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सेना को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए चीन ने किया बड़ा बदलाव, SSF को तीन हिस्सों में बांटा - Chinese Restructuring

Chinese Strategic Support Force: शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सुधारों के तहत स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स (SSF) का गठन किया था. चीन अब इसे समाप्त करने जा रहा है.

Xi Jinping
शी जिनपिंग
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By Major General Harsha Kakar

Published : May 1, 2024, 5:00 AM IST

Updated : May 1, 2024, 9:48 AM IST

नई दिल्ली: चीन ने 19 अप्रैल को स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स (SSF) को समाप्त करने की घोषणा की थी. इसे 2015 में शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सुधारों के तहत बहुत धूमधाम से बनाया था. साथ ही उन्होंने एसएसएफ को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया था. एसएसएफ में अन्य संगठनों के भी विभाग शामिल थे. इसका मूल कार्य स्पेस, साइबर, इंफोर्मेशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की क्षमताओं को बढ़ाना है. एसएसएफ को तीन स्वतंत्र शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिन्हें इंफोर्मेशन सपोर्च फॉर्स (ISF), साइबरस्पेस फोर्स और एयरोस्पेस फोर्स कहा जाता है.

ये तीनों शाखाएं सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के तहत काम करेंगे. इससे यह मैसेज जाएगा कि शी जिनपिंग की अध्यक्षता वाली सीएमसी उन पर कड़ी निगरानी रखेगी. इसके साथ ही तीन की पीएलए के पास सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल के साथ-साथ चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र शामिल होंगे. इनमें से तीन का गठन हाल ही में किया गया है. यह मौजूदा लॉजिस्टिक सपोर्ट फोर्स में शामिल होंगे. इसका मतलब यह भी है कि साइबर, सूचना और अंतरिक्ष ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें चीन काफी रुचि रखता है. चीन ने भले ही इसकी घोषणा अप्रैल में की थी, लेकिन इस पर पहले ही गहन चर्चा हुई होगी. अक्सर देखा जाता है कि चीन में अंतिम निर्णय की घोषणा होने तक बहुत कम जानकारी सामने आती है.

CHINESE RESTRUCTURING
शी जिनपिंग

नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस होगा मजबूत
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी प्रेस वार्ता में साइबरस्पेस फोर्स की भूमिका को लेकर कहा, ' इस का काम नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस को मजबूत करना, नेटवर्क घुसपैठ का तुरंत पता लगाकर उसका मुकाबला करना, राष्ट्रीय साइबर संप्रभुता और इंफोर्मेशन सिक्योरिटी को बनाए रखना होगा. इसके अलावा यह ऑफेंसिव साइबर ऑपरेशन की जानकारी भी देगी. इसके बाद सीएमसी यह निर्धारित करेगी कि किन विरोधियों पर साइबर अटैक किया जाए.

उन्होंने कहा कि एयरोस्पेस फोर्स अंतरिक्ष का उपयोग करने की क्षमता को मजबूत करेगी. स्पेस युद्ध का अगला आयाम है और दुनिया भर में इसका महत्व बढ़ रहा है. भारत सहित अधिकांश आधुनिक सशस्त्र बलों के पास अपनी एक अलग अंतरिक्ष कमान है. भारतीय सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में कहा था, ' स्पेस वायु, समुद्र और पृथ्वी पर अपना प्रभाव डालेगा.'

सूचना पर निर्भर है आधुनिक युद्ध
आईएसएफ को पीएलए ने कहा, 'आधुनिक युद्ध में जीत सूचना पर निर्भर करती है. अब युद्ध इंफोर्मेशन सिस्टम के बीच है. ऐसे में जिसके पास सर्वश्रेष्ठ सूचना है, वह युद्ध की पहल करता है. शी जिनपिंग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि आईएसएफ, 'सैन्य आधुनिकीकरण में तेजी लाएगा और नए युग में लोगों के सशस्त्र बलों के मिशन को प्रभावी ढंग से लागू करेगा.' आईएसएफ सूचना क्षेत्र पर हावी होने के अलावा, पीएलए के लिए कम्युनिकेश और नेटवर्क डिफेंस का की कमान भी संभालेगा. एक धारणा यह भी है कि भविष्य में किसी भी युद्ध की स्थिति में, आईएसएफ अन्य विरोधियों के कार्रवाई करने से पहले इंफोर्मेशन स्पेस पर हावी होने की कोशिश करेगा.

