नई दिल्ली : 'अबकी बार एनडीए 400 के पार' पीएम मोदी ने ये बात राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के तौर पर कही. मगर प्रधानमंत्री के इस भाषण से देश में सियासत जोर-शोर से शुरू हो गई है. ऐसा नहीं कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद ही ध्रुवीकरण की बात की शुरुआत हुई है. भाजपा से ज्यादा इसकी पहल विपक्षी पार्टियों ने राम मंदिर के न्योते को ठुकराकर की है.
सभी विपक्षी दलों ने इसके निमंत्रण को अस्वीकार कर इसे चुनावी एजेंडा बताया और मोदी समारोह का नाम दे दिया. इस मुद्दे पर शिवसेना और कुछ ऐसी पार्टियां, जो फायदा भी उठा सकती थीं उन्होंने भी अपने गठबंधन के साथियों का ही साथ दिया. फिर क्या था ठीक इसके बाद अदालत से आए ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर पूजा का हक मिलना, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के मामला, यूसीसी, पूजास्थल कानून 1991 को खत्म करने की मांग. ये तमाम मुद्दे एक के बाद एक आते गए. और पीएम के लोकसभा में दिए गए भाषण ने तो एजेंडा ही सेट कर दिया.
ये तमाम मुद्दे अब विकास कार्यों या बुनियादी बातों को छोड़ 2024 के लिए एक बड़े राजनीतिक मुद्दों के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं. हालांकि भाजपा ये बार-बार कह रही है कि ये राजनीतिक नही बल्कि धर्म और आस्था का मामला है, मगर कहीं ना कहीं तमाम विकास कार्यों के ऊपर ये मुद्दे हावी होते जा रहे हैं. सवाल ये उठ रहा है कि क्या 2024 का चुनाव पूरी तरह से पोलराइजेशन या ध्रुवीकरण की राजनीति पर आकर ही टिक जाएगा. जहां 2014 बीजेपी यूपीए के भ्रष्टाचार के नाम पर जीती. 2019 देश में विकास कार्यों के नाम जीती वहीं 2024 ऐसा लगता है कि पार्टी वोटों के ध्रुवीकरण और विकास दोनों के मिले जुले समीकरण के साथ तालमेल बिठाते हुए जीतना चाहती है. यही वजह है कि इस बार लक्ष्य 300 से भी आगे सेट किया गया है.
बीजेपी ने 2024 के लिए मोदी की गारंटी का नारा दिया है. साथ ही अबकी बार 400 पार के नारे को भी बुलंद किया है, लेकिन विपक्ष बार-बार अब विकास के मुद्दों पर सवाल उठाने के बजाय यूसीसी, ज्ञानवापी, मथुरा जैसे मुद्दे जो धार्मिक चश्मे पर नंबर के हिसाब से फिट बैठ रहे हों उन्ही मुद्दों को तूल दे रहा है. यानी कुल मिलाकर 2024 का एजेंडा सत्तापक्ष नहीं बल्कि विपक्ष ने भी ध्रुवीकरण की राजनीति पर ही लाकर फिक्स कर दिया है.
हालांकि पीएम ने 'एनडीए 400 पार' का नारा दिया है, मगर समीकरण राज्यों में अलग-अलग है. यदि बीजेपी को एनडीए के साथ मिलकर 400 पार लाना भी है तो दक्षिण और कुछ और राज्यों में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
दक्षिण में चुनौती : यदि दक्षिण के चार राज्यों को छोड़ भी दें तो पार्टी को बंगाल,ओडिशा के साथ-साथ पूर्वोत्तर की सभी 25 सीटों पर जीतना जरूरी होगा. यही नहीं दक्षिण राज्यों में जहां पार्टी हालांकि काफी पहले से मेहनत में जुटी है, वहां भीं उन्हें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में भी कम से कम दहाई अंक में सीटें लानी जरूरी होंगी. बिहार, यूपी, बंगाल और महाराष्ट्र में पिछले चुनाव की अपेक्षा कम से कम 30 प्रतिशत सीटें अधिक लानी होंगी तभी पार्टी 400 पार के नारे को पूरी कर सकती है.
यदि देखा जाए तो बीजेपी जो 400 पार का नारा दे रही है उसकी डगर इतनी भी आसान नही दिख रही. इसके लिए पार्टी यदि उत्तर भारत की कश्मीर से लेकर बिहार तक की सभी सीटें जीत भी जाती है तो भी उसे 245 सीटें मिलेंगी. मगर लोकतंत्र में ऐसा संभव नहीं है. 400 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए पार्टी को केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी कम से कम 10-10सीटें जीतनी होंगी जो फिलहाल बहुत आसान नजर नहीं आ रहा. इस बार बीजेपी को कर्नाटक में भी जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है और 4 सीटों को उन्हें जेडीए के साथ भी साझा करना होगा.
8 राज्यों में लोकसभा की कुल 132 सीटें : कुल मिलाकर देखा जाए तो दक्षिण में केंद्र शासित प्रदेश समेत कुल 8 राज्य हैं. इन 8 राज्यों में लोकसभा की कुल 132 सीटें हैं. 2014 में बीजेपी को 132 में से सिर्फ 22 सीटें मिली थीं, लेकिन 2019 में बढ़कर ये 29 हो गई थीं. दक्षिण की 132 में से 84 सीटों पर बीजेपी आज तक कभी भी जीत नही पाई है. बहरहाल इस बार पार्टी इन राज्यों में एक बार फिर गठबंधन करने की कोशिश में जरूर है. कुछ राज्यों में जहां गठबंधन हो चुका है वहीं कुछ राज्यों में प्रक्रिया चल रही है. बहरहाल पीएम के लोकसभा में दिए गए वक्तव्य ने कहीं ना कहीं विपक्ष और I.N.D.I.A अलायंस की मुश्किलें जरूर बढ़ा दी हैं.
इस मुद्दे पर बोलते हुए पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा कि 'पीएम ने जो कहा है वो चौबीस के चुनाव में जमीन पर दिख जाएगा. विपक्ष ने तो पहले ही हार मान ली है और जहां तक I.N.D.I.A गठबंधन की बात है, गठबंधन रहा कहां , कुछ पार्टियां हैं. लिट्टी-चोखा, इडली, सांभर और छोले भटूरे खाए गए और गठबंधन खत्म. मगर मोदी सरकार ने लोगों को विकास दिया है. मुफ्त अनाज, स्वास्थ्य सुविधाएं सड़कें अनगिनत चीजें दी हैं. मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ से छुटकारा दिलवाया है इसलिए देश में पीएम मोदी के अलावा लोगों को कोई विकल्प दिख ही नहीं रहा. एनडीए बड़ी आसानी से 400 पार सीटें लाएगी.