उत्तरकाशी (उत्तराखंड): जीवन में सफलता उन्हीं लोगों को हासिल होती है, जिन्होंने संघर्ष के कदमों को स्पर्श किया हो और अपने संघर्ष को आपदा नहीं अवसर समझते हुए उसका स्वागत किया हो. कुछ ऐसा ही पहाड़ की आयरन लेडी बलिशा जोगटा भी कर रही हैं.बलिशा जोगटा अपने पति मनोहर दास के साथ साइकिल और गाड़ियों के पंचर जोड़ती हैं. उन्होंने कहा कि घर चलाने और संभालने की मजबूरी इंसान को हर काम करने को मजबूर कर देती है.
परिस्थितियां और हिम्मत मनुष्य को हर कठिन से कठिन काम करने के लिए तैयार कर देती हैं. इसकी मिसाल बलिशा जोगटा कायम कर रही हैं. रानाचट्टी की बलिशा जोगटा (26) अपने पति मनोहर दास के साथ हाथ बंटाते हुए वाहनों के पंचर जोड़ती हैं. यमुनोत्री हाईवे पर राना गांव निवासी बलिशा जोगटा के पति मनोहर दास पिछले पांच वर्षों से रानाचट्टी में साइकिल और वाहनों के पंचर जोड़ने की दुकान चला रहे हैं. पति पत्नी और तीन बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी के बाद बलिशा जोगटा ने पति मनोहर दास को हिम्मत बंधाते हुए साइकिल के साथ वाहनों के टायरों के पंचर जोड़ने का काम शुरू कराया.
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यमुनोत्री हाईवे करीब 30 किमी परिधि में इनका अकेला स्वरोजगार है. आज बलिशा जोगटा इस काम में इतनी पारंगत हो चुकी हैं कि वो स्वयं वाहनों के टायरों को दुरूस्त कर लेती हैं. बलिशा जोगटा ने कहा कि घर चलाने और संभालने की मजबूरी इंसान को हर काम करने को मजबूर कर देती है. इसी के चलते उन्होंने ये काम शुरू किया. इंसान को कामयाब होने के लिए काम करने में शर्म नहीं करनी चाहिए. गांव क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता भजन सिंह चौहान ने कहा कि ऐसी कर्मठ महिला एक नजीर हैं. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन को ऐसे मेहनती महिलाओं को स्वरोजगार बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए.