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मुंबई एयरपोर्ट पर उड़ानों में देरी के कारणों का मंत्रालय ने लगाया पता, जानें प्रबंधन को दिये क्या सख्त निर्देश

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By ANI

Published : Feb 14, 2024, 8:51 AM IST

Centre Issues Directives To Mumbai Airport : मंत्रालय ने कहा कि एयरपोर्ट ऑपरेटर ही स्लॉट प्रदाता होने के साथ-साथ एयरलाइंस के लिए स्लॉट के प्रबंधक भी होता है. इसलिए उन्हें ही हवाई यातायात को सुव्यवस्थित और विनियमित करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाना चाहिए था. चूंकि उनकी ओर से ऐसी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई इसलिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय को इसमें कदम उठाना पड़ा है.

Centre Issues Directives To Mumbai Airport
प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली : मुंबई हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक की खराब हालत को देखते हुए केंद्र सरकार ने कुछ अहम फैसले लिये हैं. केंद्र सरकार ने व्यस्त समय 'पीक आवर' के दौरान गैर-अनुसूचित उड़ान संचालन सहित कुछ और तरह की उड़ानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बाद हवाई यातायात में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. एयर ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए हवाईअड्डा प्रबंधन पर्याप्त उपाय करने में विफल रहा है. इससे कई तरह की समस्यायें खड़ी हो रही हैं.

मंत्रालय ने कहा कि हवाईअड्डा संचालक ने एयर ट्रैफिक की समस्या को हल करने के लिए कदम नहीं उठाए. उन्हें हवाई यातायात गतिविधियों को सुव्यवस्थित और विनियमित करने के लिए प्रयास करना चाहिए था. लेकिन, उनकी ओर से ऐसा नहीं करने के कारण हमें इस मामले में कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

हवाई अड्डे का संचालन मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) की ओर से किया जाता है. मंत्रालय ने कहा कि हवाईअड्डा अपने रनवे पर भीड़भाड़ और अतिरिक्त बोझ ग्रस्त है. जिससे अनजाने में एयर ट्रैफिक में काफी समस्यायें उत्पन्न हो रहीं हैं. इस कारण से उड़ानों को लगभग 40-60 मिनट की लंबी अवधि के लिए शहर के ऊपर मंडराने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

मंत्रालय ने आगे कहा कि यह देखते हुए कि एक विमान औसतन प्रति घंटे 2000 किलोग्राम ईंधन की खपत करता है, चक्कर लगाने की इतनी लंबी अवधि के कारण विमानों के लिए 1.7 किलोलीटर ((1700 किलोग्राम)) जेट ईंधन (लगभग 1.8 लाख रुपये की लागत) तक ईंधन की महत्वपूर्ण बर्बादी होती है. हवा में चक्कर लगाने में 40 मिनट का समय लगता है और 60 मिनट में चक्कर लगाने में लगभग 2.5 किलोलीटर (2500 किलोग्राम) जेट ईंधन (लगभग 2.6 लाख रुपये की लागत) लगता है.

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह समझा जाना चाहिए कि ईंधन की लागत में इस तरह की वृद्धि अंततः उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ायेगी. इसका हवाई अड्डों के संचालन की दक्षता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है. अत्यधिक देरी के कारण यात्रियों और एयरलाइंस दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

हवाई क्षेत्र की ऐसी भीड़ को दूर करने के लिए, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) की ओर से एक विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि हाई इंटेंसिटी रनवे ऑपरेशंस (HIRO) के 6 घंटे यानी सुबह 8 बजे से 11 बजे और शाम के 5 से रात्रि 8 बजे तक सबसे अधिक व्यस्त रहा. इन छह घंटों में दिन के शेष 18 घंटों के बराबर का एयर ट्रैफिक दर्ज किया गया. उपरोक्त स्लॉट के अलावा, सामान्य विमानन और सैन्य विमान संचालन को भी बिना किसी प्रतिबंध के अनुमति दी गई है.

एयर ट्रैफिक में बढ़ोतरी के कारणों की पहचान भी की गई है. इनमें, सीमित समय मार्जिन के साथ अत्यधिक स्लॉट वितरण, एयरलाइंस की ओर से स्लॉट का पालन न करना और पीक आवर्स के दौरान गैर-निर्धारित संचालन प्रमुख हैं. केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि जबकि हवाईअड्डा पूरी क्षमता से काम कर रहा है हवाईअड्डा संचालक को हवाई यातायात गतिविधियों को विनियमित करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए.