भारत एलएसी पर अपने ग्रे जोन ऑपरेशन के तहत चाइनीज इंफोर्मेशन वॉरफेयर का सामना कर रहा है. इनमें नियमित अंतराल पर अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों का नाम बदलना और कई मीडिया प्लेटफार्मों पर चीनी नैरेटिव को पेश करना शामिल है. ये कार्रवाइयां चीन की 'थ्री वॉरफेयर' कंसेप्ट का हिस्सा हैं, जिसमें जनता की राय, साइकिलॉजिकल और लीगल वॉरफेयर शामिल हैं. इस युद्ध का नेतृत्व अब ISF करेगा.

एसएसएफ पुनर्गठन के कारण
एसएसएफ पुनर्गठन के कई कारण बताए जा रहे हैं. इसकी एक वजह यह है कि वर्तमान में एसएसएफ सफल नहीं हो पा रही थी और इससे स्पेस, साइबर और नेटवर्क डिफेंस फोर्स के साथ-साथ उनके और पीएलए के अन्य हथियारों के बीच जरूरी कोर्डिनेशन में सुधार नहीं हुआ. इतना ही नहीं यह भी हो सकता है कि एसएसएफ ने स्ट्रेक्चर कती क्षमताएं बढ़ाईं और उन्हें पूरा होने पर उसके अल-अलग- वर्टिकल बनाए हों.

इसकी दूसरी वजह बैलून इंसिडेंट हो सकता है, क्योंकि पिछले साल अमेरिका ने एक चीनी सर्विलांस बैलून को मार गिराया गया था, जिससे बीजिंग को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी. इसने अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ा दी थीं. ऐसी खबरें हैं कि शी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जासूसी के लिए बैलून का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका तीसरा कारण पीएलए की विभिन्न शाखाओं, मुख्य रूप से रॉकेट फोर्स के भीतर भ्रष्टाचार पर हालिया कार्रवाई हो सकती है. हो सकता है कि शी की अध्यक्षता वाली सीएमसी, कमांड की लेयर्स को कम करके महत्वपूर्ण संगठनों पर अपना नियंत्रण मजबूत करना चाहती है.

इसका चौथा संभावित कारण थिएटर कमांड और सहायता संगठनों के बीच निर्बाध सहयोग को सक्षम करना हो सकता है. ज्वाइंट लॉजिस्टिक्स सपोर्ट फोर्स की सफलता एक उदाहरण है, जहां सीएमसी के तहत इसके सीधे कामकाज ने सभी थिएटरों में सहयोग बढ़ाया है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा-ईरान में चल रहे संघर्षों से चीन को जो सबक मिल रहे हैं. वह भी पीछे की वजह हो सकती है. किसी भी ओपरेशन के लिए इंफोर्मेशन मैनेजमेंट और इंफोर्मेशन स्पेस पर कंट्रोल बेहद जरूरी है. ऐसे में साइबर और स्पेस ऐसे डोमेन हैं जिन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह शी जिनपिंग को सीधा नियंत्रण प्रदान करेगा.

भारत ने बनाया अपने साइबर कमांड
वहीं, भारत ने भी अपना खुद का स्पेस और साइबर कमांड बनाया है. यह चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी की 2012 की सिफारिश पर आधारित था. यह कमांड इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (DRDO) सहित मौजूदा सिविलियन एजेंसियों के साथ अपने कामकाज के लिए कोर्डिनेट करता है.

चीन और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव
गौरतलब है कि चीन ने यब रिस्ट्रक्चरिंग ऐसे समय में की है जब दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ रहा है. वहीं, भारत के साथ एलएसी पर भी सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, जहां कुछ झड़पें हो चुकी हैं. इसके अलावा अमेरिका-चीन संबंध क्षेत्र में चीनी आक्रामक युद्धाभ्यास और रूस को उसके भौतिक समर्थन के कारण अस्थिर बने हुए हैं. हाल के दिनों में अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड ने भी चीनियों पर योजनाबद्ध साइबर हमलों का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं इसरो और डीआरडीओ सहित भारतीय रणनीतिक साइटों को हर रोज सैकड़ों साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें से ज्यादातर चीन और पाकिस्तान से होते हैं.

चीन के ताजा सुधार भी 2035 तक पीएलए को आधुनिक बनाने की शी की योजना का हिस्सा लगते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह पीएलए का अंतिम पुनर्गठन है या इसके बाद और भी कुछ होगा. हालांकि, शी को चौथा कार्यकाल मिलने से पहले अभी भी समय है और वह चीन की सेना को आधुनिक बनाने का क्रेडिट लेना चाहेंगे जैसा कि उन्होंने अतीत में किया था.

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हाल ही में एक सम्मेलन में कहा, 'जमीन, समुद्र, वायु, साइबर और स्पेस डोमेन की पारंपरिक सीमाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं, जिससे चीनी युद्ध में एक आदर्श बदलाव आ रहा है. ' इसका उद्देश्य संभवतः पीएलए के भीतर इन क्षेत्रों में संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है.

