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बस्तर में बदलाव की बयार, विकास की रफ्तार में शामिल हो रहे सिलगेर वासी, ईटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट - BASTAR People Changed Mind

छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर संभाग के सुकमा जिले में तस्वीर अब बदल रही है. नक्सलगढ़ के इलाकों में सुरक्षाबल के बढ़ते प्रभाव के चलते ग्रामीण मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं. लोग सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में बसे सिलगेर गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ देने शिविर लगाया गया. यहां हजारों की संख्या में ग्रामीण जरूरी दस्तावेज बनवाने के लिए एकत्रित हुए और अपना आवेदन फार्म दाखिल किया.

BASTAR PEOPLE CHANGED MIND
सुकमा के शिविर में उमड़ी भीड़ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 21, 2024, 6:45 PM IST

Updated : May 21, 2024, 10:57 PM IST

सुकमा के शिविर में उमड़ी भीड़ (ETV Bharat)

बस्तर : सुकमा जिले के सिलगेर गांव में 17 मई 2021 से बस्तर का सबसे अधिक दिनों तक चलने वाला सरकार विरोधी आंदोलन शुरू किया गया था. यह आंदोलन करीब 3 सालों तक चला. लेकिन आज 3 साल बाद आंदलन करने वाले वही ग्रामीण अपने लिए जरूरी दस्तावेज बनाने सिलगेर गांव के शिविर में जुट रहे हैं. पिछले 6 दिनों से लगातार लोग कतार लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में यहां आए बदलाव को जानने 200 से अधिक किलोमीटर का सफर तय करके ETV BHARAT की टीम सिलगेर गांव पहुंची.

सिलगेर गांव के शिविर में फॉर्म जमा करने जुटे लोग : सुकमा जिला प्रशासन ने 6 दिनों के लिए सिलगेर गांव में आयोजित किया था. इस शिविर को 3 पंचायत के लोगों की कार्य योजना के तहत आयोजित किया गया था. लेकिन इस शिविर में करीब 6-7 पंचायतों के हजारों ग्रामीण दस्तावेज बनवाने पहुंच गए. सुबह से ही ग्रामीणों की लाइन लगी थी. छोटे-छोटे बच्चों को लेकर माताएं भी पहुंची हुई थी. बुजुर्ग व्यक्ति, महिला-पुरुष, युवक-युवती, छोटे बच्चे सभी वर्ग के लोग शिविर में मौजूद रहे.

दस्तावेज नहीं होने से कर रहे दिक्कतों का सामना : ग्रामीणों के मुताबिक, उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. नक्सल प्रभावित इलाके के निवासी होने की वजह से बिना आधार कार्ड के वे दूसरे इलाके में भी नहीं जाते थे. आधार कार्ड नहीं होने से संदिग्ध के तौर पर पुलिस उन्हें पकड़कर पूछताछ भी करती थी. इसके अलावा सभी जरूरी दस्तावेज जैसे बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड, वन अधिकार पट्टा, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जाति-निवास प्रमाण पत्र सभी के लिए आधार कार्ड रहना अनिवार्य है.

"अब इस शिविर में आधार कार्ड बन गया. इसके अलावा अन्य दस्तावेज भी बनाया जा रहा है. राशन कार्ड नहीं होने से राशन नहीं मिलता था. अब राशन कार्ड भी इस शिविर में बनाया जा रहा है. स्कूलों में बच्चों के एडमिशन के लिए आधार कार्ड के साथ जाति निवास प्रमाण पत्र भी मांगा जाता है. अब इस शिविर में सभी दस्तावेज बनाने से शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलेगा." - स्थानीय ग्रामीण

"ग्रामीण किसी योजना से वंचित नहीं रहना चाहते": सिलगेर गांव के सरपंच सन्नू कोरसा ने बताया, "क्षेत्र के ग्रामीण सभी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं. सभी आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आ रहे हैं. सबसे अधिक वन अधिकारी पट्टा बनाने के लिए आवेदन शिविर में आ रहा है. इसके अलावा उज्ज्वला योजना का फायदा लेने के लिए भी आवेदन आ रहा है. क्षेत्र के सभी ग्रामीण किसी योजना से वंचित नहीं रहना चाहते हैं. इसीलिए खुशी खुशी शिविर में पहुंच रहे हैं."

हिड़मा के गांव से शिविर पहुंचे लोग : सिलगेर गांव के इस शिविर में नक्सल संगठन के सबसे खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूर्वती से भी सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण जरूरी दस्तावेज बनाने आए हुए हैं. बीते दिनों जवानों ने हिड़मा के गांव को अपने कब्जे में लिया और एक सुरक्षा कैम्प स्थापित किया था. इस शिविर में टेकलगुडेम, जोनागुड़ा, सिलगेर, तिम्मापुरम, अलीगुड़ा, सुरपंगुड़ा, चिमलीपेंटा, बेदरे, मंडीमरका, गोंदपल्ली, परलागट्टा, कमरगुड़ा, मिसिगुड़ा जैसे आसपास के सभी गांव के ग्रामीण उपस्थित रहे.

छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ सुकमा के आदिवासियों का सरकारी दस्तावेज बनते ही उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरु हो जाएगा. उन्हें आगामी दिनों में होने वाले परेशानियों और कठिनाइयों का सामना दोबारा नहीं करना पड़ेगा. अब उन्हें दस्तावेज नहीं होने से दर दर भटकना भी नहीं पड़ेगा. दस्तावेज बनने से सरकारी योजनाओं का उन्हें बेहतर तरीके से लाभ भी मिलेगा.

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सिलगेर गांव के शिविर में फॉर्म जमा करने जुटे लोग : सुकमा जिला प्रशासन ने 6 दिनों के लिए सिलगेर गांव में आयोजित किया था. इस शिविर को 3 पंचायत के लोगों की कार्य योजना के तहत आयोजित किया गया था. लेकिन इस शिविर में करीब 6-7 पंचायतों के हजारों ग्रामीण दस्तावेज बनवाने पहुंच गए. सुबह से ही ग्रामीणों की लाइन लगी थी. छोटे-छोटे बच्चों को लेकर माताएं भी पहुंची हुई थी. बुजुर्ग व्यक्ति, महिला-पुरुष, युवक-युवती, छोटे बच्चे सभी वर्ग के लोग शिविर में मौजूद रहे.

दस्तावेज नहीं होने से कर रहे दिक्कतों का सामना : ग्रामीणों के मुताबिक, उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. नक्सल प्रभावित इलाके के निवासी होने की वजह से बिना आधार कार्ड के वे दूसरे इलाके में भी नहीं जाते थे. आधार कार्ड नहीं होने से संदिग्ध के तौर पर पुलिस उन्हें पकड़कर पूछताछ भी करती थी. इसके अलावा सभी जरूरी दस्तावेज जैसे बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड, वन अधिकार पट्टा, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जाति-निवास प्रमाण पत्र सभी के लिए आधार कार्ड रहना अनिवार्य है.

"अब इस शिविर में आधार कार्ड बन गया. इसके अलावा अन्य दस्तावेज भी बनाया जा रहा है. राशन कार्ड नहीं होने से राशन नहीं मिलता था. अब राशन कार्ड भी इस शिविर में बनाया जा रहा है. स्कूलों में बच्चों के एडमिशन के लिए आधार कार्ड के साथ जाति निवास प्रमाण पत्र भी मांगा जाता है. अब इस शिविर में सभी दस्तावेज बनाने से शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलेगा." - स्थानीय ग्रामीण

"ग्रामीण किसी योजना से वंचित नहीं रहना चाहते": सिलगेर गांव के सरपंच सन्नू कोरसा ने बताया, "क्षेत्र के ग्रामीण सभी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं. सभी आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आ रहे हैं. सबसे अधिक वन अधिकारी पट्टा बनाने के लिए आवेदन शिविर में आ रहा है. इसके अलावा उज्ज्वला योजना का फायदा लेने के लिए भी आवेदन आ रहा है. क्षेत्र के सभी ग्रामीण किसी योजना से वंचित नहीं रहना चाहते हैं. इसीलिए खुशी खुशी शिविर में पहुंच रहे हैं."

हिड़मा के गांव से शिविर पहुंचे लोग : सिलगेर गांव के इस शिविर में नक्सल संगठन के सबसे खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूर्वती से भी सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण जरूरी दस्तावेज बनाने आए हुए हैं. बीते दिनों जवानों ने हिड़मा के गांव को अपने कब्जे में लिया और एक सुरक्षा कैम्प स्थापित किया था. इस शिविर में टेकलगुडेम, जोनागुड़ा, सिलगेर, तिम्मापुरम, अलीगुड़ा, सुरपंगुड़ा, चिमलीपेंटा, बेदरे, मंडीमरका, गोंदपल्ली, परलागट्टा, कमरगुड़ा, मिसिगुड़ा जैसे आसपास के सभी गांव के ग्रामीण उपस्थित रहे.

छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ सुकमा के आदिवासियों का सरकारी दस्तावेज बनते ही उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरु हो जाएगा. उन्हें आगामी दिनों में होने वाले परेशानियों और कठिनाइयों का सामना दोबारा नहीं करना पड़ेगा. अब उन्हें दस्तावेज नहीं होने से दर दर भटकना भी नहीं पड़ेगा. दस्तावेज बनने से सरकारी योजनाओं का उन्हें बेहतर तरीके से लाभ भी मिलेगा.

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Last Updated : May 21, 2024, 10:57 PM IST
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