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'10 पोक्सो कोर्ट और 88 फास्ट-ट्रैक अदालतों...', ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र - West Bengal

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2024, 1:34 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 1:40 PM IST

Mamata Banerjee Writes PM Modi: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस दौरान उन्होंने 22 अगस्त 2024 को उन्हें लिखे पत्र का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने रेप की घटनाओं को लेकर कड़ी सजा देने की आवश्यकता पर जोर दिया था.

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी (ANI)

कोलकात: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से पत्र लिखा है. इस पत्र में सीएम ने कहा है कि उन्होंने पहले बलात्कार के मामलों के लिए कड़े केंद्रीय कानून और अपराधियों को कड़ी सजा देने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.

ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा है, "कृपया 22 अगस्त 2024 को लिखे गए मेरे पत्र संख्या 44-सीएम को याद करें, जिसमें बलात्कार की घटनाओं पर कड़े केंद्रीय कानून और ऐसे अपराधों के अपराधियों को कड़ी सजा देने की आवश्यकता के बारे में बताया गया है. इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला."

महिला और बाल विकास मंत्री से मिला जवाब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हालांकि, उन्हें महिला और बाल विकास मंत्री से एक जवाब मिला है, जिसमें पत्र में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को बमुश्किल ही संबोधित किया गया है.

उन्होंने पत्र में लिखा है, "मेरा मानना​है कि इस जवाब को भेजते समय विषय की गंभीरता और समाज के लिए इसकी प्रासंगिकता को पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया. इतना ही नहीं, मैं इस क्षेत्र में राज्य द्वारा पहले से की गई कुछ पहलों का भी उल्लेख करूंगी, जिन्हें रिप्लाई करते वक्त अनदेखा किया गया है."

10 पोक्सो कोर्ट को मंजूरी
ममता बनर्जी ने उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने 10 विशेष POCSO अदालतों को मंजूरी दी है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य भर में 88 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें और 62 POCSO-नामित अदालतें चल रही हैं, जिनका पूरा वित्तपोषण राज्य सरकार करती है और निगरानी और मामले का निपटान पूरी तरह से इन अदालतों द्वारा प्रबंधित किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार केवल रिटायर जूडिशियल अधिकारियों को ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन माननीय हाई कोर्ट ने कहा है कि मामलों की गंभीरता को देखते हुए, स्थायी न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता है।. इसके लिए भारत सरकार के स्तर पर जांच और उसके बाद उचित कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसके लिए आपका हस्तक्षेप आवश्यक होगा.

इसके अलावा, हेल्पलाइन नंबर 112 और 1098 राज्य में संतोषजनक रूप से काम कर रहे हैं. आपातकालीन स्थितियों में डायल-100 का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

यह भी पढ़ें- ममता बनर्जी के खिलाफ पटना में FIR दर्ज, 'पूरा बिहार जलेगा' वाले बयान को लेकर मचा भूचाल

कोलकात: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से पत्र लिखा है. इस पत्र में सीएम ने कहा है कि उन्होंने पहले बलात्कार के मामलों के लिए कड़े केंद्रीय कानून और अपराधियों को कड़ी सजा देने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.

ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा है, "कृपया 22 अगस्त 2024 को लिखे गए मेरे पत्र संख्या 44-सीएम को याद करें, जिसमें बलात्कार की घटनाओं पर कड़े केंद्रीय कानून और ऐसे अपराधों के अपराधियों को कड़ी सजा देने की आवश्यकता के बारे में बताया गया है. इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला."

महिला और बाल विकास मंत्री से मिला जवाब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हालांकि, उन्हें महिला और बाल विकास मंत्री से एक जवाब मिला है, जिसमें पत्र में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को बमुश्किल ही संबोधित किया गया है.

उन्होंने पत्र में लिखा है, "मेरा मानना​है कि इस जवाब को भेजते समय विषय की गंभीरता और समाज के लिए इसकी प्रासंगिकता को पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया. इतना ही नहीं, मैं इस क्षेत्र में राज्य द्वारा पहले से की गई कुछ पहलों का भी उल्लेख करूंगी, जिन्हें रिप्लाई करते वक्त अनदेखा किया गया है."

10 पोक्सो कोर्ट को मंजूरी
ममता बनर्जी ने उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने 10 विशेष POCSO अदालतों को मंजूरी दी है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य भर में 88 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें और 62 POCSO-नामित अदालतें चल रही हैं, जिनका पूरा वित्तपोषण राज्य सरकार करती है और निगरानी और मामले का निपटान पूरी तरह से इन अदालतों द्वारा प्रबंधित किया जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार केवल रिटायर जूडिशियल अधिकारियों को ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन माननीय हाई कोर्ट ने कहा है कि मामलों की गंभीरता को देखते हुए, स्थायी न्यायिक अधिकारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता है।. इसके लिए भारत सरकार के स्तर पर जांच और उसके बाद उचित कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसके लिए आपका हस्तक्षेप आवश्यक होगा.

इसके अलावा, हेल्पलाइन नंबर 112 और 1098 राज्य में संतोषजनक रूप से काम कर रहे हैं. आपातकालीन स्थितियों में डायल-100 का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

यह भी पढ़ें- ममता बनर्जी के खिलाफ पटना में FIR दर्ज, 'पूरा बिहार जलेगा' वाले बयान को लेकर मचा भूचाल

Last Updated : Aug 30, 2024, 1:40 PM IST
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