यह भी पढ़ें- बिगड़ता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य, रक्षा बजट और बढ़ने का अनुमान - Global Defense Spending

नई दिल्ली: चीन ने 19 अप्रैल को स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स (SSF) को समाप्त करने की घोषणा की थी. इसे 2015 में शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सुधारों के तहत बहुत धूमधाम से बनाया था. साथ ही उन्होंने एसएसएफ को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया था. एसएसएफ में अन्य संगठनों के भी विभाग शामिल थे. इसका मूल कार्य स्पेस, साइबर, इंफोर्मेशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की क्षमताओं को बढ़ाना है. एसएसएफ को तीन स्वतंत्र शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिन्हें इंफोर्मेशन सपोर्च फॉर्स (ISF), साइबरस्पेस फोर्स और एयरोस्पेस फोर्स कहा जाता है.

ये तीनों शाखाएं सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के तहत काम करेंगे. इससे यह मैसेज जाएगा कि शी जिनपिंग की अध्यक्षता वाली सीएमसी उन पर कड़ी निगरानी रखेगी. इसके साथ ही तीन की पीएलए के पास सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल के साथ-साथ चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्र शामिल होंगे. इनमें से तीन का गठन हाल ही में किया गया है. यह मौजूदा लॉजिस्टिक सपोर्ट फोर्स में शामिल होंगे. इसका मतलब यह भी है कि साइबर, सूचना और अंतरिक्ष ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें चीन काफी रुचि रखता है. चीन ने भले ही इसकी घोषणा अप्रैल में की थी, लेकिन इस पर पहले ही गहन चर्चा हुई होगी. अक्सर देखा जाता है कि चीन में अंतिम निर्णय की घोषणा होने तक बहुत कम जानकारी सामने आती है.

CHINESE RESTRUCTURING
शी जिनपिंग

नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस होगा मजबूत
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी प्रेस वार्ता में साइबरस्पेस फोर्स की भूमिका को लेकर कहा, ' इस का काम नेशनल साइबर बॉर्डर डिफेंस को मजबूत करना, नेटवर्क घुसपैठ का तुरंत पता लगाकर उसका मुकाबला करना, राष्ट्रीय साइबर संप्रभुता और इंफोर्मेशन सिक्योरिटी को बनाए रखना होगा. इसके अलावा यह ऑफेंसिव साइबर ऑपरेशन की जानकारी भी देगी. इसके बाद सीएमसी यह निर्धारित करेगी कि किन विरोधियों पर साइबर अटैक किया जाए.

उन्होंने कहा कि एयरोस्पेस फोर्स अंतरिक्ष का उपयोग करने की क्षमता को मजबूत करेगी. स्पेस युद्ध का अगला आयाम है और दुनिया भर में इसका महत्व बढ़ रहा है. भारत सहित अधिकांश आधुनिक सशस्त्र बलों के पास अपनी एक अलग अंतरिक्ष कमान है. भारतीय सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में कहा था, ' स्पेस वायु, समुद्र और पृथ्वी पर अपना प्रभाव डालेगा.'

सूचना पर निर्भर है आधुनिक युद्ध
आईएसएफ को पीएलए ने कहा, 'आधुनिक युद्ध में जीत सूचना पर निर्भर करती है. अब युद्ध इंफोर्मेशन सिस्टम के बीच है. ऐसे में जिसके पास सर्वश्रेष्ठ सूचना है, वह युद्ध की पहल करता है. शी जिनपिंग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि आईएसएफ, 'सैन्य आधुनिकीकरण में तेजी लाएगा और नए युग में लोगों के सशस्त्र बलों के मिशन को प्रभावी ढंग से लागू करेगा.' आईएसएफ सूचना क्षेत्र पर हावी होने के अलावा, पीएलए के लिए कम्युनिकेश और नेटवर्क डिफेंस का की कमान भी संभालेगा. एक धारणा यह भी है कि भविष्य में किसी भी युद्ध की स्थिति में, आईएसएफ अन्य विरोधियों के कार्रवाई करने से पहले इंफोर्मेशन स्पेस पर हावी होने की कोशिश करेगा.

भारत एलएसी पर अपने ग्रे जोन ऑपरेशन के तहत चाइनीज इंफोर्मेशन वॉरफेयर का सामना कर रहा है. इनमें नियमित अंतराल पर अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों का नाम बदलना और कई मीडिया प्लेटफार्मों पर चीनी नैरेटिव को पेश करना शामिल है. ये कार्रवाइयां चीन की 'थ्री वॉरफेयर' कंसेप्ट का हिस्सा हैं, जिसमें जनता की राय, साइकिलॉजिकल और लीगल वॉरफेयर शामिल हैं. इस युद्ध का नेतृत्व अब ISF करेगा.

