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जगन्नाथ मंदिर की दीवार में दरारें, पुरातत्व विभाग से मांगी मदद

ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर को घेरने वाली प्रतिष्ठित चारदीवारी पर दिख रही दरारों पर भक्तों और सेवादारों ने चिंता व्यक्त की है.

जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2024, 4:38 PM IST

भुवनेश्वर: ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर को घेरने वाली प्रतिष्ठित चारदीवारी पर कई दरारें दिखाई दी हैं, जिससे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, ओडिशा सरकार ने दरारों की मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सहायता मांगी है.

रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के अंदर भोजन प्रसाद के लिए मशहूर आनंदबाजार का अपशिष्ट जल मेघनाद पचेरी की दरारों से रिस रहा है, जिससे 12वीं सदी की संरचना को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा दीवार के कुछ हिस्सों में शैवाल के धब्बे फैल गए हैं, जो लगातार नमी और आगे की गिरावट का संकेत देते हैं.

दीवार की स्थिति को लेकर चिंता
भक्तों और सेवादारों ने दीवार की स्थिति को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है और इसकी तत्काल मरम्मत पर जोर दिया है. चूंकि ये दरारें धीरे-धीरे संरचना को कमजोर कर रही हैं. श्रीमंदिर मंदिर प्रशासन (SJTA) के प्रमुख अरविंद पाढी ने मौजूदा स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की.

एसजेटीए ने जल रिसाव की चिंताओं के बीच मेघनाद सीमा दीवार (मेघंद पचेरी) पर सफाई का काम शुरू कर दिया है. वहीं, मंदिर प्रशासन ने मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

आगे की क्षति को रोकने के लिए सहयोग की उम्मीद
विरासत संरक्षणवादियों ने विस्तृत मूल्यांकन और बहाली उपायों को तुरंत शुरू करने का आग्रह किया है. उन्हें राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन से उम्मीद है कि वह आगे की क्षति को रोकने और ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के इस महत्वपूर्ण हिस्से के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना पर सहयोग करेंगे.

यह भी पढ़ें- UP, केरल और पंजाब विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव, चुनाव आयोग ने किया ऐलान, अब इस दिन होगी वोटिंग

भुवनेश्वर: ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर को घेरने वाली प्रतिष्ठित चारदीवारी पर कई दरारें दिखाई दी हैं, जिससे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, ओडिशा सरकार ने दरारों की मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सहायता मांगी है.

रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के अंदर भोजन प्रसाद के लिए मशहूर आनंदबाजार का अपशिष्ट जल मेघनाद पचेरी की दरारों से रिस रहा है, जिससे 12वीं सदी की संरचना को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा दीवार के कुछ हिस्सों में शैवाल के धब्बे फैल गए हैं, जो लगातार नमी और आगे की गिरावट का संकेत देते हैं.

दीवार की स्थिति को लेकर चिंता
भक्तों और सेवादारों ने दीवार की स्थिति को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है और इसकी तत्काल मरम्मत पर जोर दिया है. चूंकि ये दरारें धीरे-धीरे संरचना को कमजोर कर रही हैं. श्रीमंदिर मंदिर प्रशासन (SJTA) के प्रमुख अरविंद पाढी ने मौजूदा स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की.

एसजेटीए ने जल रिसाव की चिंताओं के बीच मेघनाद सीमा दीवार (मेघंद पचेरी) पर सफाई का काम शुरू कर दिया है. वहीं, मंदिर प्रशासन ने मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

आगे की क्षति को रोकने के लिए सहयोग की उम्मीद
विरासत संरक्षणवादियों ने विस्तृत मूल्यांकन और बहाली उपायों को तुरंत शुरू करने का आग्रह किया है. उन्हें राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन से उम्मीद है कि वह आगे की क्षति को रोकने और ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के इस महत्वपूर्ण हिस्से के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना पर सहयोग करेंगे.

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