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बंगाल: न्यायमित्र का दावा - जेल में कुछ महिला कैदी हो रही हैं गर्भवती

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By PTI

Published : Feb 8, 2024, 10:45 PM IST

prisoners getting pregnant in jail : बंगाल में एक न्यायमित्र ने दावा किया है कि जेल में कुछ महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. वकील तापस कुमार भांजा को अदालत द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किया गया था.

Calcutta High Court
कलकत्ता उच्च न्यायालय

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने गुरुवार को उस मामले को आपराधिक खंडपीठ को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसमें न्याय मित्र ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं और 196 बच्चे इस तरह के विभिन्न गृहों में रह रहे हैं.

वकील तापस कुमार भांजा को जेलों में कैदियों की अधिक संख्या पर 2018 के स्वत: संज्ञान मामले में अदालत द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किया गया था. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इन मुद्दों और सुझावों वाला एक ज्ञापन दाखिल किया.

पीठ ने कहा कि न्यायमित्र ने दावा किया है कि महिला कैदी हिरासत में गर्भवती हो रही हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की विभिन्न जेल में लगभग 196 बच्चे रह रहे हैं.

भांजा ने सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों के महिला कैदियों की जेल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया. खंडपीठ में न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य भी शामिल थे. मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि इस संबंध में उचित आदेश के लिए मामला उनके समक्ष रखा जाए. उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने 2018 में राज्य में सुधार गृहों में भीड़भाड़ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक प्रस्ताव शुरू किया था. कुछ संबंधित मामले जो पहले और बाद में दायर किए गए थे उन्हें भी प्रस्ताव के साथ टैग किया गया और एक साथ सुना जा रहा है.

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वकील तापस कुमार भांजा को जेलों में कैदियों की अधिक संख्या पर 2018 के स्वत: संज्ञान मामले में अदालत द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किया गया था. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इन मुद्दों और सुझावों वाला एक ज्ञापन दाखिल किया.

पीठ ने कहा कि न्यायमित्र ने दावा किया है कि महिला कैदी हिरासत में गर्भवती हो रही हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की विभिन्न जेल में लगभग 196 बच्चे रह रहे हैं.

भांजा ने सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों के महिला कैदियों की जेल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया. खंडपीठ में न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य भी शामिल थे. मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि इस संबंध में उचित आदेश के लिए मामला उनके समक्ष रखा जाए. उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने 2018 में राज्य में सुधार गृहों में भीड़भाड़ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक प्रस्ताव शुरू किया था. कुछ संबंधित मामले जो पहले और बाद में दायर किए गए थे उन्हें भी प्रस्ताव के साथ टैग किया गया और एक साथ सुना जा रहा है.

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