ETV Bharat / bharat

1858 में नैनीताल में बना था एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च, 1860 में हुई थी क्रिसमस की पहली प्रार्थना सभा - CHRISTMAS 2024

एशिया की पहली मेथोडिस्ट चर्च की स्थापना 1858 में हुई थी. क्रिसमस पर विदेशी और देशी पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी है.

CHRISTMAS 2024
नैनीताल में स्थित है एशिया की पहली मेथोडिस्ट चर्च (photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 25, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Dec 25, 2024, 5:50 PM IST

नैनीताल: आज पूरे देश में धूमधाम से क्रिसमस मनाया जा रहा है. इसी क्रम में हम आपको सरोवर नगरी नैनीताल स्थित ऐतिहासिक मेथोडिस्ट चर्च के बारे में अवगत कराएंगे. मेथोडिस्ट चर्च में क्रिसमस के दिन विदेशी और देशी पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. मेथोडिस्ट चर्च की नींव वर्ष 1858 में रखी गई थी. अमेरिकी मेथोडिस्ट मिशनरी के विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च की स्थापना की थी.

एशिया की पहली मेथोडिस्ट चर्च: इतिहासकार प्रो. अजय रावत ने बताया कि मल्लीताल माल रोड पर मेथोडिस्ट चर्च को एशिया के पहले मेथोडिस्ट चर्च के रूप में स्थापित किया गया है. 10 मई 1857 को अमेरिकी मेथोडिस्ट मिशनरी के विलियम बटलर भारत पहुंचे थे. वह संयुक्त अवध प्रांत के बरेली में रहने लगे. वर्ष 1857 के गदर के दौरान शुरू हुए आंदोलनों के कारण बरेली के कमांडर निकलसन ने विलियम बटलर को सुरक्षा की दृष्टि से नैनीताल जाने की सलाह दी थी.

22 सितंबर 1858 को विलियम बटलर नैनीताल पहुंचे: अजय रावत ने बताया कि 22 सितंबर 1858 को विलियम बटलर नैनीताल पहुंचे. नैनीताल पहुंचने के बाद विलियम बटलर ने तत्कालीन कमिश्नर हेनरी रैमजे के सहयोग से साल 1858 में मल्लीताल स्थित पुराने रिक्शा स्टैंड के पास मेथोडिस्ट चर्च की स्थापना की. उन्होंने कहा कि इस चर्च को तैयार होने में लगभग दो साल का समय लगा. 1860 में पहली बार इस चर्च में क्रिसमस की प्रार्थना सभा हुई.

1858 में नैनीताल में बना था एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च (video- ETV Bharat)

मेथोडिस्ट चर्च का दूसरा नाम काउंटी चर्च: अजय रावत ने बताया कि तब से आज तक इस चर्च में प्रार्थना सभाओं के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. इन सभाओं में नैनीताल आने वाले सैलानी भी शामिल होते हैं. उन्होंने कहा कि इसे काउंटी चर्च के रूप में भी जाना जाता है. 16 वीं सदी से पहले तक क्रिसमस का त्यौहार छह दिसंबर को मनाया जाता था. 14वीं और 15वीं शताब्दी में धार्मिक आंदोलनों में सेंट निकोलस को अत्यधिक महत्व दिया गया.

CHRISTMAS 2024
एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च (photo- ETV Bharat)

मेथोडिस्ट और कैथोलिक चर्च में सैलानियों की भीड़: बता दें कि नैनीताल के पांच बड़े चर्चों में भी क्रिसमस के कार्यक्रम होते हैं. क्रिसमस के साथ ही थर्टी फर्स्ट करीब होने के कारण देशभर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं. मेथोडिस्ट चर्च में हर साल नवंबर के आखिरी रविवार से क्रिसमस के कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसंबर को चर्च में केक काटकर कई विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और क्रिसमस के दिन प्रार्थना होती है. इसी तरह तल्लीताल में अंग्रेजी शासनकाल में बने कैथोलिक चर्च में भी क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसंबर को चर्च में केक काटा जाता है और क्रिसमस के रोज प्रार्थना होती है.