एसएसएफ पुनर्गठन के कारण
एसएसएफ पुनर्गठन के कई कारण बताए जा रहे हैं. इसकी एक वजह यह है कि वर्तमान में एसएसएफ सफल नहीं हो पा रही थी और इससे स्पेस, साइबर और नेटवर्क डिफेंस फोर्स के साथ-साथ उनके और पीएलए के अन्य हथियारों के बीच जरूरी कोर्डिनेशन में सुधार नहीं हुआ. इतना ही नहीं यह भी हो सकता है कि एसएसएफ ने स्ट्रेक्चर कती क्षमताएं बढ़ाईं और उन्हें पूरा होने पर उसके अल-अलग- वर्टिकल बनाए हों.

इसकी दूसरी वजह बैलून इंसिडेंट हो सकता है, क्योंकि पिछले साल अमेरिका ने एक चीनी सर्विलांस बैलून को मार गिराया गया था, जिससे बीजिंग को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी. इसने अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ा दी थीं. ऐसी खबरें हैं कि शी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जासूसी के लिए बैलून का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका तीसरा कारण पीएलए की विभिन्न शाखाओं, मुख्य रूप से रॉकेट फोर्स के भीतर भ्रष्टाचार पर हालिया कार्रवाई हो सकती है. हो सकता है कि शी की अध्यक्षता वाली सीएमसी, कमांड की लेयर्स को कम करके महत्वपूर्ण संगठनों पर अपना नियंत्रण मजबूत करना चाहती है.

इसका चौथा संभावित कारण थिएटर कमांड और सहायता संगठनों के बीच निर्बाध सहयोग को सक्षम करना हो सकता है. ज्वाइंट लॉजिस्टिक्स सपोर्ट फोर्स की सफलता एक उदाहरण है, जहां सीएमसी के तहत इसके सीधे कामकाज ने सभी थिएटरों में सहयोग बढ़ाया है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा-ईरान में चल रहे संघर्षों से चीन को जो सबक मिल रहे हैं. वह भी पीछे की वजह हो सकती है. किसी भी ओपरेशन के लिए इंफोर्मेशन मैनेजमेंट और इंफोर्मेशन स्पेस पर कंट्रोल बेहद जरूरी है. ऐसे में साइबर और स्पेस ऐसे डोमेन हैं जिन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह शी जिनपिंग को सीधा नियंत्रण प्रदान करेगा.

भारत ने बनाया अपने साइबर कमांड
वहीं, भारत ने भी अपना खुद का स्पेस और साइबर कमांड बनाया है. यह चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी की 2012 की सिफारिश पर आधारित था. यह कमांड इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (DRDO) सहित मौजूदा सिविलियन एजेंसियों के साथ अपने कामकाज के लिए कोर्डिनेट करता है.

चीन और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव
गौरतलब है कि चीन ने यब रिस्ट्रक्चरिंग ऐसे समय में की है जब दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन और उसके पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ रहा है. वहीं, भारत के साथ एलएसी पर भी सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, जहां कुछ झड़पें हो चुकी हैं. इसके अलावा अमेरिका-चीन संबंध क्षेत्र में चीनी आक्रामक युद्धाभ्यास और रूस को उसके भौतिक समर्थन के कारण अस्थिर बने हुए हैं. हाल के दिनों में अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड ने भी चीनियों पर योजनाबद्ध साइबर हमलों का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं इसरो और डीआरडीओ सहित भारतीय रणनीतिक साइटों को हर रोज सैकड़ों साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें से ज्यादातर चीन और पाकिस्तान से होते हैं.

चीन के ताजा सुधार भी 2035 तक पीएलए को आधुनिक बनाने की शी की योजना का हिस्सा लगते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह पीएलए का अंतिम पुनर्गठन है या इसके बाद और भी कुछ होगा. हालांकि, शी को चौथा कार्यकाल मिलने से पहले अभी भी समय है और वह चीन की सेना को आधुनिक बनाने का क्रेडिट लेना चाहेंगे जैसा कि उन्होंने अतीत में किया था.

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने हाल ही में एक सम्मेलन में कहा, 'जमीन, समुद्र, वायु, साइबर और स्पेस डोमेन की पारंपरिक सीमाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं, जिससे चीनी युद्ध में एक आदर्श बदलाव आ रहा है. ' इसका उद्देश्य संभवतः पीएलए के भीतर इन क्षेत्रों में संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है.

यह भी पढ़ें- बिगड़ता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य, रक्षा बजट और बढ़ने का अनुमान - Global Defense Spending

Last Updated : May 1, 2024, 9:48 AM IST
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