नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) के बढ़ते प्रसार के कारण गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान को अलर्ट किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया, "स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन तीन राज्यों को वायरस के प्रसार का पता लगाने और प्रबंधन करने के लिए निगरानी प्रणाली तेज करने के लिए कहा है."
आपको बता दें कि जून की शुरुआत में गुजरात में 15 साल से कम उम्र के बच्चों में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामले सामने आए थे. 20 जुलाई तक, कुल 78 एईएस मामले सामने आए हैं, जिनमें से 75 मामले गुजरात के 21 जिलों से, दो मामले राजस्थान से और एक मामले मध्य प्रदेश से हैं.
इन सभी मामलों में से 28 की मौत हुई है. एनआईवी पुणे में परीक्षण किए गए 76 नमूनों में से 9 में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) के सकारात्मक होने की पुष्टि हुई है. सभी 9 सीएचपीवी पॉजिटिव मामले और 5 संबंधित मौतें गुजरात से हैं.
क्या करता है वायरस - यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, जो संक्रमण के गंभीर परिणामों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. छोटे बच्चों (15 वर्ष से कम उम्र) में तीव्र एन्सेफलाइटिस विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं और इस आयु वर्ग में मृत्यु दर अधिक होती है. चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रबडोविरिडे फैमिली का एक मेंबर है. यह देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों में, खासकर मानसून के मौसम में प्रकोप का कारण बनता है.
क्या कहना है स्वास्थ्य विभाग का - स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक के अंदर एक टीम पूरे मामले पर नजर रख रही है. गुजरात सरकार की सहायता के लिए पहले से ही एनसीडीसी, आईसीएमआर और डीएएचडी की एक मल्टी डिसिप्लिनरी केंद्रीय टीम तैनात की जा रही है. उन्होंने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो हम दूसरे राज्यों में भी और टीमें भेजेंगे."
इसके बारे में बात करते हुए, इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (आईएफईएम) की क्लिनिकल प्रैक्टिस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. टैमोरिश कोइले ने कहा कि यह बीमारी ज्यादातर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है और बुखार जैसी बीमारी के साथ भी मौजूद हो सकती है. उनके अनुसार कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है.
किस तरह से प्रसारित होता है चांदीपुरा वायरस - डॉ कोइले ने ईटीवी भारत को बताया, "चांदीपुरा वायरस के संचरण के लिए सैंडफ्लाई वैक्टर (मच्छर और टिक्स) जिम्मेवार है. यहां की जलवायु और पारिस्थितिक स्थितियां इन मच्छरों के प्रसार में सहायत करती हैं. इन क्षेत्रों में महामारी विज्ञान के अध्ययनों का बेहतर पैटर्न और बेहतर निगरानी के कारण यहां जल्दी पहचान भी हो जाती है."
भारत के अन्य क्षेत्रों में उपयुक्त वैक्टरों की उपस्थिति का मतलब है कि अनुकूल परिस्थितियों में इसी तरह का प्रकोप संभावित रूप से अन्यत्र भी हो सकता है. डॉ. कोइले ने कहा, "देश के अन्य हिस्सों में भविष्य में किसी भी प्रकोप का पता लगाने और उसका प्रबंधन करने के लिए निरंतर निगरानी और निगरानी महत्वपूर्ण है."
डॉ कोइले के अनुसार सीएचपीवी के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए समय पर डॉक्टर से मिलें. हालांकि, कुछ स्टेप्स को फॉलो कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. डॉ. कोइले के अनुसार, इसकी संभावित गंभीरता और विशेष रूप से बच्चों में उच्च मृत्यु दर (50 प्रतिशत से अधिक) के कारण यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय है. वायरस तीव्र एन्सेफलाइटिस का कारण बन सकता है, जिससे तेज बुखार, दौरे और अल्टर्ड चेतना जैसे लक्षण हो सकते हैं, जो तेजी से बढ़ सकते हैं और जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं.
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