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JDU-TDP पर दबाव बनाने की तैयारी में कांग्रेस, बिहार-आंध्र को विशेष दर्जे का मुद्दा उठाएगी - Congress To Target JDU TDP

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By Amit Agnihotri

Published : Jun 29, 2024, 7:47 PM IST

कांग्रेस आने वाले समय में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को मुद्दा बनाने की ताक में है. पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाली एनडीए सरकार में अहम घटक दल जेडीयू और टीडीपी को अपने राज्यों के कल्याण के लिए इसकी मांग करनी चाहिए.

Congress to target BJP, allies JD-U, TDP over special status for Bihar and Andhra Pradesh
राहुल गांधी (ANI)

नई दिल्ली: कांग्रेस जहां संसद में एनडीए पर निशाना साध रही, वहीं बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे के मुद्दे पर अब भाजपा के सहयोगी दलों जेडीयू और टीडीपी को घेरने की योजना बना रही है. पिछले कई वर्षों से दोनों राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जेडीयू और टीडीपी के प्रमुख भागीदार बनने के बाद इस मुद्दे की चर्चा तेज हो गई है. बिहार में जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में टीडीपी आंध्र प्रदेश में सत्ता में आई है.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी जुलाई में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश होने से पहले एनडीए के दोनों सहयोगियों के साथ-साथ भाजपा पर जनता का दबाव बनाने के लिए संसद के साथ-साथ संबंधित राज्यों में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे का मुद्दा उठाएगी.

बिहार के सासाराम से कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं. अब वो एनडीए सरकार के एक महत्वपूर्ण घटक हैं. नीतीश वास्तव में भाजपा को सत्ता में बने रहने में मदद कर रहे हैं. बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए यह सबसे सही समय है. नीतीश कुमार सरकार को इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसे जल्द से जल्द केंद्र को भेजना चाहिए. मैं इस मामले को लोकसभा में उठाऊंगा. हमारी पार्टी बिहार विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाएगी.

बिहार की गिनती देश के पिछड़ा राज्यों में होती है और विशेष दर्जे से राज्य को काफी फायदा होगा, क्योंकि इससे राज्य को बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी और केंद्रीय धन का प्रवाह बढ़ेगा, जिसका इस्तेमाल विकास को तेज करने के लिए किया जा सकता है.

बिहार की तरह विशेष दर्जे का मुद्दा आंध्र प्रदेश के लोगों के बीच चर्चा का केंद्र रहा है, जो 2014 में तेलंगाना के अलग होने के बाद से केंद्रीय आवंटन का इंतजार कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव मणिकम टैगोर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पिछली राज्य सरकारों को केंद्र से वह मंजूरी नहीं मिल सकी थी. इसलिए, हमने विधानसभा चुनाव से पहले इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था और कहा था कि अगर केंद्र में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो आंध्र के लिए विशेष दर्जा दिया जाएगा. हम इस मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध हैं.

तमिलनाडु के विरुधुनगर से सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि अब लोगों को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से बहुत उम्मीदें हैं, जिनके पीएम मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं. नायडू ने पहले विशेष दर्जे के मुद्दे पर एनडीए को छोड़ा था. देखते हैं कि अब वह क्या करते हैं.

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा पिछली यूपीए सरकार ने दक्षिणी राज्य को मुआवजा देने के लिए किया था. लेकिन 2014 में यूपीए के सत्ता से बाहर होने और पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से यह मुद्दा लंबित है.

कांग्रेस (एआईसीसी) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि एनडीए के सहयोगी दलों को भाजपा के सामने अपने राज्य के लोगों की उम्मीदों को रखना चाहिए. अगर उन्हें केंद्र सरकार से कोई समर्थन नहीं मिलता है, तो लोग निराश होंगे. हम विपक्ष के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों को याद दिलाते रहेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- डीके शिवकुमार ने कांग्रेस नेताओं से कहा, 'मुंह बंद रखें नहीं तो...' कर्नाटक में CM, डिप्टी सीएम को लेकर जंग!

नई दिल्ली: कांग्रेस जहां संसद में एनडीए पर निशाना साध रही, वहीं बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे के मुद्दे पर अब भाजपा के सहयोगी दलों जेडीयू और टीडीपी को घेरने की योजना बना रही है. पिछले कई वर्षों से दोनों राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जेडीयू और टीडीपी के प्रमुख भागीदार बनने के बाद इस मुद्दे की चर्चा तेज हो गई है. बिहार में जेडीयू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में टीडीपी आंध्र प्रदेश में सत्ता में आई है.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी जुलाई में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश होने से पहले एनडीए के दोनों सहयोगियों के साथ-साथ भाजपा पर जनता का दबाव बनाने के लिए संसद के साथ-साथ संबंधित राज्यों में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे का मुद्दा उठाएगी.

बिहार के सासाराम से कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं. अब वो एनडीए सरकार के एक महत्वपूर्ण घटक हैं. नीतीश वास्तव में भाजपा को सत्ता में बने रहने में मदद कर रहे हैं. बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए यह सबसे सही समय है. नीतीश कुमार सरकार को इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसे जल्द से जल्द केंद्र को भेजना चाहिए. मैं इस मामले को लोकसभा में उठाऊंगा. हमारी पार्टी बिहार विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाएगी.

बिहार की गिनती देश के पिछड़ा राज्यों में होती है और विशेष दर्जे से राज्य को काफी फायदा होगा, क्योंकि इससे राज्य को बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी और केंद्रीय धन का प्रवाह बढ़ेगा, जिसका इस्तेमाल विकास को तेज करने के लिए किया जा सकता है.

बिहार की तरह विशेष दर्जे का मुद्दा आंध्र प्रदेश के लोगों के बीच चर्चा का केंद्र रहा है, जो 2014 में तेलंगाना के अलग होने के बाद से केंद्रीय आवंटन का इंतजार कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव मणिकम टैगोर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पिछली राज्य सरकारों को केंद्र से वह मंजूरी नहीं मिल सकी थी. इसलिए, हमने विधानसभा चुनाव से पहले इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था और कहा था कि अगर केंद्र में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो आंध्र के लिए विशेष दर्जा दिया जाएगा. हम इस मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध हैं.

तमिलनाडु के विरुधुनगर से सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि अब लोगों को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से बहुत उम्मीदें हैं, जिनके पीएम मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं. नायडू ने पहले विशेष दर्जे के मुद्दे पर एनडीए को छोड़ा था. देखते हैं कि अब वह क्या करते हैं.

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा पिछली यूपीए सरकार ने दक्षिणी राज्य को मुआवजा देने के लिए किया था. लेकिन 2014 में यूपीए के सत्ता से बाहर होने और पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से यह मुद्दा लंबित है.

कांग्रेस (एआईसीसी) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि एनडीए के सहयोगी दलों को भाजपा के सामने अपने राज्य के लोगों की उम्मीदों को रखना चाहिए. अगर उन्हें केंद्र सरकार से कोई समर्थन नहीं मिलता है, तो लोग निराश होंगे. हम विपक्ष के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों को याद दिलाते रहेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिए.

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