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एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन मामले पर कांग्रेस हमलावर, केंद्र सरकार पर लगाया यह आरोप - Covid Vaccine

AstraZeneca Covid Vaccine: एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने सरकार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन दिशानिर्देशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 1, 2024, 9:06 PM IST

अहमदाबाद: एस्ट्राजेनेका कंपनी के कोविड रोधी टीका के दुष्प्रभाव को लेकर भारत में नया विवाद खड़ा हो गया. एक तरफ वैक्सीन लगवाने वालों में चिंता घर कर गई है, वहीं विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव के बीच इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. दरअसल, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव सामने आए हैं. कांग्रेस ने बुधवार को लोगों के जीवन को दांव पर लगाने के लिए सरकार पर हमला बोला है. गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने मोदी सरकार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन दिशानिर्देशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया.

भारत में, एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया गया था और इसे कोविशील्ड नाम दिया गया था. देशभर में विभिन्न चरणों में कोविशील्ड वैक्सीन की लगभग 175 करोड़ खुराकें दी गईं.

गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन कैसे लगाई, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ द्वारा 2023 में कोविड-19 वैक्सीन लगाए जाने वाले लोगों का डेटाबेस बनाए रखने के लिए आपातकालीन दिशानिर्देशों के बारे में सचेत करने के बावजूद हमारे देश ने कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि हर देश ने इन दिशानिर्देशों का पालन किया.

राज्यसभा सांसद गोहिल ने 1905 में स्थापित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान को वैक्सीन बनाने की जिम्मेदारी नहीं देने के बजाय एसआईआई को अनुबंध देने के लिए भी सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जब हमारे पास 118 साल पुराने केंद्रीय अनुसंधान संस्थान जैसा वैक्सीन में अग्रणी संस्थान है, जिसके काम की अन्य देशों ने सराहना की है, तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को अनुबंध क्यों दिया गया.

अखिलेश ने की न्यायिक जांच की मांग
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एक व्यक्ति को दो टीके के हिसाब से लगभग 80 करोड़ भारतीयों को कोविशील्ड वैक्सीन दी गई है. टीके का मूल फार्मूला बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि इससे हार्ट अटैक यानी हृदयघात का खतरा हो सकता है. जिन लोगों ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण अपनों को खोया है या जिन्हें वैक्सीन के दुष्परिणामों की आशंका थी, अब उनका शक और डर सही साबित हुआ है.

उन्होंने आगे कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी. ऐसी जानलेवा दवाइयों को अनुमति देना किसी की हत्या के षड्यंत्र के बराबर है और इसके लिए जिम्मेदार सभी पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए. अखिलेश ने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि सत्ताधारी दल ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से राजनीतिक चंदा वसूलकर जनता की जान की बाजी लगाई है. न कानून कभी उन्हें माफ करेगा, न जनता. इस मामले में सर्वोच्च स्तर पर न्यायिक जांच हो.

ये भी पढ़ें- वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में जम सकता है खून का थक्का

अहमदाबाद: एस्ट्राजेनेका कंपनी के कोविड रोधी टीका के दुष्प्रभाव को लेकर भारत में नया विवाद खड़ा हो गया. एक तरफ वैक्सीन लगवाने वालों में चिंता घर कर गई है, वहीं विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव के बीच इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. दरअसल, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव सामने आए हैं. कांग्रेस ने बुधवार को लोगों के जीवन को दांव पर लगाने के लिए सरकार पर हमला बोला है. गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने मोदी सरकार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन दिशानिर्देशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया.

भारत में, एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया गया था और इसे कोविशील्ड नाम दिया गया था. देशभर में विभिन्न चरणों में कोविशील्ड वैक्सीन की लगभग 175 करोड़ खुराकें दी गईं.

गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन कैसे लगाई, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ द्वारा 2023 में कोविड-19 वैक्सीन लगाए जाने वाले लोगों का डेटाबेस बनाए रखने के लिए आपातकालीन दिशानिर्देशों के बारे में सचेत करने के बावजूद हमारे देश ने कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि हर देश ने इन दिशानिर्देशों का पालन किया.

राज्यसभा सांसद गोहिल ने 1905 में स्थापित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान को वैक्सीन बनाने की जिम्मेदारी नहीं देने के बजाय एसआईआई को अनुबंध देने के लिए भी सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जब हमारे पास 118 साल पुराने केंद्रीय अनुसंधान संस्थान जैसा वैक्सीन में अग्रणी संस्थान है, जिसके काम की अन्य देशों ने सराहना की है, तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को अनुबंध क्यों दिया गया.

अखिलेश ने की न्यायिक जांच की मांग
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एक व्यक्ति को दो टीके के हिसाब से लगभग 80 करोड़ भारतीयों को कोविशील्ड वैक्सीन दी गई है. टीके का मूल फार्मूला बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि इससे हार्ट अटैक यानी हृदयघात का खतरा हो सकता है. जिन लोगों ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण अपनों को खोया है या जिन्हें वैक्सीन के दुष्परिणामों की आशंका थी, अब उनका शक और डर सही साबित हुआ है.

उन्होंने आगे कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी. ऐसी जानलेवा दवाइयों को अनुमति देना किसी की हत्या के षड्यंत्र के बराबर है और इसके लिए जिम्मेदार सभी पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए. अखिलेश ने अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि सत्ताधारी दल ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से राजनीतिक चंदा वसूलकर जनता की जान की बाजी लगाई है. न कानून कभी उन्हें माफ करेगा, न जनता. इस मामले में सर्वोच्च स्तर पर न्यायिक जांच हो.

ये भी पढ़ें- वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में जम सकता है खून का थक्का

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