नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को हौरान कर दिया है. चुनाव के नतीजे आने से पहले हर कोई यह मान रहा था कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार जा रही है. हालांकि, शुरुआती रुझाने के बाद लगभग यह साफ हो गया है कि राज्य में भगवा पार्टी जीत की हैट्रिक लगाने जा रही है.
हरियाणा के नतीजों ने तमाम एग्जिट पोल और राजनीति पंडितों को गलत साबित कर दिया है. जहां एग्जिट पोल कांग्रेस की प्रचंड जीत का दावा कर रहे था, तो वहीं एक्सपर्ट भी कांग्रेस की जीत निश्चित मान रहे थे. हालांकि, बीजेपी ने इन सभी दावों को साइडलाइन करते हुए इतिहास रच दिया.
हालांकि, बीजेपी ने लगभग असंभव लग रही हार को यूं जीत में नहीं बदला, बल्कि इसके पीछे का एक पुराना फॉर्मूला है, जिसने न सिर्फ हरियाणा में भगवा पार्टी को जीत दिलाई, बल्कि एंटी इंकम्बेंसी जैसे मुद्दों का समाधान कर दिया. बता दें कि चुनाव से पहले राज्य में पिछड़ती दिख रही बीजेपी ने इलेक्शन से 7 महीने पहले ऐसा दांव चला कि जीत का ख्वाब देख रही कांग्रेस एक बार चारों खाने चित्त हो गई.
हरियाणा में बदल दिया मुख्यमंत्री
गौरतलब है बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से लगभग 7 महीने पहले तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर को पद से हटा दिया था और सूबे की कमान मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सौंप दी थी. हरियाणा राज्यसभा के जो नतीजों से सामने आए उससे साफ पता चलता है कि नायब सिंह सैनी पर जनता ने भरोसा जताया है. इसके साथ ही बीजेपी इस बार अपने दम पर सरकार बनाती दिखाई दे रही है.
कई राज्यों में हिट रहा फॉर्मूला
बता दें यह कोई पहला मौका नहीं है, जब बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के सीएम को बदल कर नए चेहरे के साथ जनता के बीच पहुंची है. इससे पहले भी बीजेपी ने यह फॉर्मूला कई राज्यों में अपनाया था और सफलता हासिल की.
हरियाणा से पहले बीजेपी ने 2021 में यही प्रयोग गुजरात में किया था. पार्टी ने उस समय तत्कालीन सीएम विजय रुपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया था. इसके बाद पार्टी ने उत्तराखंड में भी यही फॉर्मूला अपनाया और 2021 में तीरथ सिंह रावत को हटाकर सूबे की कमान पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी थी. इसी तरह त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बिप्लब देव को हटाकर मणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया था और सत्ता में वापसी की थी.
2019 में हरियाणा में बहुमत से दूर रह गई थी बीजेपी
उल्लेखनीय है बीजेपी ने 2019 में खट्टर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी. हालांकि, उस समय बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था. इसके बाद पार्टी ने जेजेपी के समर्थन से सरकार बना ली. ऐसे में इस बार बीजेपी ने कोई रिस्क नहीं लिया और राज्य में मुख्यमंत्री बदल दिया और अब नतीजा सबके सामने है.
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