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रुला गया साल 2024, बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा - BIHAR YEAR ENDER 2024

साल 2024 खत्म होने को है. इस साल बिहार ने अपनी सुरों की मल्लिका को खो दिया. जानें शारदा सिन्हा के बारे में.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
साल 2024 में शारदा सिन्हा का निधन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 24, 2024, 12:27 PM IST

पटना: साल 2024 में बिहार के कला जगत को बड़ा नुकसान हुआ. बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया. छठ पर्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली गायिका शारदा सिन्हा का निधन भी छठ त्यौहार के दौरान हुआ.

शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा: शारदा सिन्हा ने अपने गीतों के जरिए बॉलीवुड में भी अलग पहचान बनाई थी. छठ पर्व को बिहार के महान पर्व में शुमार किया जाता है . लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों के बगैर छठ पर्व अधूरा माना जाता है.

शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा (ETV Bharat)

छठ पर्व को दिलाई पहचान: छठ पर्व का एहसास लोगों को तब होता है, जब छठी मैया पर शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए गीत लोगों के कानों में मिठास घोलते हैं. छठी मैया के लिए शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए लोकगीतों ने उन्हें अमर कर दिया.

छठ के दौरान शारदा सिन्हा को मिला मोक्ष: 72 साल की उम्र में शारदा सिन्हा दुनिया छोड़ गईं. कैंसर रोग से पीड़ित होने के चलते शारदा सिन्हा का अंतिम वक्त कष्ट में गुजरा और दिल्ली एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली. शारदा सिन्हा ने मौत से पहले भी छठी मैया के गीत गुनगुनाए थे. छठ पर्व के दौरान ही छठी मैया ने शारदा सिन्हा को अपने पास बुलाया.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
शारदा सिन्हा (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

सुपौल की रहने वाली थी शारदा सिन्हा: 1 अक्टूबर 1952 को सुपौल के हुलास गांव में शारदा सिन्हा का जन्म हुआ.लेकिन लंबे समय से पटना के राजेंद्र नगर में ही उनका आशियाना था. समस्तीपुर कॉलेज में वह संगीत की प्राध्यापक भी थी. शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड सिनेमा के लिए गाने तो गए लेकिन उनका जुड़ाव बिहार से रहा. बिहार को ही उन्होंने केंद्र बनाए रखा. मुंबई शिफ्ट करना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा. लोक गायन पर ही खुद को कंसंट्रेट की रखा.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा (ETV Bharat)

पद्मश्री से सम्मानित: शारदा सिन्हा को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले. भारत सरकार ने उन्हें विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया.1995 में शारदा सिन्हा को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था 1 अक्टूबर 1952 को जन्मे शारदा सिन्हा ने 5 नवंबर 2024 को अंतिम सांस ली . शारदा सिन्हा ने हिंदी भोजपुरी, वज्जिका ,अंगिका और मगही में कई गीत गए उनके गाये गए गीत आज भी लोगों को उनके होने का एहसास कराती है.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

इन हिंदी फिल्मों में गाए थे गाने: शारदा सिन्हा ने 1989 में सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म मैंने प्यार किया के लिए गाने गए थे. कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया खूब पॉपुलर हुआ था. शारदा सिन्हा ने हम आपके हैं कौन फिल्म के लिए भी गीत गए थे. शारदा सिन्हा ने विदाई गीत के जरिए लोगों की खूब तारीफें बटोरी थी. इसके अलावा गैंग ऑफ वासेपुर फिल्म के लिए भी शारदा सिन्हा ने गाने गए थे.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
शारदा सिन्हा (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

शारदा सिन्हा जैसे कलाकार बार-बार नहीं आते हैं. शारदा दीदी ने अपने गायन से अलग मुकाम हासिल किया. शारदा दीदी भले ही आज हमारे बीच में ना हो लेकिन उनके गीत हमेशा उनके होने का एहसास कराते रहेंगे. लोक गायन के क्षेत्र में शारदा दीदी के आसपास भी कोई नहीं है. हम जैसे कलाकार उनकी पूजा ही कर सकते हैं."- सत्येंद्र संगीत, लोक गायक

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पटना: साल 2024 में बिहार के कला जगत को बड़ा नुकसान हुआ. बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया. छठ पर्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली गायिका शारदा सिन्हा का निधन भी छठ त्यौहार के दौरान हुआ.

शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा: शारदा सिन्हा ने अपने गीतों के जरिए बॉलीवुड में भी अलग पहचान बनाई थी. छठ पर्व को बिहार के महान पर्व में शुमार किया जाता है . लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों के बगैर छठ पर्व अधूरा माना जाता है.

शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा (ETV Bharat)

छठ पर्व को दिलाई पहचान: छठ पर्व का एहसास लोगों को तब होता है, जब छठी मैया पर शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए गीत लोगों के कानों में मिठास घोलते हैं. छठी मैया के लिए शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए लोकगीतों ने उन्हें अमर कर दिया.

छठ के दौरान शारदा सिन्हा को मिला मोक्ष: 72 साल की उम्र में शारदा सिन्हा दुनिया छोड़ गईं. कैंसर रोग से पीड़ित होने के चलते शारदा सिन्हा का अंतिम वक्त कष्ट में गुजरा और दिल्ली एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली. शारदा सिन्हा ने मौत से पहले भी छठी मैया के गीत गुनगुनाए थे. छठ पर्व के दौरान ही छठी मैया ने शारदा सिन्हा को अपने पास बुलाया.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
शारदा सिन्हा (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

सुपौल की रहने वाली थी शारदा सिन्हा: 1 अक्टूबर 1952 को सुपौल के हुलास गांव में शारदा सिन्हा का जन्म हुआ.लेकिन लंबे समय से पटना के राजेंद्र नगर में ही उनका आशियाना था. समस्तीपुर कॉलेज में वह संगीत की प्राध्यापक भी थी. शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड सिनेमा के लिए गाने तो गए लेकिन उनका जुड़ाव बिहार से रहा. बिहार को ही उन्होंने केंद्र बनाए रखा. मुंबई शिफ्ट करना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा. लोक गायन पर ही खुद को कंसंट्रेट की रखा.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा (ETV Bharat)

पद्मश्री से सम्मानित: शारदा सिन्हा को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले. भारत सरकार ने उन्हें विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया.1995 में शारदा सिन्हा को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था 1 अक्टूबर 1952 को जन्मे शारदा सिन्हा ने 5 नवंबर 2024 को अंतिम सांस ली . शारदा सिन्हा ने हिंदी भोजपुरी, वज्जिका ,अंगिका और मगही में कई गीत गए उनके गाये गए गीत आज भी लोगों को उनके होने का एहसास कराती है.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

इन हिंदी फिल्मों में गाए थे गाने: शारदा सिन्हा ने 1989 में सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म मैंने प्यार किया के लिए गाने गए थे. कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया खूब पॉपुलर हुआ था. शारदा सिन्हा ने हम आपके हैं कौन फिल्म के लिए भी गीत गए थे. शारदा सिन्हा ने विदाई गीत के जरिए लोगों की खूब तारीफें बटोरी थी. इसके अलावा गैंग ऑफ वासेपुर फिल्म के लिए भी शारदा सिन्हा ने गाने गए थे.

FOLK SINGER SHARDA SINHA
शारदा सिन्हा (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

शारदा सिन्हा जैसे कलाकार बार-बार नहीं आते हैं. शारदा दीदी ने अपने गायन से अलग मुकाम हासिल किया. शारदा दीदी भले ही आज हमारे बीच में ना हो लेकिन उनके गीत हमेशा उनके होने का एहसास कराते रहेंगे. लोक गायन के क्षेत्र में शारदा दीदी के आसपास भी कोई नहीं है. हम जैसे कलाकार उनकी पूजा ही कर सकते हैं."- सत्येंद्र संगीत, लोक गायक

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