नई दिल्ली: बांग्लादेश पीएम शेख हसीना आने वाले महीने में भारत का दौरा करेने वाली हैं. उनकी यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह लोकसभा चुनावों के बीच भारत आ रही हैं. हालांकि अभी विदेश सचिव विनय क्वातरा यात्रा योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए बहुत जल्द ढाका का दौरा करेंगे. बांग्लादेश पीएम को आमंत्रित करना उनकी चीन यात्रा के साथ जोड़ कर देखा जा सकता है. भारत निश्चित रूप से उनकी चीन यात्रा से पहले हसीना के साथ कई मुद्दों पर बातचीत करना चाहेगा. भारत के लिए हसिना की चीन यात्रा से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता है तीस्ता जल विद्युत परियोजना में चीन की भागीदारी.
2020 में चीन ने तीस्ता नदी पर एक प्रमुख ड्रेजिंग काम का प्रस्ताव रखा और जलाशयों और तटबंधों का निर्माण किया. हालांकि, बाद में ढाका ने इस कई अरब डॉलर की परियोजना को रोक दिया. प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार 2009 में सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ तीस्ता का पानी-साझाकरण समझौता बातचीत में रहा है. दोनों देश तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 2011 की बांग्लादेश की यात्रा के दौरान एक समझौता करने पर सहमत हो गये थे.
इसके साथ ही हसीना की नई दिल्ली की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच म्यांमार में अस्थिर स्थिति पर एक महत्वपूर्ण चर्चा भी हो सकती है. यह भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है. दोनों राष्ट्रों म्यांमार में अपने वाणिज्य दूतावासों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है. जिसने दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार को प्रभावित किया है.
7 जनवरी के राष्ट्रीय चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद, पीएम शेख हसीना ने फरवरी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी का दौरा किया. वह जुलाई में चीन के दौरे पर भी जाने वाली हैं. जिसपर भारत की नजर है. बीजिंग हर संभव तरीकों से ढाका को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है.
चुनावों के बीच शेख हसिना की भारत यात्रा आम चुनावों के अनुमानित परिणाम के बारे में संदेश देता है. बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2021 में बांग्लादेश में बांग्लादेश का दौरा किया था. वह बांग्लादेश की स्वतंत्रता के गोल्डन जुबली के समारोह में शामिल हुए थे. तब अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आधुनिक समय के सबसे महान नेताओं में से एक, बांगबंधु शेख मुजिबुर रहमान को एक संप्रभु देश के रूप में बांग्लादेश के उद्भव के लिए उनके साहस और अमिट योगदान के लिए याद किया जाएगा.