ये भी पढ़ें-

नैनीताल: आज पूरे देश में धूमधाम से क्रिसमस मनाया जा रहा है. इसी क्रम में हम आपको सरोवर नगरी नैनीताल स्थित ऐतिहासिक मेथोडिस्ट चर्च के बारे में अवगत कराएंगे. मेथोडिस्ट चर्च में क्रिसमस के दिन विदेशी और देशी पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. मेथोडिस्ट चर्च की नींव वर्ष 1858 में रखी गई थी. अमेरिकी मेथोडिस्ट मिशनरी के विलियम बटलर ने मेथोडिस्ट चर्च की स्थापना की थी.

एशिया की पहली मेथोडिस्ट चर्च: इतिहासकार प्रो. अजय रावत ने बताया कि मल्लीताल माल रोड पर मेथोडिस्ट चर्च को एशिया के पहले मेथोडिस्ट चर्च के रूप में स्थापित किया गया है. 10 मई 1857 को अमेरिकी मेथोडिस्ट मिशनरी के विलियम बटलर भारत पहुंचे थे. वह संयुक्त अवध प्रांत के बरेली में रहने लगे. वर्ष 1857 के गदर के दौरान शुरू हुए आंदोलनों के कारण बरेली के कमांडर निकलसन ने विलियम बटलर को सुरक्षा की दृष्टि से नैनीताल जाने की सलाह दी थी.

22 सितंबर 1858 को विलियम बटलर नैनीताल पहुंचे: अजय रावत ने बताया कि 22 सितंबर 1858 को विलियम बटलर नैनीताल पहुंचे. नैनीताल पहुंचने के बाद विलियम बटलर ने तत्कालीन कमिश्नर हेनरी रैमजे के सहयोग से साल 1858 में मल्लीताल स्थित पुराने रिक्शा स्टैंड के पास मेथोडिस्ट चर्च की स्थापना की. उन्होंने कहा कि इस चर्च को तैयार होने में लगभग दो साल का समय लगा. 1860 में पहली बार इस चर्च में क्रिसमस की प्रार्थना सभा हुई.

1858 में नैनीताल में बना था एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च (video- ETV Bharat)

मेथोडिस्ट चर्च का दूसरा नाम काउंटी चर्च: अजय रावत ने बताया कि तब से आज तक इस चर्च में प्रार्थना सभाओं के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. इन सभाओं में नैनीताल आने वाले सैलानी भी शामिल होते हैं. उन्होंने कहा कि इसे काउंटी चर्च के रूप में भी जाना जाता है. 16 वीं सदी से पहले तक क्रिसमस का त्यौहार छह दिसंबर को मनाया जाता था. 14वीं और 15वीं शताब्दी में धार्मिक आंदोलनों में सेंट निकोलस को अत्यधिक महत्व दिया गया.

CHRISTMAS 2024
एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च (photo- ETV Bharat)

मेथोडिस्ट और कैथोलिक चर्च में सैलानियों की भीड़: बता दें कि नैनीताल के पांच बड़े चर्चों में भी क्रिसमस के कार्यक्रम होते हैं. क्रिसमस के साथ ही थर्टी फर्स्ट करीब होने के कारण देशभर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं. मेथोडिस्ट चर्च में हर साल नवंबर के आखिरी रविवार से क्रिसमस के कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसंबर को चर्च में केक काटकर कई विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और क्रिसमस के दिन प्रार्थना होती है. इसी तरह तल्लीताल में अंग्रेजी शासनकाल में बने कैथोलिक चर्च में भी क्रिसमस की पूर्व संध्या पर 24 दिसंबर को चर्च में केक काटा जाता है और क्रिसमस के रोज प्रार्थना होती है.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Dec 25, 2024, 5:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.