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एसटी सीटों पर भाजपा की हार, मोदी कैबिनेट में कुर्मी की उपेक्षा, अर्जुन मुंडा की भूमिका जैसे सवालों का बाबूलाल मरांडी ने दिया जवाब - Babulal Marandi Exclusive

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 14, 2024, 5:59 PM IST

Exclusive Talk With Babulal Marandi. झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने एससीट सीटों पर पार्टी की हार, मोदी कैबिनेट और अर्जुन मुंडा की भूमिका जैसे तमाम मुद्दों पर बेकाकी से अपनी राय रखी.

BABULAL MARANDI EXCLUSIVE
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: लोकसभा चुनाव का चैप्टर क्लोज हो चुका है. उम्मीद और दावों के विपरित भाजपा को आदिवासी वोटर्स का आशीर्वाद नहीं मिला. एसटी के लिए सभी पांच सीटों पर जीत तो दूर अपनी तीन सीटें भी पार्टी गंवा बैठी. अब भाजपा के सामने कुछ माह के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव में परफॉर्म करने की चुनौती है. हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भरोसा है कि इस बार झारखंड में भाजपा की सरकार बनेगी. ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस बार का चुनाव किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर नहीं लड़ा जाएगा. इसबार का चुनाव भाजपा लड़ेगी.

बाबूलाल मरांडी से बात करते ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह (ईटीवी भारत)

ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने उनसे एसटी सीटों पर हार की वजह के साथ-साथ वैसे कई सवाल पूछे, जिसका जवाब जनता जानना चाहती है. उनसे पूछा गया कि आदिवासी के बाद राज्य में कुर्मी वोटर्स ही ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा सीटों पर प्रभाव डालते हैं. फिर हैट्रिक लगाने वाले विद्युत वरण महतो या दो बार चुनाव जीतने वाले चंद्रप्रकाश चौधरी को मोदी कैबिनेट में जगह क्यों नहीं मिली.

सिंहभूम से चुनाव हारने वाली गीता कोड़ा और दुमका से चुनाव हारने वाली सीता सोरेन को लेकर पार्टी अब क्या सोच रखती है. इसबार भाजपा के कोर कैडर को दरकिनार कर वैसे तीन लोगों (ढुल्लू महतो, मनीष जयसवाल और कालीचरण सिंह) को टिकट दिया गया, जो जेवीएम से जुड़े थे. इसको किस रूप में देखते हैं. केंद्रीय मंत्री रहते हुए अर्जुन मुंडा खूंटी से चुनाव हार गये. लेकिन तीन बार सीएम रहने की वजह से झारखंड की राजनीति पर उनकी पकड़ मानी जाती है. क्या मौजूदा हालात में अर्जुन मुंडा के लिए झारखंड की राजनीति में कोई स्पेस नजर आता है. अगर वह आना चाहें तो आपका क्या स्टैंड होगा.

रांची: लोकसभा चुनाव का चैप्टर क्लोज हो चुका है. उम्मीद और दावों के विपरित भाजपा को आदिवासी वोटर्स का आशीर्वाद नहीं मिला. एसटी के लिए सभी पांच सीटों पर जीत तो दूर अपनी तीन सीटें भी पार्टी गंवा बैठी. अब भाजपा के सामने कुछ माह के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव में परफॉर्म करने की चुनौती है. हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भरोसा है कि इस बार झारखंड में भाजपा की सरकार बनेगी. ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस बार का चुनाव किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर नहीं लड़ा जाएगा. इसबार का चुनाव भाजपा लड़ेगी.

बाबूलाल मरांडी से बात करते ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह (ईटीवी भारत)

ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने उनसे एसटी सीटों पर हार की वजह के साथ-साथ वैसे कई सवाल पूछे, जिसका जवाब जनता जानना चाहती है. उनसे पूछा गया कि आदिवासी के बाद राज्य में कुर्मी वोटर्स ही ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा सीटों पर प्रभाव डालते हैं. फिर हैट्रिक लगाने वाले विद्युत वरण महतो या दो बार चुनाव जीतने वाले चंद्रप्रकाश चौधरी को मोदी कैबिनेट में जगह क्यों नहीं मिली.

सिंहभूम से चुनाव हारने वाली गीता कोड़ा और दुमका से चुनाव हारने वाली सीता सोरेन को लेकर पार्टी अब क्या सोच रखती है. इसबार भाजपा के कोर कैडर को दरकिनार कर वैसे तीन लोगों (ढुल्लू महतो, मनीष जयसवाल और कालीचरण सिंह) को टिकट दिया गया, जो जेवीएम से जुड़े थे. इसको किस रूप में देखते हैं. केंद्रीय मंत्री रहते हुए अर्जुन मुंडा खूंटी से चुनाव हार गये. लेकिन तीन बार सीएम रहने की वजह से झारखंड की राजनीति पर उनकी पकड़ मानी जाती है. क्या मौजूदा हालात में अर्जुन मुंडा के लिए झारखंड की राजनीति में कोई स्पेस नजर आता है. अगर वह आना चाहें तो आपका क्या स्टैंड होगा.

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