छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला जहां पर स्कूल की बिल्डिंग भी है और शिक्षकों की तैनाती भी. लेकिन पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं. यह कोई एक स्कूल का मामला नहीं है बल्कि सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां पर पहली कक्षा में एक भी दाखिला नहीं हुआ है. छिंदवाड़ा में 299 स्कूल ऐसे हैं जहां पर पहली कक्षा में एक भी बच्चे का एडमिशन नहीं हुआ है. वहीं 805 स्कूल ऐसे हैं जिसमें एक या दो ही बच्चे नए एडमिशन में पहुंचे हैं. जिले में कुल 2581 प्रायमरी और मिडिल स्कूल हैं. आखिर क्यों सरकारी स्कूलों से दूरी बना रहे हैं लोग, जानिये.
5 साल में सरकारी स्कूल से 40 हजार बच्चों ने किया किनारा
छिंदवाड़ा जिले में पिछले पांच साल में तकरीबन 40 हजार विद्यार्थियों की संख्या कम हो गई है. सरकारी प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल में खास तौर पर कक्षा पहली के विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बात को कह चुके हैं कि स्कूल बिल्डिंग से लेकर शिक्षक है इसके बाद भी कक्षा पहली में एडमिशन में लेने वालों की संख्या कम हुई है. शिक्षा विभाग की बैठक में विभाग ने जो आंकड़े सामने लाए है उसमें 299 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर कक्षा पहली में एक भी विद्यार्थी ने एडमिशन नहीं लिया है. इसके लिए बीआरसी को नोटिस भी जारी किया गया था, जहां इन स्कूलों में दर्ज संख्या बढ़ाए जाने के लिए कहा गया है.
299 में जीरो, 805 स्कूल में सिर्फ एक या दो विद्यार्थी
छिंदवाड़ा में शिक्षा विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले आए हैं. तकरीबन एक हजार से ज्यादा सरकारी प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल है, जहां पर लगातार विद्यार्थियों की दर्ज संख्या कम हो रही है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 2581 शासकीय प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल हैं. इनमें से 299 स्कूल ऐसे है जहां कक्षा पहली में जीरो, 805 स्कूलों में एक से दो नामांकन, 1106 स्कूल में 0 से 3 और 802 स्कूल में 3 से पांच नामांकन ही हुए हैं. साथ ही 514 स्कूल ऐसे है जहां पर 6 से 10 बच्चों का नामांकन हुआ है और 159 स्कूल ही ऐसे है जिनमें दस से अधिक नामांकन हैं.
पिछले साल की तुलना में साढ़े 7 हजार एडमिशन हुए कम
पिछले कुछ सालों में प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं की दर्ज संख्या कम हो रही है. सबसे ज्यादा कक्षा पहली की दर्ज संख्या पर असर पड़ा है, जहां पिछले साल की तुलना में साढ़े सात हजार एडमिशन कम हुए हैं. पिछले दस सालों से लगातार कक्षा पहली से आठवीं तक की कक्षाओं की दर्ज संख्या का आंकड़ा कम हुआ है. लेकिन इस बीच वर्ष 2022-23 में दर्ज संख्या के आंकड़े में उछाल आया था. यहां पिछले साल की तुलना में करीब पांच हजार अधिक एडमिशन शिक्षा विभाग ने कराया था. हालांकि इसके ठीक बाद साल 2023-24 में यह आंकड़ा घटकर 1 लाख 69 हजार 346 हो गया है.
एजुकेशन क्वालिटी डेवलप नहीं होना सबसे बड़ा कारण
जिला अभिभावक संघ के सदस्य अनुज चौकसे में बताया कि, ''प्राइवेट स्कूल मोटी फीस वसूल रहे हैं लेकिन इसके बाद भी लोग अपने बच्चों को मजबूरी में अच्छी शिक्षा देने के लिए निजी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं. क्योंकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को अधिक सैलरी भी मिलती है और सभी सुविधाएं भी है. लेकिन इसके बाद भी एजुकेशन की क्वालिटी नहीं मिल पाती है. इस वजह से अधिकतर पालक सरकारी स्कूल की जगह पर प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं.''
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सरकारी स्कूलों में दाखिला के लिए चलाया जा रहा अभियान
जिला शिक्षा केन्द्र के डीपीसी जे.के. इड़पाची ने बताया कि, ''कक्षा पहली में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दर्ज संख्या का 25 प्रतिशत में निःशुल्क एडमिशन देना है. जिले में हर साल तकरीबन 4 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों का एडमिशन आरटीई के तहत हो रहा है. फिर भी लगातार स्कूलों में दर्ज संख्या बढ़ाए जाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. जिन स्कूलों की दर्ज संख्या कम है वहां सुधार के लिए कहा गया है.''