कांकेर: सर्चिंग पर निकले जवानों को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों ने जंगल में स्पाइक होल बना रखे थे. सर्चिंग टीम ने समय रहते नक्सलियों की साजिश का पर्दाफाश करते हुए स्पाइक होल खोज निकाले. नक्सलियों की मंशा थी कि नक्सल विरोधी अभियान के तहत जब जवान यहां पहुंचे तो उनको एंबुश में फंसा लिया जाए. जवानों को एंबुश में फंसाने के लिए माओवादियों ने 20 स्पाइक होल बनाए थे. समय रहते अगर नक्सली साजिश का खुलासा नहीं होता तो जवानों को इसका नुकसान उठाना पड़ा सकता था. बस्तर में नक्सली अक्सर जवानों को टारगेट करने और एंबुश में फंसाने के लिए ऐसे स्पाइक होल बना देते हैं.
क्या होता है स्पाइक होल?: जंगल के बीच से आने जाने वाले रास्तों में नक्सली गड्ढे खोदकर उसमें धारदार कीलें लगा देते हैं. गड्ढे में कील लगाने के बाद उसे सूखे पत्तों से भर देते हैं. सर्चिंग पर निकले जवान जब उन रास्तों से गुजरते हैं तो ये गड्ढे उनको नजर नहीं आते. कई बार जवानों के पैर इन स्पाइक होल में पड़कर फंस जाते हैं. पैर फंसते ही गड्ढे में छिपाकर लगाई की नुकीली कीलें जवान के पैर को जख्मी कर देती हैं. कई बार तो इन गड्ढों में नक्सली प्रेशर बम भी लगा देते हैं. जवान जैसे ही ऐसे एंबुश में फंसते हैं उसी वक्त जंगल में छिपे माओवादी जवानों को निशाना बनाकर चारों ओर से हमला कर देते हैं.
30 जनवरी को टेकलगुडेम में हुई थी मुठभेड़: सुकमा और बीजापुर बॉर्डर पर 30 जनवरी के दिन मुठभेड़ में तीन जवान शहीद हो गए थे. मुठभेड़ के बाद जब इलाके में नक्सलियों ने सर्च अभियान चलाया. सर्च अभियान के दौरान दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा क्षेत्र में एक सुरंग का पता चला जो नक्सलियों ने छिपने के मकसद से बनाया था. 10 फीट गहरी और तीन फीट चौड़ी सुरंग जो मिली वो 80 मीटर के करीब लंबी थी. इसमें एक साथ 100 से ज्यादा नक्सली छिप सकते थे.