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इन 7 प्वाइंट से समझिए नीतीश कुमार दिल्ली से लेकर बिहार तक क्यों बने हैं किंग मेकर, आप कहेंगे वाकई में किस्मत के धनी हैं - Nitish Kumar - NITISH KUMAR

Nitish Kumar King Maker : लालू यादव खुद कहते थे, 'आई एम द किंग मेकर'. वैसे नीतीश तो यह नहीं कहते हैं, पर अभी की जो स्थिति है वह तो इसी ओर इशारा करता है. आखिर नीतीश के किंग मेकर के पीछे क्या वजह है आइये हम आपको बताते हैं.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 7, 2024, 9:43 PM IST

Updated : Jun 10, 2024, 9:43 AM IST

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

पटना : लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से चर्चा में है. केंद्र में जो सरकार बन रही है उसमें भी किंग मेकर की भूमिका में हैं. नीतीश कुमार जब से महागठबंधन से एनडीए में वापसी किए हैं, तब से लगातार कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार अब समाप्त हो गए हैं, उनमें कोई दम नहीं है. हालांकि लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद से 'टाइगर जिंदा है', नीतीश कुमार के लिए कहा जा रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार किस्मत के धनी हैंं. जब भी ऐसा लगता है कि वह समाप्त हो रहे हैं फिर से जिंदा हो जाते हैं इस बार भी कुछ इसी तरह की स्थिति है.

बहुमत से पीछे रह गई BJP : दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस बार अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. हालांकि एनडीए को बहुमत से अधिक सीट मिली हैं. प्रधानमंत्री मेदी एनडीए के नेता भी चुने गए हैं. 9 जून को फिर से नरेन्द्र दामोदार दास मोदी प्रधानमंत्री की तीसरी बार शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी को अपने सहयोगियों की जरूरत है. जहां आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू प्रमुख सहयोगियों में से एक हैं, तो बिहार से नीतीश कुमार भी प्रमुख सहयोगियों में से एक हैं.

सीएम नीतीश कुमार की खासियत.
सीएम नीतीश कुमार की खासियत. (Etv Bharat)

चर्चा में नीतीश कुमार : बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने सबसे बेहतर रिजल्ट दिया है. वैसे 2019 की तुलना में 9 सीट कम जरूर आयी है. वैसे पड़ोसी राज्यों में जिस प्रकार से बीजेपी को नुकसान हुआ है, बिहार में उस तरह की कोई बड़ा नुकसान नहीं झेलना पड़ा है. इसी कारण नीतीश कुमार इन दिनों चर्चा में हैं. नीतीश कुमार और जदयू फिर से बड़ी भूमिका में दिखने लगे हैं. यहां तक कि जदयू की तरफ से नीतीश कुमार को लेकर पोस्टर भी लगाया जा रहा है, टाइगर जिंदा है.

केन्द्र में बिहार की भूमिका बढ़ी : पटना कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर से मान्यता को गलत साबित किया है. उनके बारे में कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार ने अपनी आखिरी पारी खेली है. लेकिन लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद से नीतीश सही में किंग मेकर की भूमिका में आ गए हैं. बिहार का भी महत्व बढ़ गया है. केंद्र में जो सरकार बनेगी उससे अब बिहार की उम्मीद भी बढ़ गयी है.''

किस्मत के धनी हैं नीतीश : विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि जब-जब ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार समाप्त हो रहे हैं एकाएक फिर से जिंदा हो जाते हैं. कहीं नहीं कहीं नीतीश कुमार किस्मत के धनी हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. जब से महागठबंधन से एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हुई है, उनको लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं. यहां तक कि उन्हें कम सीट देने की बात भी हो रही थी.

''अब लोकसभा चुनाव में जो परफॉर्मेंस बिहार में नीतीश कुमार ने दिया है, उससे उनका कद बढ़ा है. केंद्र सरकार में भी उनकी जरूरत है. इसलिए नीतीश पूरे देश में चर्चा के केंद्र बिंदु में हैं. केवल एनडीए में ही नहीं, इंडिया गठबंधन में भी पूछ है. चूंकि इंडिया गठबंधन को बनाने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही थी. आज विपक्ष मजबूत हुआ है, तो वह नीतीश कुमार के कारण हुआ है. इसलिए विपक्ष के लोग भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार उनके साथ आ जाएं. इसलिए दोनों गठबंधन के लिए नीतीश आज खास हो गए हैं.''- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

'नीतीश कुमार सबके हैं' : बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चलती रही है. बीच में जरूर नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ चले गए थे और जब गए तो बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई. नीतीश कुमार अब तक दो बार पाला बदल चुके हैं. इसीलिए उनको लेकर संशय की स्थिति इस बार भी पैदा की जाने लगी. कहा तो यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद इंडिया गठबंधन की तरफ से भी उन्हें ऑफर दिया जाने लगा. भाजपा नेताओं के भी सुर बदल गये. नीतीश कुमार एकाएक सबके लिए खास हो गये.

