देहरादून: उत्तराखंड का वरुणावत पर्वत एक बार फिर से चर्चाओं में है. क्योंकि ये पर्वत एक बार फिर से धार्मिक और सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण उत्तरकाशी शहर के लिए खतरा बन गया है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद इस खतरे को लेकर गंभीर हैं और लगातार शासन स्तर पर बैठक कर इस खतरे से निपटने का प्लान बना रहे हैं. वरुणावत पर्वत उत्तरकाशी के लिए क्यों खतरनाक है, और कैसे इस खतरे को खत्म किया जा सकता है. इसी के बारे में आज ईटीवी भारत आपको विस्तार से बताएगा.
वरुणावत पर्वत से हो रहा लैंडस्लाइड: दरअसल, उत्तरकाशी शहर वरुणावत पर्वत की तलहटी में बसा है. बीते दिनों ही वरुणावत पर्वत से बड़ा लैंडस्लाइड हुआ था, जिससे पूरा शहर डर गया था. डर के मारे लोगों ने रात को ही अपने घर छोड़ दिए थे. इस ताजा लैंडस्लाइड ने 21 साल पहले का वो मंजर याद दिला दिया, जिसे उत्तरकाशी के लोग आज तक नहीं भूले हैं.
साल 2003 में हुआ था वरुणावत पर्वत से बड़ा लैंडस्लाइड: बता दें कि साल 2003 में वरुणावत पर्वत से बड़े-बड़े बोल्डर उत्तरकाशी शहर के कई हिस्सों में गिरे थे. इन बोल्डरों से करीब 221 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. कुल मिलाकर 362 परिवार प्रभावित हुए थे. राहत की बात ये थी कि इतनी बड़ी घटना में कोई जनहानि नहीं हुई थी. वहीं प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था. ये तबाही आज भी कई लोगों के जहन में जिंदा है.
वरुणावत पर्वत अति संवेदनशील जोन: साल 2003 में जब वरुणावत पर्वत से लैंडस्लाइड हुआ तो केंद्र में बीजेपी की सरकार की थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. तत्कालीन केंद्र सरकार ने उत्तरकाशी में अपने कई एक्सपर्ट और अधिकारी भेजे थे. केंद्र सरकार ने उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत से लगे क्षेत्रों को अति संवेदनशील जोन घोषित किया था. एक्सपर्ट्स में अपनी रिपोर्ट ने बताया था कि पूरा उत्तरकाशी शहर एक कच्चे पहाड़ की तलहटी (नीचे) में बसा है.
अटल सरकार ने दिया था राहत पैकेज: उत्तरकाशी वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए तत्कालीन अटल सरकार ने 250 करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया था. करीब तीन सालों तक वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट किया गया था. इस ट्रीटमेंट के बाद वरुणावत पर्वत काफी हद तक सुरक्षित हो गया था और भूस्खलन भी काफी कम हो गया था. आज भी वो जगह साफ दिखाई देती है, जहां-जहां पर वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट किया गया था.
12 से ज्यादा होटल लैंडस्लाइड की चपेट में आए थे: साल 2003 में वरुणावत पर्वत से जब लैंडस्लाइड हुआ था, तब उत्तरकाशी की प्रमुख कॉलोनी में से एक इंदिरा कॉलोनी समेत 12 से अधिक होटल और चार बड़े संस्थान इस भूस्खलन की चपेट में आए थे. अभी ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे समेत कई सरकारी दफ्तर इस वरुणावत पर्वत के नीचे बने हुए हैं. इसके अलावा हजारों की संख्या में यहां लोग रहते हैं, जो हमेशा सहमे रहते हैं. मॉनसून सीजन में तो ये डर ज्यादा बढ़ जाता है.
24 घंटे हो रही वरुणावत पर्वत की मॉनिटरिंग: दो दिन पहले वरुणावत पर्वत से जिस तरह लैंडस्लाइड हुआ है, उसके बाद से ही एक्सपर्ट की टीम 24 घंटे वरुणावत पर्वत की मॉनिटरिंग कर रही है. एक्सपर्ट की कई टीम और शासन स्तर के अधिकारी भी वरुणावत पर्वत का अध्ययन कर चुके हैं.
जिला प्रशासन ने तैयार की रिपोर्ट: उत्तरकाशी जिला प्रशासन मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि उन्होंने पहाड़ का विशेषज्ञों से अध्ययन करवाया है, जिसकी रिपोर्ट तैयार कर जल्द ही शासन को भेजी जाएगी. ड्रोन से भी वरुणावत पर्वत का सर्वे करवाया जा रहा है ताकि पता चल सके कि जिस जगह से भूस्खलन हुआ है, उस जगह से और पत्थर तो नहीं गिर रहे हैं.
एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम कर रही निगरानी: दो दिन पहले हुई लैंडस्लाइड की घटना के बाद एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम लगातार वरुणावत पर्वत की निगरानी कर रही है ताकि कोई हादसा हो तो तत्काल रेस्क्यू किया जा सके और जानमाल की कम से कम नुकसान हो.
उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत का धार्मिक महत्व: वरुणावत पर्वत का धार्मिक महत्व भी है. इसी पर्वत से अस्सी गंगा समेत कई अन्य नदियां निकलती है, जो सीधे भागीरथी में जाकर मिलती हैं. इसके साथ ही इस पर्वत के शीर्ष पर विमलेश्वर महादेव मंदिर भी है. इस पर्वत को पंचकोशी वारुणी यात्रा के लिए भी जाना जाता है. हर साल चैत्र मास के त्रयोदशी को इस यात्रा में पैदल परिक्रमा की जाती है. 15 किलोमीटर लंबी इस पदयात्रा में वर्णेश्वर, बासुंगा, अखंडेश्वर, जगन्नाथ और अष्टभुजा दुर्गा जैसे देवी-देवताओं की पूजा होती है.
वरुणावत पर्वत को लेकर सरकार का प्लान: गुरुवार 29 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरुणावत पर्वत समेत तमाम लैंडस्लाइड जोन को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें लिस्ट बनाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भूस्खलन की वजह जिन रिहायशी इलाकों को खतरा है, उन जगहों के लिए अलग प्लान तैयार किया जाए. ताकि आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
सीएम धामी ने स्पष्ट किया है कि आपदा को रोकना किसी के हाथ में नहीं है, लेकिन उससे होने वाले नुकसान को जरूर कम किया जा सकता है. साथ ही सीएम धामी ने वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट कराने की बात भी कही है. सीएम धामी ने कहा कि सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है.
50 ज्यादा परिवारों को किया गया शिफ्ट: जानकारी के मुताबिक, बीते दिनों वरुणावत पर्वत से हुए लैंडस्लाइड के बाद करीब 50 परिवार को अस्थायी तौर पर शिफ्ट किया गया था. हालांकि हालात सामान्य होने पर सभी परिवारों को उनके घर भेज दिया जाएगा. भूस्खलन इस बार गुफियारा कॉलोनी और मस्जिद मोहल्ले के ऊपर हो रहा है.
पुलिस-प्रशासन की अपील: उत्तरकाशी पुलिस-प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वो भ्रामक जानकारी शेयर न करें और नहीं किसी तरह की अफवाहें फैलाएं, क्योंकि इसके स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को गलत मैसेज जाएगा और उसमें डर का माहौल फैलेगा.
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