पटनाः लोकसभा चुनाव को लेकर शंखनाद हो चुका है. दावेदार मैदान में उतरने को तैयार हैं. बिहार मूल के पूर्व आईपीएस भी मैदान में हैं. इसमें दो अधिकारी काफी पहले रिटायर हो चुके हैं और तीसरे ने हाल में अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा, बीके रवि और करुणा सागर मैदान में पसीना बहा रहे हैं.
बीजेपी ने नहीं दिया टिकट: बक्सर जिले के रहने वाले आनंद मिश्रा 2011 बैच के असम कैडर के पूर्व आईपीएस हैं. हाल के दिनों में वे असम राज्य के लखीमपुर जिले में एसपी के रूप में तैनात थे. 16 जनवरी 2024 को उन्होंने इस्तीफा देने के बाद अपने गृह जिला बक्सर आ गए. ईटीवी भारत से बातचीत में आनंद मिश्रा ने बताया कि बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं से संपर्क किया. पहले तो टिकट मिलने का आश्वासन मिला लेकिन टिकट नहीं मिला.
निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे आनंद मिश्राः विडंबना यह रही बक्सर लोकसभा सीट पर मिथिलेश तिवारी को भाजपा ने टिकट दे दिया. आनंद मिश्रा बे-टिकट हो गए. आनंद मिश्रा ने बताया कि अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने बताया कि बाल कल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े रहे. संघ की बदौलत उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद थी. बिहार के नेताओं के दाव पेंच के चलते उन्हें टिकट नहीं मिल पाई.
"मैं बक्सर की जनता का सेवा करना चाहता था. पहले कई एनजीओ के साथ जुड़कर मैने काम किया लेकिन कुछ बड़ा करने के लिए राजनीति में आना जरूरी समझा. इसलिए मैंने इस्तीफा देकर बिहार आ गया. अब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर काम करूंगा." -आनंद मिश्रा, पूर्व आईपीएस
समस्तीपुर से दावा कर रहे बीके रविः तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी बीके रवि ने बड़े ताम झाम के साथ राजनीति में दस्तक दी थी. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने उन्हें कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई. बीके रवि समस्तीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. शुरुआती दौर में उन्होंने इशारा भी किया था. वर्तमान परिस्थितियों में समस्तीपुर सीट कांग्रेस के खाते में है. बीके रवि के नाम पर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है. हालांकि अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है.
तमिलनाडु में डीजीपी रह चुके हैं बीके रविः आपको बता दें कि बीके रवि 1988 बैच के तमिलनाडु कैडर के पूर्व आईपीएस ऑफिसर हैं. इन्होंने राजनीति में आने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है. 3 महीने पहले उन्होंने सेवा निवृत्ति के लिए अप्लाई किया था. तमिलनाडु में डीजीपी भी रह चुके हैं. अब समस्तीपुर की जनता का सेवा करना चाहते हैं.
"बिहार हमारी जन्मभूमि रही है. जन्मभूमि से मेरा जुड़ाव रहा है. मैं नौकरी के लिए तमिलनाडु गया था लेकिन सेवा के लिए बिहार लौटा हूं. समस्तीपुर की जनता का मैं सेवा करना चाहता हूं और पिछले कुछ साल से मैं इस इलाके से जुड़ा हुआ हूं. टिकट को लेकर फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है. नेतृत्व का जो भी फैसला होगा मंजूर होगा." -बीके रवि, पूर्व आईपीएस
राजद से टिकट की आस में करुणा सागरः एक नाम करुणा सागर भी है जो मैदान में उतरे हैं. आईपीएस करुणा सागर पटना जिले के धमौल गांव के निवासी हैं. पहले पटना विश्वविद्यालय और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. इसके बाद भारतीय पुलिस सेवा में चले गए. 1991 बैच के तमिलनाडु कैडर के पूर्व आईपीएस ऑफिसर करुणा सागर ने भी बिहार की राजनीति के बैटल फील्ड में उतरने का फैसला लिया.
जहानाबाद से चुनाव लड़ने की इच्छाः करुणा सागर जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता भी ली. तेजस्वी यादव के साथ वे संपर्क में भी हैं लेकिन मिल रही जानकारी के मुताबिक जहानाबाद लोकसभा सीट पर पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव का टिकट फाइनल कर दिया गया है. संभव है कि करुणा सागर को किसी दूसरे लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतर जा सकता है. हालांकि इसकी घोषणा नहीं हुई है.
"मैं जहानाबाद की जनता से लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं. नौकरी में रहते हुए जिले में सामाजिक कार्य कर रहा था. लोगों से जुड़े रहने का सिलसिला आज भी जारी है. चुनाव लड़ने का सवाल है तो इस पर फैसला नेतृत्व को लेना है. नेतृत्व के स्तर पर जो भी फैसला होगा वह मुझे मंजूर होगा. पार्टी ने जो मुझे जिम्मेदारी दी है उससे मैं संतुष्ट हूं." -करुणा सागर, पूर्व आईपीएस
गुप्तेश्वर पांडे को भी नहीं मिला था टिकटः कुल मिलाकर देखें तो बिहार में फिलहाल तीन पूर्व आईपीएस अपना भाग्य आजमाने की कोशिश में जुटे हैं. एक का तो भाजपा ने टिकट काट दिया है. अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. दो अभी भी वेटिंग लिस्ट में हैं. इसे राजनीतिक विशेषज्ञ अलग नजर से देखते हैं. क्योंकि लेकिन पूर्व में बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे भी चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया था लेकिन नीतीश कुमार ने टिकट नहीं दिया था. अब भागवत कथा कर रहे हैं.
"बिहार की धरती राजनीतिक तौर पर फर्टाइल है. आईपीएस ऑफिसर इसलिए नौकरी छोड़कर राजनीति में आ रहे हैं कि राजनीतिक दलों को भी ग्लैमरस चेहरे की दरकार है. आईपीएस ऑफिसर को भी लगता है कि उनकी छवि के बदौलत उन्हें राजनीतिक दल हाथों हाथ लेंगे और वह संसद तक पहुंच जाएंगे. हालांकि गुप्तेश्वर पांडे का क्या हुआ ये पूरा बिहार जानता है." -डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विशेषज्ञ
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