नई दिल्ली: पीएम मोदी ने नारा दिया है कि 'अबकी बार 400 पार' और पीएम के इस नारे के साथ ही बीजेपी के रणनीतिकारों ने इसे पूरा करने के लिए कई चरणों की योजना तैयार कर ली है, जिसमें पार्टी उन राज्यों में जहां जीत निश्चित है, उनसे इतर उन राज्यों पर पहले चरण में ज्यादा ध्यान देगी, जहां पिछली बार सीटें या तो नहीं मिल पाई थीं या फिर उम्मीद से कम सीटें मिली थीं. सूत्रों की माने तो इस लोकसभा सीटों पर पार्टी द्वारा सबसे ज्यादा पीएम के कार्यक्रम लगाए जाएंगे.
इसके लिए पार्टी ने अभी से अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें पार्टी के दिग्गज नेताओं सहित एनडीए गठबंधन के दिग्गजों के कार्यक्रम भी लगाए जाएंगे. पार्टी इसे पूरा करने के लिए जहां यूपी में आरएलडी को गठबंधन में वापिस लेकर आई है, वहीं बिहार में भी पुराने सहयोगी नीतीश कुमार अब कदम-ताल मिला रहे हैं. सूत्रों की माने तो पार्टी अन्य राज्यों में भी सहयोगियों को जोड़ रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस भी भाजपा के संपर्क में है. इसी तरह दक्षिण में टीडीपी और कुछ और पार्टियां भी भाजपा के संपर्क में हैं. इसी तरह केरल में पार्टी की नजर ईसाई नेताओं के माध्यम से लोगों के दिल तक जगह बनाने की है. साथ ही हाल ही में केरल की स्थानीय पार्टी जिसके अंतर्गत कई ईसाई नेताओं को पार्टी से जोड़ा भी जा चुका है, जिसमें केरल जनपक्षम सेकुलर ने अपनी पार्टी को बीजेपी में विलय भी कर दिया है.
पिछले चुनाव में पार्टी को कर्नाटक में 28 में से 25 सीटें मिली थी, जबकि तेलंगाना में 17 में से 4 सीटों पर बीजेपी काबिज हो पाई थी, जिससे पार्टी का उत्साह काफी बढ़ा था. मगर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में पार्टी का वोट शेयर तो बढ़ा था, मगर सीटें नहीं मिल पाई थीं. इसलिए इस बार बीजेपी मुख्य तौर पर दक्षिण की सीटों पर और ज्यादा आक्रामक और फोकस कर प्रचार प्रसार करना चाहती है.
ये आक्रामकता बंगाल सहित कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अभी से देखने को मिल रहा है. यदि बात करें केरल की तो बीजेपी इस बार केरल की 4 लोकसभा सीटों पर जी-जान लगा चुकी है, जिसमें त्रिशूर, पथनाम्भित्ता, तिरुवनंतपुरम और अटिंगल लोकसभा सीटों पर जमकर मेहनत कर रही है. इसी तरह बीजेपी की नजर तमिलनाडु की 7 सीटों पर है, जिसमें रामनाथपुरम, शिवगंगा, मदुरै, थेनी, विरुधनगर, कन्याकुमारी और थूथुकुडी लोकसभा सीट शामिल हैं.
आंध्र प्रदेश में बीजेपी का गठबंधन पहले से ही पवन कल्याण की पार्टी जनसेना के साथ है और पार्टी पुरानी सहयोगी टीडीपी को भी वापिस लाने का पूरा इंतजाम कर चुकी है. दोनों पार्टी के नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी है. यहां से 25 सीटें हैं, जहां भाजपा इस कोशिश में है कि 7 से 8 सीटें पार्टी की झोली में आ जाएं. कूल मिलाकर तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु की 101 सीटों में से बीजेपी की कुल 28 सीटों पर नजर है.
इसी मिशन को पूरा करने के लिए पीएम 27 और 28 फरवरी को तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र के दौरे पर हैं और इस दौरे में पीएम के ताबड़तोड़ कार्यक्रम लगाए गए हैं. इसी तरह बंगाल में बीजेपी ने जिस तरह से संदेशखाली घटना पर मोर्चा संभाला है और ममता सरकार को हिंदू और महिला विरोधी बता रही है, इससे राज्य में अभी से ध्रुवीकरण की राजनीति की शुरुआत हो चुकी है.
भाजपा की कोर वोटर हो चुकी महिला वोटरों को रिझाने के लिए पार्टी उनके लिए लाए गए नारी अधिनियम वंदन विधेयक का सहारा तो ले ही रही है, साथ ही पार्टी की नजर करोड़ों की सांख्या में पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं पर भी है, जिनमें से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा युवा मतदाताओं का दिल पीएम जीत चुके हैं. यही वजह है कि इस बार भी लोकसभा के चुनाव प्रधानमंत्री को ही सेंटर में रखकर पार्टी लड़ेगी.
इस बात की घोषणा खुद पीएम ने अधिवेशन में कर दी है, जिसमें उन्होंने साफ कहा था कि हम चुनाव सिर्फ कमल कैंडिडेट पर लड़ रहे हैं. इस मुद्दे पर पार्टी के नेता आरपी सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री पूरे देश की जनता के रोल मॉडल हैं और ये वो लोगों के लिए काम कर बने हैं, ऐसे नहीं. चाहे महिला हो, युवा हो, या फिर पिछड़ी जाति या आदिवासी क्षेत्र से आने वाली जातियां ही क्यों ना हों, हमारी सरकार ने सबके कल्याण के लिए काम किया है, इसलिए वो कमल पर ही वोट देंगे, ऐसा उनका विश्वास है.