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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला, झारखंड के आईएएस अधिकारी समेत 7 लोगों पर केस दर्ज - CG Liquor Scam Case filed

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच अब झारखंड तक पहुंच गई है. इस केस में सात लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया है. जिसमें झारखंड के एक आईएएस अधिकारी शामिल हैं.

CG LIQUOR SCAM CASE FILED
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 27, 2024, 11:28 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की EOW और एसीबी ने झारखंड के एक आईएएस अधिकारी समेत सात लोगों के खिलाफ शराब घोटाले में केस दर्ज किया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने पड़ोसी राज्य में शराब नीति में बदलाव कर कथित तौर पर वहां के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप में यह एफआईआर दर्ज की है. एसीबी के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि झारखंड की राजधानी रांची के निवासी विकास कुमार की शिकायत पर यह कार्रवाई आगे बढ़ी है. इस केस में 7 सितंबर को रायपुर में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया था. इसमें छत्तीसगढ़ के एक रिटायर आईएएस अधिकारी का नाम भी शामिल है.

शराब घोटाले पर किनके ऊपर चल रही कार्रवाई ?: जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं. आईएएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास और अरविंद सिंह के ऊपर भी केस दर्ज किया गया है. ये सभी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. इनमें झारखंड के पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और नोएडा के व्यवसायी विधु गुप्ता शामिल हैं. अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के निदेशक, मैनपावर एजेंसियां, शराब आपूर्तिकर्ता एजेंसियां ​और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.

शराब घोटाले की जांच पहुंची झारखंड: अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, निरंजन दास और अरविंद सिंह कथित शराब घोटाले में आरोपी हैं. जिसकी जांच ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू कर रही है. शराब घोटाला कांग्रेस की पिछली सरकार के समय उजागर हुआ था. इसमें ताजा एफआईआर के मुताबिक टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और दास ने एक सिंडिकेट बनाया और झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर उस राज्य की आबकारी नीति में संशोधन करने की साजिश रची. उन्होंने पड़ोसी राज्य में भारतीय और विदेशी शराब की आपूर्ति के टेंडर सिंडिकेट के सदस्यों को दिए, जिससे धोखाधड़ी हुई. इससे साल 2022 और 2023 के बीच झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.इसके अलावा, सिंडिकेट पर डुप्लीकेट होलोग्राम के साथ बेहिसाब घरेलू शराब बेचने का भी आरोप है. साथ साथ अपने करीबी कंपनियों को अवैध रूप से विदेशी शराब की आपूर्ति आवंटित करने का आरोप है. दस्तावेज के अनुसार, सिंडिकेट ने ऐसी फर्मों से करोड़ों रुपये का अवैध कमीशन प्राप्त किया.

शराब घोटाले के नए एफआईआर में क्या कहा गया ?: शराब घोटाले के एफआईआर में कहा गया है कि अनिल टुटेजा और उनके सिंडिकेट का इरादा झारखंड में अवैध शराब का कारोबार चलाने का था.अपनी योजना के तहत, ढेबर और त्रिपाठी ने जनवरी 2022 में तत्कालीन झारखंड आबकारी सचिव और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी. उन्होंने झारखंड में मौजूदा ठेका प्रणाली को छत्तीसगढ़ के वितरण मॉडल से बदलने का प्रस्ताव रखा, जिससे सिंडिकेट को अवैध धन कमाने में मदद मिली. इस संबंध में, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में एक बैठक हुई. उसके बाद आपराधिक साजिश रचकर एक योजना को अंतिम रूप दिया गया. जिससे कैसे छत्तीसगढ़ में किए गए शराब के कारोबार से झारखंड में भी अवैध लाभ कमाया जाए.

एफआईआर के दस्तावेजों में क्या कहा गया ?: एफआईआर के दस्तावेजों में कहा गया है कि योजना के अनुसार, ढेबर, त्रिपाठी, झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे मिले हुए थे. विनय कुमार चौबे 1999 बैच के आईएएस अधिकारी थे. तत्कालीन संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह ने अपने वरिष्ठों को विश्वास में लेकर पड़ोसी राज्य में नई आबकारी नीति को लागू करने की तैयारी की. एफआईआर में कहा गया है कि झारखंड विधानसभा में इस उद्देश्य के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था और अरुणपति त्रिपाठी को हेमंत सोरेन सरकार ने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया था.

