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बांग्लादेश के हालात पर बगहा में चिंता, बांग्लादेशी शरणार्थियों ने भारत सरकार से की हस्तक्षेप की मांग - BANGLADESH VIOLENCE - BANGLADESH VIOLENCE

Bangladeshi Refugees Opinion: बांग्लादेश में मची उथल-पुथल को लेकर बिहार के बगहा में चिंता का आलम है. दरअसल पश्चिमी चंपारण जिले के अलग-अलग गांवों में करीब 3 हजार बांग्लादेशी शरणार्थी परिवार बसा हुआ है. इन लोगों ने बांग्लादेश में हिंसा के दौर पर चिंता जताई है और भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, पढ़िये पूरी खबर,

बांग्लादेश के हालात में चिंतित बांग्लादेशी शरणार्थी
बांग्लादेश के हालात में चिंतित बांग्लादेशी शरणार्थी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 6, 2024, 7:31 PM IST

भारत सरकार से हस्तक्षेप की गुहार (ETV BHARAT)

बगहाः ऐसा पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की चपेट में हैं. 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद तो कई बार ऐसे हालात पैदा हुए ही हैं, बांग्लादेश बनने से पहले भी तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जिनके कारण बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों को भारत में शरण लेनी पड़ी. पश्चिमी चंपारण जिले में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थियों का परिवार रहता है और बांग्लादेश के ताजा हालात को लेकर खासी चिंता में है.

3000 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारः पश्चिमी चंपारण जिले के विभिन्न गांवों में 3000 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी परिवार बसे हुए हैं. तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में 1956 और 1965 में हुई हिंसा के दौरान शरणार्थी शिविरों में शरण ली और फिर वहां से विस्थापित होने के बाद सभी को जिले के 39 गांवों में बसाया गया.

बांग्लादेशी शरणार्थियों में चिंता
बांग्लादेशी शरणार्थियों में चिंता (ETV BHARAT)

खेतीबाड़ी और बीड़ी बनाने के कारोबार से गुजाराः पश्चिमी चंपारण के चौतरवा, परसौनी, सेमरा, भेड़िहारी, तिनफेडिया, दुधौरा सहित दूसरे गांवों में बसे इन बांग्लादेशी शरणार्थियों का परिवार खेतीबाड़ी और बीड़ी बनाने के कारोबार से जुड़ा है और इतने सालों बाद भी कई मुश्किलों का सामना कर रहा है. हालांकि इनका कहना है कि मोदी सरकार के आने के बाद इनकी सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जाता है और न ही जमीन का रैयतीकरण किया जाता है.

चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेराः बगहा इलाके के चौतरवा गांव में करीब 300 बांग्लादेशी परिवारों के लोग रहते हैं जो कई मुश्किलों के बाद भी अपनी सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखी है. शुद्ध रूप से सनातनी ये परिवार धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. खासकर दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान तो इनका उत्साह देखते ही बनता है.

चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेरा
चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेरा (ETV BHARAT)

बांग्लादेश के हालात पर चिंतितः चौतरवा में रहनेवाले बांग्लादेशी शरणार्थी बांग्लादेश के ताजा हालात को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्होंने बांग्लादेश में चल रहे हिंसा के दौर को कट्टरपंथियों की साजिश का नतीजा बताया है. उन्हें इस बात का बेहद अफसोस है कि जिस परिवार ने बांग्लादेश का निर्माण किया और उसे प्रगति की राह दिखाई, उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ा.

"बहुत दुःखद घटना है. जिसने बांग्लादेश का निर्माण किया, उन्ही बंगबंधु की मूर्ति को तोड़ा जा रहा है. जिसने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया, उस शेख हसीना को बांग्लादेश से पलायन करना पड़ा.जान बचाकर भागना पड़ा. जान बचाकर नहीं भागतीं तो इतिहास है कि उनके परिवार के 18 लोगों को वहां की मिलिट्री ने एक रात में मौत के घाट उतार दिया था. उन्हें हिंदुस्तान में शरण मिली है. हमें उम्मीद है कि भारत सरकार इस हालात में उचित निर्णय लेगी."- श्रीकांत हलदार, बांग्लादेशी शरणार्थी

बांग्लादेश में हिंसा से चिंतित
बांग्लादेश में हिंसा से चिंतित (ETV BHARAT)

हिंदुओं पर हमले चिंताजनकः चौतरवा में रहे रहे बांग्लादेशी परिवारों ने हिंदुओं और मंदिरों पर हो रहे हमले पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि वहां के कट्टरपंथी नहीं चाहते हैं कि अल्पसंख्यक हिंदू चैन और आराम की जिंदगी जिएं. उन्होंने पूरे मामले में भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि बांग्लादेश में हालात सामान्य हों और उथल-पुथल का दौर जल्द खत्म हो.

