नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने और शांति व सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने में संलिप्तता के लिए आतंकवादी समूह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगा प्रतिबंध को सोमवार को पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि आतंकवाद को 'बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने (जीरो टॉलरेंस)' के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए, सिमी को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत पांच साल की अवधि के लिए 'विधि विरुद्ध संगठन' घोषित किया गया है.
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‘Students Islamic Movement of India (SIMI)’ declared as an 'Unlawful Association' for a further period of five years under the UAPA: Home Minister's Office pic.twitter.com/LqIYemvM6F
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— ANI (@ANI) January 29, 2024
कम से कम 10 राज्य सरकारों आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ने यूएपीए के प्रावधानों के तहत सिमी को 'विधि विरुद्ध संगठन' घोषित करने की सिफारिश की है. सिमी पर पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था. तब से हर पांच साल में प्रतिबंध बढ़ाया जाता रहा है. सिमी पर पिछला प्रतिबंध 31 जनवरी, 2019 को लगाया गया था.
शाह ने कहा, 'सिमी को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति व सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल पाया गया है.' केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि सिमी अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को जारी रखे हुए है और अपने कार्यकर्ताओं को फिर से संगठित कर रहा है, जो अब भी फरार हैं. अधिसूचना में कहा गया है कि यह समूह साम्प्रदायिकता, वैमनस्य पैदा करके, राष्ट्र-विरोधी भावनाओं के प्रचार, उग्रवाद का समर्थन करके देश की अखंडता व सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहा है.
अधिसूचना में कहा गया है, 'सिमी ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं और शांति व सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित कर सकती हैं. उपर्युक्त कारणों से केंद्र सरकार का मानना है कि सिमी की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, समूह को तत्काल प्रभाव से पांच साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित करना आवश्यक है.'
गृह मंत्रालय ने पिछले कुछ वर्षों में लगभग 17 आतंकी मामलों का भी हवाला दिया, जिनमें सिमी कार्यकर्ता कथित रूप से शामिल थे. अधिसूचना में पूर्व सिमी कार्यकर्ता एआर कुरैशी के खिलाफ एनआईए मामले का उल्लेख किया गया है, जिसने इस्लामिक जिहाद के लिए अपने सहयोगियों के साथ आईएसआईएस में शामिल होने और भारत में लक्षित हत्याओं को अंजाम देने की साजिश रची थी.
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