लखनऊ/कानपुर : उत्तर प्रदेश कांग्रेस को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी में तगड़ा झटका लगा है. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व विधायक अजय कपूर ने बुधवार को कांग्रेस की सदस्यता छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. उन्होंने एक दिन पहले ही 12 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस में उन्हें प्रियंका और राहुल गांधी का बहुत करीबी माना जाता था. उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में निकली 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के दौरान वह पूरे समय राहुल गांधी के करीब रहे थे. अजय कपूर भाजपा कानपुर के वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के काफी करीब माने जाते हैं.
कानपुर में माने जा रहे थे टिकट के बड़े दावेदार : कानपुर लोकसभा सीट पर अजय कपूर कांग्रेस के मजबूत दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन, बीते दिनों कांग्रेस में सीट को लेकर मचे घमासान के बीच कांग्रेस छोड़ना ही बेहतर समझा. कानपुर सीट में भाजपा के अंदर मचे घमासान को देखते हुए. उन्होंने टिकट की उम्मीद में पाला बदलना ही बेहतर समझा है. कानपुर लोकसभा सीट पर भाजपा अंदर खाने पहले से ही प्रत्याशी तलाश रही थी, क्योंकि मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी को लेकर वहां भी भीतर गुटबाजी काफी अधिक थी. खास तौर पर यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी गुट में टिकट को लेकर काफी खींचतान चल रही थी. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार होने के कारण अजय कपूर का भाजपा में आने का कयास पहले से ही लगाया जा रहा था. कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाली 10 लोकसभा सीटों में से 9 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए थे. लेकिन, कानपुर लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौड़ी की सीट नहीं घोषित की थी. जिसके बाद से वह लगातार दिल्ली के चक्कर काट रहे थे.
कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं अजय कपूर : बताते चलें कि अजय कपूर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव थे, पार्टी ने उन्हें बिहार के सह-प्रभारी की भी जिम्मेदारी दी थी. आपको बता दें कि अजय कपूर की गिनती यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है. दरअसल, अजय कपूर, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में से थे. अजय कपूर गोविंद नगर किदवई नगर विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक रहे. अजय कपूर को कानपुर की जनता ने गोविंदनगर नगर सीट से 2002 से लेकर 2012 तक कांग्रेस के विधायक के रूप में चुना. इसके बाद 2012 से 2017 तक अजय कपूर किदवई नगर विधानसभा से कांग्रेस के विधायक चुने गए. वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किदवई नगर से अजय कपूर को अपना उम्मीदवार बनाया था और भाजपा से महेश त्रिवेदी उम्मीदवार थे. लेकिन, अजय कपूर को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2022 में भी अजय कपूर को हार का सामना करना पड़ा. 2022 के विधानसभा चुनाव में हुए नामांकन के अनुसार, अजय कपूर के पास 69 करोड़ रुपए की चल अचल संपत्ति घोषित की थी. जबकि, 15 साल पहले 2007 के नामांकन के दौरान उनकी कुल संपत्ति 5.8 करोड़ रुपए थी. अजय कपूर को कानपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के बाद कांग्रेस का सबसे मजबूत चेहरा माना जाता था. 2014 में श्री प्रकाश जायसवाल के चुनाव हारने के बाद करीब एक दशक सेवा कानपुर में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. कानपुर कांग्रेस में श्री प्रकाश जायसवाल और अजय कपूर के गुट में काफी लंबे समय तक टिकटों की दावेदारी को लेकर रस्साकशी दिखती थी. साल 2004 में श्री प्रकाश जायसवाल के दिल्ली की राजनीति में सक्रिय होने के बाद अजय कपूर की कानपुर की राजनीति में बहुत तेजी से उभरा हुआ था. मौजूदा समय में श्री प्रकाश जायसवाल के राजनीति में पूरी तरह से निष्क्रिय होने के बाद कानपुर की राजनीति में कांग्रेस के सबसे मजबूत चेहरे के तौर पर वह उभर कर सामने आए थे.
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