जयपुर. राजधानी जयपुर में एक महिला बैंक मैनेजर को वीडियो कॉल कर पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करने और 17 लाख रुपए की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. कॉल करने वाले बदमाश ने महिला के आधार कार्ड से उसके नाम पर जारी सिम से अवैध गतिविधियों के संचालन की बात कहकर डराया. इसके बाद उनके पास मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर दूसरे बदमाश ने वीडियो कॉल पर बात की. बदमाशों ने 20 लाख रुपए की डिमांड की थी. अब जयपुर पुलिस कमिश्नरेट से साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है.
साइबर क्राइम थानाधिकारी चंद्रप्रकाश का कहना है कि पीड़ित महिला बैंक मैनेजर ने थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि 20 जून की सुबह उनके मोबाइल पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण का प्रतिनिधि बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड से महाराष्ट्र में जारी एक सिम को अवैध गतिविधियों में काम लिया जा रहा है. पीड़िता ने इस तरह की कोई जानकारी होने से इनकार किया तो कॉल करने वाले ने मुंबई पुलिस के अधिकारी से बात करवाने की कहकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया.
सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर वीडियो कॉल किया : पीड़िता के पास एक और कॉल आया. जिसमें कॉल करने वाले ने अपना नाम विनय खन्ना बताया. उसने कॉल डिस्कनेक्ट किया और तुरंत दूसरे नंबर से कॉल आया. फिर एक और नंबर से कॉल आया और स्काइप सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर वीडियो कॉल पर बात की. कॉल करने वाले ने रिजर्व बैंक में वेरिफिकेशन के नाम पर पीड़िता से अपने खाते में 20 लाख रुपए ट्रांसफर करवाने को कहा.
6-8 घंटे में रकम वापसी का दावा : कॉल करने वाले शातिर साइबर ठगों की बातों में आकर पीड़िता ने अपनी एफडी तुड़वाकर 17 लाख रुपए उनके बताए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए. साइबर ठगों ने उससे कहा कि वेरिफिकेशन के बाद 6-8 घंटे में उनके खाते में वापस आ जाएंगे. लेकिन बाकि 3 लाख रुपए और जमा करवाने होंगे. हालांकि, उसने जो 17 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे. वो वापस नहीं मिले.
खुद को कमरे में बंद कर लिया : वीडियो कॉल पर साइबर ठगों की बात सुनकर पीड़िता घबरा गई और खुद को कमरे में बंद कर लिया. जैसे-जैसे वे कहते गए. वह वैसा ही करती रही. बदमाशों को रुपए देने के लिए उसने अपनी एफडी भी तुड़वा ली. बाद में वह म्युचुअल फंड से पैसे निकलवाने को भी तैयार हो गई. लेकिन घरवालों ने बीच-बचाव कर कॉल डिस्कनेक्ट करवा दिया.
आखिर क्या है डिजिटल अरेस्ट : पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों का डर दिखाकर साइबर ठगी करने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. पहले पीड़ित को कॉल कर उसके दस्तावेजों या सिम का इस्तेमाल गैरकानूनी काम में होने की बात कही जाती है. फिर एप के जरिए वीडियो कॉल किया जाता है. साइबर ठग पुलिस अधिकारी या अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बनकर बात करता है और पीड़ित को वह बाकायदा यूनिफार्म में दिखता है. जिससे वह ठगों की बातों में आ जाता है. इसके बाद वीडियो कॉल के जरिए वे लगातार तब तक पीड़ित की निगरानी करते हैं. जब तक वह उनके खाते में रकम ट्रांसफर नहीं कर देता.