इसमें आगे कहा गया कि यह कार्रवाई हवाई क्षेत्र की सुरक्षा, संचालन की दक्षता और यात्री संतुष्टि के दृष्टिकोण से व्यापक जनहित में की गई है. मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार को एहसास है कि उसे हवाईअड्डा संचालकों और एयरलाइंस दोनों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि यात्रियों को मुंबई हवाईअड्डे से उड़ान भरते समय एक संतुष्टिदायक अनुभव मिले.

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नई दिल्ली : मुंबई हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक की खराब हालत को देखते हुए केंद्र सरकार ने कुछ अहम फैसले लिये हैं. केंद्र सरकार ने व्यस्त समय 'पीक आवर' के दौरान गैर-अनुसूचित उड़ान संचालन सहित कुछ और तरह की उड़ानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बाद हवाई यातायात में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. एयर ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए हवाईअड्डा प्रबंधन पर्याप्त उपाय करने में विफल रहा है. इससे कई तरह की समस्यायें खड़ी हो रही हैं.

मंत्रालय ने कहा कि हवाईअड्डा संचालक ने एयर ट्रैफिक की समस्या को हल करने के लिए कदम नहीं उठाए. उन्हें हवाई यातायात गतिविधियों को सुव्यवस्थित और विनियमित करने के लिए प्रयास करना चाहिए था. लेकिन, उनकी ओर से ऐसा नहीं करने के कारण हमें इस मामले में कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

हवाई अड्डे का संचालन मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एमआईएएल) की ओर से किया जाता है. मंत्रालय ने कहा कि हवाईअड्डा अपने रनवे पर भीड़भाड़ और अतिरिक्त बोझ ग्रस्त है. जिससे अनजाने में एयर ट्रैफिक में काफी समस्यायें उत्पन्न हो रहीं हैं. इस कारण से उड़ानों को लगभग 40-60 मिनट की लंबी अवधि के लिए शहर के ऊपर मंडराने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

मंत्रालय ने आगे कहा कि यह देखते हुए कि एक विमान औसतन प्रति घंटे 2000 किलोग्राम ईंधन की खपत करता है, चक्कर लगाने की इतनी लंबी अवधि के कारण विमानों के लिए 1.7 किलोलीटर ((1700 किलोग्राम)) जेट ईंधन (लगभग 1.8 लाख रुपये की लागत) तक ईंधन की महत्वपूर्ण बर्बादी होती है. हवा में चक्कर लगाने में 40 मिनट का समय लगता है और 60 मिनट में चक्कर लगाने में लगभग 2.5 किलोलीटर (2500 किलोग्राम) जेट ईंधन (लगभग 2.6 लाख रुपये की लागत) लगता है.

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह समझा जाना चाहिए कि ईंधन की लागत में इस तरह की वृद्धि अंततः उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ायेगी. इसका हवाई अड्डों के संचालन की दक्षता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है. अत्यधिक देरी के कारण यात्रियों और एयरलाइंस दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

हवाई क्षेत्र की ऐसी भीड़ को दूर करने के लिए, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) की ओर से एक विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि हाई इंटेंसिटी रनवे ऑपरेशंस (HIRO) के 6 घंटे यानी सुबह 8 बजे से 11 बजे और शाम के 5 से रात्रि 8 बजे तक सबसे अधिक व्यस्त रहा. इन छह घंटों में दिन के शेष 18 घंटों के बराबर का एयर ट्रैफिक दर्ज किया गया. उपरोक्त स्लॉट के अलावा, सामान्य विमानन और सैन्य विमान संचालन को भी बिना किसी प्रतिबंध के अनुमति दी गई है.

एयर ट्रैफिक में बढ़ोतरी के कारणों की पहचान भी की गई है. इनमें, सीमित समय मार्जिन के साथ अत्यधिक स्लॉट वितरण, एयरलाइंस की ओर से स्लॉट का पालन न करना और पीक आवर्स के दौरान गैर-निर्धारित संचालन प्रमुख हैं. केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि जबकि हवाईअड्डा पूरी क्षमता से काम कर रहा है हवाईअड्डा संचालक को हवाई यातायात गतिविधियों को विनियमित करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए.

इसमें आगे कहा गया कि यह कार्रवाई हवाई क्षेत्र की सुरक्षा, संचालन की दक्षता और यात्री संतुष्टि के दृष्टिकोण से व्यापक जनहित में की गई है. मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार को एहसास है कि उसे हवाईअड्डा संचालकों और एयरलाइंस दोनों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि यात्रियों को मुंबई हवाईअड्डे से उड़ान भरते समय एक संतुष्टिदायक अनुभव मिले.

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