दबाव की राजनीति में माहिर हैं नीतीश : यह सब इसलिए हुआ क्योंकि नीतीश कुमार महागठबंधन से एनडीए में लौटने के बाद लगातार काम किए. लोकसभा चुनाव में 40 में से 30 सीट पर जीत दिलाई. सरकार बनाने में बिहार की बड़ी भूमिका हो रही है. फिलहाल नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फुल सपोर्ट देने की बात कही है, लेकिन उसके बावजूद नीतीश कुमार का जो इतिहास रहा है इसके कारण उन पर सब की नजर है. पहले के कई उदाहरण है जिसमें नीतीश कुमार अपने फायदे के लिए दबाव की राजनीति करते रहे हैं.

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पटना : लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से चर्चा में है. केंद्र में जो सरकार बन रही है उसमें भी किंग मेकर की भूमिका में हैं. नीतीश कुमार जब से महागठबंधन से एनडीए में वापसी किए हैं, तब से लगातार कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार अब समाप्त हो गए हैं, उनमें कोई दम नहीं है. हालांकि लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद से 'टाइगर जिंदा है', नीतीश कुमार के लिए कहा जा रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार किस्मत के धनी हैंं. जब भी ऐसा लगता है कि वह समाप्त हो रहे हैं फिर से जिंदा हो जाते हैं इस बार भी कुछ इसी तरह की स्थिति है.

बहुमत से पीछे रह गई BJP : दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस बार अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. हालांकि एनडीए को बहुमत से अधिक सीट मिली हैं. प्रधानमंत्री मेदी एनडीए के नेता भी चुने गए हैं. 9 जून को फिर से नरेन्द्र दामोदार दास मोदी प्रधानमंत्री की तीसरी बार शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी को अपने सहयोगियों की जरूरत है. जहां आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू प्रमुख सहयोगियों में से एक हैं, तो बिहार से नीतीश कुमार भी प्रमुख सहयोगियों में से एक हैं.

सीएम नीतीश कुमार की खासियत.
सीएम नीतीश कुमार की खासियत. (Etv Bharat)

चर्चा में नीतीश कुमार : बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने सबसे बेहतर रिजल्ट दिया है. वैसे 2019 की तुलना में 9 सीट कम जरूर आयी है. वैसे पड़ोसी राज्यों में जिस प्रकार से बीजेपी को नुकसान हुआ है, बिहार में उस तरह की कोई बड़ा नुकसान नहीं झेलना पड़ा है. इसी कारण नीतीश कुमार इन दिनों चर्चा में हैं. नीतीश कुमार और जदयू फिर से बड़ी भूमिका में दिखने लगे हैं. यहां तक कि जदयू की तरफ से नीतीश कुमार को लेकर पोस्टर भी लगाया जा रहा है, टाइगर जिंदा है.

केन्द्र में बिहार की भूमिका बढ़ी : पटना कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का कहना है कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर से मान्यता को गलत साबित किया है. उनके बारे में कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार ने अपनी आखिरी पारी खेली है. लेकिन लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद से नीतीश सही में किंग मेकर की भूमिका में आ गए हैं. बिहार का भी महत्व बढ़ गया है. केंद्र में जो सरकार बनेगी उससे अब बिहार की उम्मीद भी बढ़ गयी है.''

किस्मत के धनी हैं नीतीश : विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि जब-जब ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार समाप्त हो रहे हैं एकाएक फिर से जिंदा हो जाते हैं. कहीं नहीं कहीं नीतीश कुमार किस्मत के धनी हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. जब से महागठबंधन से एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हुई है, उनको लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं. यहां तक कि उन्हें कम सीट देने की बात भी हो रही थी.

''अब लोकसभा चुनाव में जो परफॉर्मेंस बिहार में नीतीश कुमार ने दिया है, उससे उनका कद बढ़ा है. केंद्र सरकार में भी उनकी जरूरत है. इसलिए नीतीश पूरे देश में चर्चा के केंद्र बिंदु में हैं. केवल एनडीए में ही नहीं, इंडिया गठबंधन में भी पूछ है. चूंकि इंडिया गठबंधन को बनाने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही थी. आज विपक्ष मजबूत हुआ है, तो वह नीतीश कुमार के कारण हुआ है. इसलिए विपक्ष के लोग भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार उनके साथ आ जाएं. इसलिए दोनों गठबंधन के लिए नीतीश आज खास हो गए हैं.''- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

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दबाव की राजनीति में माहिर हैं नीतीश : यह सब इसलिए हुआ क्योंकि नीतीश कुमार महागठबंधन से एनडीए में लौटने के बाद लगातार काम किए. लोकसभा चुनाव में 40 में से 30 सीट पर जीत दिलाई. सरकार बनाने में बिहार की बड़ी भूमिका हो रही है. फिलहाल नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फुल सपोर्ट देने की बात कही है, लेकिन उसके बावजूद नीतीश कुमार का जो इतिहास रहा है इसके कारण उन पर सब की नजर है. पहले के कई उदाहरण है जिसमें नीतीश कुमार अपने फायदे के लिए दबाव की राजनीति करते रहे हैं.

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Last Updated : Jun 10, 2024, 9:43 AM IST
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