से 120 रुपये किलो बिक रहा है. गोविंद ने पहली बार इसकी खेती की है, जो उसके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. सामान्य आटा जहां 3000 रुपये क्विंटल बिकता है, वहीं खपली गेहूं का आटा 15000 रुपये क्विंटल तो मोती दाना का आटा 10000 से 12000 रुपये क्विंटल तक बिकता है.

खेती से होगी तगड़ी कमाई
खेती से होगी तगड़ी कमाई

खर्च हजारों में और कमाई लाखों की: खपली और मोती दाना गेहूं की खेती काफी आसान है. जैविक खाद से इसका ग्रोथ काफी हो जाता है. वैसे यह बिना खाद के भी तैयार हो जाता है. खपली और मोती दाना गेहूं की खेती में खर्च काफी काम आता है. इस पर खर्च हजारों में ही आता है लेकिन कमाई लाखों में हो जाती है. किसान गोविंद प्रजापत इसकी खेती कर रहे हैं. इन्होंने पहली बार इसकी खेती लगाई है, लेकिन आने वाले दिनों में कई एकड़ों में इसकी खेती करेंगे.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड है सपना: गोविंद प्रजापत बताते हैं कि वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम खपली या मोती दाना गेहूं का पैदावार कर सकते हैं. इसकी काफी ग्रोथ होती है. इसमें थोड़ी मेहनत कर वह एक कट्ठा में 167 किलोग्राम गेहूं का उत्पादन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लेंगे.गोविंद प्रजापत के अनुसार आज के परिवेश में ज्यादातर लोग बीमार हैं. ऐसे में खपली और मोती दाना गेहूं का आटा काफी फायदे वाला साबित होता है. यही वजह है, कि खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बिक जाता है, उन्हें इसके ऑर्डर आ चुके हैं.

इस गेहूं के हैं कई फायदे: यह हृदय समेत कई रोगों में फायदेमंद है. किसान ने बताया कि उन्हें कृषि मेला में थोड़ा सा बीज मिला था. इसके बाद उस थोड़े से बीज को लगाया और अब उनके पास काफी हो चुका है. इस तरह उन्हें खपली और मोती दाना गेहूं के बीज दूसरे जगह से मंंगाने की जरूरत नहीं है. इस बार जब पैदावार होगी तो और बीजों का स्टॉक बढ़ जाएगा. दो से ढाई महीने में यह फसल तैयार हो जाती है.

"ढाई कट्ठे में खपली गेहूं की खेती कर रहे हैं. यह दोनों गेहूं की वैरायटी काफी ग्रोथ वाली है. खपली गेहूं का आटा जहां 150 रुपये किलो तक बिकता है. वहीं मोती दाना गेहूं का आटा 80 से 120 रुपये किलो बिकता है. खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बिक जाता है, मुझे इसके ऑर्डर आ चुके हैं."-गोविंद प्रजापत, किसान

2000 साल पुरानी है वैरायटी: इस संबंध में पीजी डिपार्मेंट आफ बॉटनी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि खपली और मोती दाना गेहूं की किस्म 2000 साल पुरानी है. यह बिना खाद के तैयार हो जाती है. इसका मार्केट वैल्यूएशन काफी होता है. सामान्य तौर पर जहां आटा 20 से 40 रुपए किलो तक में मिलता है. वहीं खपली और मोती दाना गेहूं का आता 100 रुपये से अधिक में बिक जाता है. यह थोड़ी अलग किस्म की होती हैं.

अनोखे रंग के साथ इस आटे के कई गुण: डॉक्टर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि खपली और मोती दाना गेहूं का आटा लाल रंग का होता है. इसके फायदे इतने हैं, कि जानकर हैरान रह जाएंगे. यह बताते हैं कि इसके आटे का न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी है. गैलेक्सी मिक्स इंडेक्स लो होता है, जिससे कार्डियो, डायबिटीज के पेसेंट के लिए ये फायदेमंद साबित होता है. इससे ब्लड शुगर हाई नहीं होता है, पाचन तंत्र के लिए यह काफी अच्छा है. इसमें फाइबर काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.

"इसमें विटामिन B3 और फोलिक एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है, जो दिल और मस्तिष्क के लिए प्रचुर विटामिन के रूप काम करता है. बुढ़ापे की प्रक्रिया को यह कम करता है, वहीं सेल्स को तंदुरुस्त रखता है. यही वजह है कि इसका मार्केट वैल्यूएशन काफी है. खपली और मोती दाना गेहूं का आटा तुरंत बाजारों में बिक जाता है. इसके फायदे को लेकर इसकी मार्केट वैल्यू बढ़ती जा रही है."-डॉ. अमित कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय गया

पढ़ें-गया के इस अस्पताल में बना है हर्बल गार्डन, 100 से अधिक औषधीय प्रजातियों के पौधे, जानिए इसके फायदे

Last Updated : Mar 14, 2024, 4:43 PM IST
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