"हमलोग चाहते हैं कि भारत सरकार इसमें तत्काल हस्तक्षेप करे और वहां की जो सरकार है उनसे हिंदुओं को संरक्षण मिले. वहां के जो अल्पसंख्यक हैं हिंदू, उनके ऊपर जो अत्याचार हो रहा है, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, उनलोगों को मारा-पीटा जा रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए. यहां की सरकार तत्काल कदम उठाए और वहां की सरकार से संरक्षण मिलना चाहिए."- तापस हलदार, बांग्लादेशी शरणार्थी

बड़ी संख्या में रहते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी
बड़ी संख्या में रहते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी (ETV BHARAT)

बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरताः बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ भड़के छात्र आंदोलन ने इस कदर हिंसक रूप ले लिया कि वहां की पीएम शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा है. यहां तक कि प्रदर्शनकारी पीएम आवास में घुस गये और वहां कब्जा कर लिया. इसके साथ ही पूरे बांग्लादेश में हिंसा का दौर चल पड़ा है. इसमें हिंदुओं को और उनके धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंःतस्वीरों में देखें बांग्लादेश के बिगड़ते हालात! पीएम आवास पर भीड़ का कब्जा, शेख हसीना ने देश छोड़ा... - Bangladesh Unrest PM Hasina Resigns

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भारत सरकार से हस्तक्षेप की गुहार (ETV BHARAT)

बगहाः ऐसा पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा की चपेट में हैं. 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद तो कई बार ऐसे हालात पैदा हुए ही हैं, बांग्लादेश बनने से पहले भी तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जिनके कारण बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों को भारत में शरण लेनी पड़ी. पश्चिमी चंपारण जिले में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थियों का परिवार रहता है और बांग्लादेश के ताजा हालात को लेकर खासी चिंता में है.

3000 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी परिवारः पश्चिमी चंपारण जिले के विभिन्न गांवों में 3000 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी परिवार बसे हुए हैं. तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में 1956 और 1965 में हुई हिंसा के दौरान शरणार्थी शिविरों में शरण ली और फिर वहां से विस्थापित होने के बाद सभी को जिले के 39 गांवों में बसाया गया.

बांग्लादेशी शरणार्थियों में चिंता
बांग्लादेशी शरणार्थियों में चिंता (ETV BHARAT)

खेतीबाड़ी और बीड़ी बनाने के कारोबार से गुजाराः पश्चिमी चंपारण के चौतरवा, परसौनी, सेमरा, भेड़िहारी, तिनफेडिया, दुधौरा सहित दूसरे गांवों में बसे इन बांग्लादेशी शरणार्थियों का परिवार खेतीबाड़ी और बीड़ी बनाने के कारोबार से जुड़ा है और इतने सालों बाद भी कई मुश्किलों का सामना कर रहा है. हालांकि इनका कहना है कि मोदी सरकार के आने के बाद इनकी सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जाता है और न ही जमीन का रैयतीकरण किया जाता है.

चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेराः बगहा इलाके के चौतरवा गांव में करीब 300 बांग्लादेशी परिवारों के लोग रहते हैं जो कई मुश्किलों के बाद भी अपनी सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखी है. शुद्ध रूप से सनातनी ये परिवार धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. खासकर दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान तो इनका उत्साह देखते ही बनता है.

चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेरा
चौतरवा के बंगाली कॉलोनी में 300 परिवारों का बसेरा (ETV BHARAT)

बांग्लादेश के हालात पर चिंतितः चौतरवा में रहनेवाले बांग्लादेशी शरणार्थी बांग्लादेश के ताजा हालात को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्होंने बांग्लादेश में चल रहे हिंसा के दौर को कट्टरपंथियों की साजिश का नतीजा बताया है. उन्हें इस बात का बेहद अफसोस है कि जिस परिवार ने बांग्लादेश का निर्माण किया और उसे प्रगति की राह दिखाई, उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ा.

"बहुत दुःखद घटना है. जिसने बांग्लादेश का निर्माण किया, उन्ही बंगबंधु की मूर्ति को तोड़ा जा रहा है. जिसने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया, उस शेख हसीना को बांग्लादेश से पलायन करना पड़ा.जान बचाकर भागना पड़ा. जान बचाकर नहीं भागतीं तो इतिहास है कि उनके परिवार के 18 लोगों को वहां की मिलिट्री ने एक रात में मौत के घाट उतार दिया था. उन्हें हिंदुस्तान में शरण मिली है. हमें उम्मीद है कि भारत सरकार इस हालात में उचित निर्णय लेगी."- श्रीकांत हलदार, बांग्लादेशी शरणार्थी

बांग्लादेश में हिंसा से चिंतित
बांग्लादेश में हिंसा से चिंतित (ETV BHARAT)

हिंदुओं पर हमले चिंताजनकः चौतरवा में रहे रहे बांग्लादेशी परिवारों ने हिंदुओं और मंदिरों पर हो रहे हमले पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि वहां के कट्टरपंथी नहीं चाहते हैं कि अल्पसंख्यक हिंदू चैन और आराम की जिंदगी जिएं. उन्होंने पूरे मामले में भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि बांग्लादेश में हालात सामान्य हों और उथल-पुथल का दौर जल्द खत्म हो.

"हमलोग चाहते हैं कि भारत सरकार इसमें तत्काल हस्तक्षेप करे और वहां की जो सरकार है उनसे हिंदुओं को संरक्षण मिले. वहां के जो अल्पसंख्यक हैं हिंदू, उनके ऊपर जो अत्याचार हो रहा है, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, उनलोगों को मारा-पीटा जा रहा है. ऐसा नहीं होना चाहिए. यहां की सरकार तत्काल कदम उठाए और वहां की सरकार से संरक्षण मिलना चाहिए."- तापस हलदार, बांग्लादेशी शरणार्थी

बड़ी संख्या में रहते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी
बड़ी संख्या में रहते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी (ETV BHARAT)

बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरताः बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ भड़के छात्र आंदोलन ने इस कदर हिंसक रूप ले लिया कि वहां की पीएम शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा है. यहां तक कि प्रदर्शनकारी पीएम आवास में घुस गये और वहां कब्जा कर लिया. इसके साथ ही पूरे बांग्लादेश में हिंसा का दौर चल पड़ा है. इसमें हिंदुओं को और उनके धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया जा रहा है.

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