जगदलपुर: सियासत के पैंतरे आजमाते तो कवासी लखमा सदन के बाहर और सड़कों पर आपको कई बार नजर आए होंगे. पर एक मैदान ऐसा भी है जिसमें कवासी लखमा को लड़ते आपने पहले शायद ही देखा हो. ये मैदान है मुर्गों की लड़ाई का. बस्तर के ग्रामीण इलाकों में आज भी गांव वाले मनोरंजन के लिए पारंपरिक मुर्गों की लड़ाई में शामिल होते हैं. हाट बाजारों में इस तरह मुर्गों की लड़ाई आदिवासी इलाकों में आम है. प्रचार के दौरान जगदलपुर पहुंचे कवासी लखमा ने जब मुर्गों की लड़ाई को देखा तो उनका मन भी मचल गया. फिर किया था वो अपने मुर्गे को लेकर लड़ाई के मैदान में उतर गए. कवासी लखमा की तरह ही उनका मुर्गा भी दमदार और दुश्मनों को पटखनी देने वाला निकला. कवासी लखमा के मुर्गे ने विरोधी मुर्गे का काम तमाम कर दिया.
कवासी लखमा का जुदा अंदाज: पूरे देश में भले ही तापमान और मौसम का दौर अलग अलग मिजाज में चल रहा है. पर सियासत का मौसम पूरे भारत में एक ही है. मौका चुनावों का है और बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने दिग्गज आदिवासी नेता कवासी लखमा भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. लखमा चाहे सदन के भीतर हो या फिर बाहर उनका अंदाज हमेशा से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है. कवासी लखमा ने खुद अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्वीट किया है. ट्वीट किए वीडियो में बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लखमा मुर्गों की लड़ाई में अपना दम दिखा रहे हैं. मुर्गों की लड़ाई शुरु होने से पहले कवासी लखमा मुर्गे के कान में गुरु मंत्र जीत का देते हैं. मुर्गा भी सधे खिलाड़ी की तरह गुरु का दांव पेंच सुनकर मैदान में कूद पड़ता है. अपने गुरु के बताए पैंतरों को अमल में लाते हुए विरोधी को चित कर देता है.
जीत का पैंतरा लोकसभा में भी होगा कारगर: कवासी लखमा का वीडियो देखने के बाद लोग अब कह रहे हैं कि क्या कवासी लखमा का ये पैंतरा क्या लोकसभा चुनाव में भी काम आएगा. दरअसल कवासी लखमा में 31 मार्च के दिन जगदलपुर के पुसपाल गांव पहुंचे थे. प्रचार के दौरान फुर्सत के पल में कवासी लखमा ने पारंपरिक मुर्गा बाजार में चल रहे मुर्गा लड़ाई को देखा. मुर्गों की लड़ाई का खेल देखते ही कवासी लखमा ने भी खेल में आपना जौहर दिखाया. कवासी लखमा का वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है. बस्तर से कई दशकों से मुर्गों की लड़ाई आदिवासी परंपरा का हिस्सा रहा है.