एफआईआर के अनुसार अरुणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू भारतीय और विदेशी शराब बिक्री नीति का मसौदा तैयार किया. उसके बाद उसे झारखंड सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया. इस मसौदे के आधार पर झारखंड में नए आबकारी नियमों को अधिसूचित और लागू किया गया. इसके लिए अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ रुपये मिले. एसीबी और ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया कि विनय कुमार चौबे और तत्कालीन आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के संरक्षण में झारखंड के आबकारी और निषेध विभाग के अधिकारियों ने आगे काम किया. इसके तहत अनवर ढेबर और उसके सिंडिकेट की शराब आपूर्ति और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए टेंडर में हेरफेर की गई. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि शराब थोक विक्रेता लाइसेंस देने की अनिवार्य पात्रता शर्तों में लगातार दो फाइनेंशियल ईयर के लिए शर्त रखी गई. जिसके तहत न्यूनतम 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की शर्त पेश की गई.

सोर्स: पीटीआई

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शराब घोटाले पर किनके ऊपर चल रही कार्रवाई ?: जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं. आईएएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास और अरविंद सिंह के ऊपर भी केस दर्ज किया गया है. ये सभी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. इनमें झारखंड के पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और नोएडा के व्यवसायी विधु गुप्ता शामिल हैं. अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के निदेशक, मैनपावर एजेंसियां, शराब आपूर्तिकर्ता एजेंसियां ​और अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.

शराब घोटाले की जांच पहुंची झारखंड: अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, निरंजन दास और अरविंद सिंह कथित शराब घोटाले में आरोपी हैं. जिसकी जांच ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू कर रही है. शराब घोटाला कांग्रेस की पिछली सरकार के समय उजागर हुआ था. इसमें ताजा एफआईआर के मुताबिक टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और दास ने एक सिंडिकेट बनाया और झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर उस राज्य की आबकारी नीति में संशोधन करने की साजिश रची. उन्होंने पड़ोसी राज्य में भारतीय और विदेशी शराब की आपूर्ति के टेंडर सिंडिकेट के सदस्यों को दिए, जिससे धोखाधड़ी हुई. इससे साल 2022 और 2023 के बीच झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.इसके अलावा, सिंडिकेट पर डुप्लीकेट होलोग्राम के साथ बेहिसाब घरेलू शराब बेचने का भी आरोप है. साथ साथ अपने करीबी कंपनियों को अवैध रूप से विदेशी शराब की आपूर्ति आवंटित करने का आरोप है. दस्तावेज के अनुसार, सिंडिकेट ने ऐसी फर्मों से करोड़ों रुपये का अवैध कमीशन प्राप्त किया.

शराब घोटाले के नए एफआईआर में क्या कहा गया ?: शराब घोटाले के एफआईआर में कहा गया है कि अनिल टुटेजा और उनके सिंडिकेट का इरादा झारखंड में अवैध शराब का कारोबार चलाने का था.अपनी योजना के तहत, ढेबर और त्रिपाठी ने जनवरी 2022 में तत्कालीन झारखंड आबकारी सचिव और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी. उन्होंने झारखंड में मौजूदा ठेका प्रणाली को छत्तीसगढ़ के वितरण मॉडल से बदलने का प्रस्ताव रखा, जिससे सिंडिकेट को अवैध धन कमाने में मदद मिली. इस संबंध में, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में एक बैठक हुई. उसके बाद आपराधिक साजिश रचकर एक योजना को अंतिम रूप दिया गया. जिससे कैसे छत्तीसगढ़ में किए गए शराब के कारोबार से झारखंड में भी अवैध लाभ कमाया जाए.

एफआईआर के दस्तावेजों में क्या कहा गया ?: एफआईआर के दस्तावेजों में कहा गया है कि योजना के अनुसार, ढेबर, त्रिपाठी, झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे मिले हुए थे. विनय कुमार चौबे 1999 बैच के आईएएस अधिकारी थे. तत्कालीन संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह ने अपने वरिष्ठों को विश्वास में लेकर पड़ोसी राज्य में नई आबकारी नीति को लागू करने की तैयारी की. एफआईआर में कहा गया है कि झारखंड विधानसभा में इस उद्देश्य के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था और अरुणपति त्रिपाठी को हेमंत सोरेन सरकार ने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया था.

एफआईआर के अनुसार अरुणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू भारतीय और विदेशी शराब बिक्री नीति का मसौदा तैयार किया. उसके बाद उसे झारखंड सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया. इस मसौदे के आधार पर झारखंड में नए आबकारी नियमों को अधिसूचित और लागू किया गया. इसके लिए अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ रुपये मिले. एसीबी और ईओडब्ल्यू ने आरोप लगाया कि विनय कुमार चौबे और तत्कालीन आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के संरक्षण में झारखंड के आबकारी और निषेध विभाग के अधिकारियों ने आगे काम किया. इसके तहत अनवर ढेबर और उसके सिंडिकेट की शराब आपूर्ति और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए टेंडर में हेरफेर की गई. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि शराब थोक विक्रेता लाइसेंस देने की अनिवार्य पात्रता शर्तों में लगातार दो फाइनेंशियल ईयर के लिए शर्त रखी गई. जिसके तहत न्यूनतम 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की शर्त पेश की गई.

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