छिंदवाड़ा: दिवाली के मौके पर छिंदवाड़ा के 3 लाख से ज्यादा लोगों के सामने खाने का संकट खड़ा हो सकता है. इसकी वजह सरकारी राशन दुकानों में दी गई पीओएस मशीन है. दरअसल, 50 फीसदी से ज्यादा पीओएस मशीनें खराब पड़ी हैं. निर्धारित समयावधि में राशन का वितरण करना मुश्किल होगा, क्योंकि जब तक मशीन में राशन लेने वाले के फिंगरप्रिंट दर्ज नहीं होंगे तो उन्हें राशन नहीं मिलेगा. ऐसे में गरीबों का राशन लैप्स हो जाता है.
3 लाख से ज्यादा गरीबों को नहीं मिल पाएगा राशन ?
छिंदवाड़ा जिले में 885 राशन दुकानों में लगभग सवा 3 लाख हितग्राही पंजीकृत हैं. इन हितग्राहियों को प्रत्येक माह शासन की ओर से मुफ्त राशन मुहैया कराया जाता है. वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता के चलते पीओएस मशीनों के जरिए हितग्राही का अंगूठा लगाकर राशन दिया जाता है. अधिकांश राशन दुकानों में पीओएस मशीनें पुरानी हो चुकी हैं. बैटरी खराब होने और ग्रामीण अंचलों में सिग्नल की समस्या के कारण हितग्राहियों को राशन के लिए भटकना पड़ रहा है.
सर्विस प्रोवाइडर कंपनी पर आरोप
सहकारी समिति का संचालन करने वाले सेल्समैन ने बताया कि शिकायतों के बाद भी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी समय पर मशीनों को रिपेयर नहीं कर पा रही है. स्पेयर में भी मशीनों की उपलब्धता नहीं है. पहले भी दुकान संचालकों ने अधिकारियों को शिकायत की थी, लेकिन जिले में अफसरों की अनदेखी के कारण पहले भी हजारों हितग्राहियों का राशन लैप्स हो चुका था. इस बार महीने की शुरुआत में ही पीओएस मशीनों की समस्याएं बढ़ती जा रही है.
आधी से ज्यादा POS मशीन हुई खराब
छिंदवाड़ा जिले की 885 सरकारी राशन की दुकानों में 3 लाख 26 हजार हितग्राहियों को मुफ्त में राशन दिया जाता है. 885 POS मशीन में से आधी मशीनों की बैटरी खराब हो चुकी है जो आसानी से बाजार में नहीं मिल पाती है, जिसकी वजह से मशीन बंद है. कई पीओएस मशीनों में सॉफ्टवेयर की समस्या आ रही है. जब तक यह मशीन चालू नहीं होगी. राशन दुकान संचालक राशन नहीं वितरित कर पाएंगे.
'50 प्रतिशत मशीनों की बदली गई बैटरी'
सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के इंजीनियर हितेश रघुवंशी ने बताया कि ''मशीनों का रखरखाव कैसे करना है और उन्हें नमी से कैसे बचाना है. ऐसी तमाम सावधानियां बरतने के लिए सेल्समैन्स को अवेयर किया जा रहा है. 50 प्रतिशत मशीनों की बैटरी बदली जा चुकी है. बाकि भी जल्द बदल देंगे.'' इस मामले में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी गीतराज गेडाम का कहना है कि ''मशीनों में समस्याएं तो आ रही हैं, लेकिन मशीनों के पार्ट्स आने में समय लग रहा है. जिला आपूर्ति अधिकारी ने मुख्यालय को पत्र लिखा है. मशीनें ठीक नहीं होने से वितरण में समस्या तो आएगी.''
महज दो इंजीनियरों के भरोसे है पूरा जिला
आपूर्ति विभाग में वितरित की गई पीओएस मशीनों के मेंटनेंस का काम जिस ठेका कंपनी को दिया गया है. उसने दो अधिकृत इंजीनियर जिले में पदस्थ किए हैं. ये इंजीनियर मुख्यालय में ही सेवाएं देते हैं. ऐसे में जिले के ग्रामीण अंचलों के राशन दुकान संचालकों को मशीनों को रिपेयर कराने के लिए छिंदवाड़ा की दौड़ लगानी पड़ती है. एक दुकान संचालक ने बताया कि मशीनों को रिपेयर होने में समय लगता है. निर्धारित समयावधि में राशन वितरण करने के लिए हमें आसपास की राशन दुकानों की मशीनों में कोड बदलकर व्यवस्था बनानी पड़ रही है. मशीनें खराब होने से वितरण व्यवस्था लड़खड़ा जाती है.