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केदारनाथ में चोराबाड़ी ग्लेशियर के करीब आया एवलॉन्च, वैज्ञानिक मान रहे सामान्य घटना - Avalanche near Kedarnath - AVALANCHE NEAR KEDARNATH

Avalanche near Kedarnath In Uttarakhand उत्तराखंड में एवलॉन्च आने की घटना केदारनाथ क्षेत्र के चोराबाड़ी के पास हुई है. एवलॉन्च की घटना को केदारनाथ यात्रा पर गए तीर्थयात्रियों ने अपने कैमरों में कैद किया. फिलहाल एवलॉन्च से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है. वैज्ञानिक इसे सामान्य घटना बता रहे हैं.

Avalanche near Kedarnath
केदारनाथ के पास एवलॉन्च (Photo- Tourist)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 10, 2024, 8:00 AM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में एवलॉन्च की कई तस्वीरें सामने आती रही हैं. एक ऐसी ही तस्वीर केदारनाथ क्षेत्र से सामने आई है. बताया जा रहा है कि केदारनाथ मंदिर से इस दृश्य को देखा गया और कई लोगों ने अपने मोबाइल पर भी इन तस्वीरों को रिकॉर्ड किया. यहां चोराबाड़ी ग्लेशियर से करीब 7-8 किलोमीटर ऊपर बर्फ का गुबार बनने की घटना देखी गई है. बताया जा रहा है कि लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण हिमालय क्षेत्र में इस तरह के एवलॉन्च देखे जा रहे हैं. हालांकि, वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र में बर्फ का गुबार बनने जैसी इस घटना को सामान्य मान रहे हैं.

केदारनाथ क्षेत्र में आया एवलॉन्च: जानकारी के अनुसार चोराबाड़ी ग्लेशियर से करीब 7-8 किलोमीटर ऊंचाई पर इस तरह की घटना देखने को मिली है. हालांकि, इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है. बताया जा रहा है कि हिमालय के ऊंचे क्षेत्र में ग्लेशियर टूटा है, जिससे बर्फ के गुबार की तस्वीर सामने आई है. ग्लेशियर टूटने के बाद बर्फ का एक बड़ा गुबार नीचे खाई में समता हुआ दिखाई दिया है. एवलॉन्च आने की ये घटना रविवार की बताई जा रही है.

2013 में केदारनाथ में आई थी आपदा: दरअसल, चोराबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित है. चोराबाड़ी वही ग्लेशियर है जो 2013 में केदारनाथ आपदा के लिए जिम्मेदार माना जाता है. तेज बारिश के कारण इसी ग्लेशियर में बेहद ज्यादा पानी भरने के बाद अचानक बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. शायद यही कारण है कि अब जब इस ग्लेशियर के ऊंचे क्षेत्र पर इस तरह की घटना हुई है तो हर कोई इसकी चर्चा कर रहा है.

हिमनद वैज्ञानिक ने बताई सामान्य घटना: वहीं, केदारनाथ मंदिर से करीब 7 से 8 किलोमीटर ऊपर हुए हिमस्खलन की इस घटना को देहरादून वाडिया इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल ने सामान्य घटना बताया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ डीपी डोभाल ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाएं होना सामान्य है. लगातार बढ़ रही गर्मी के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसके चलते भी हिमस्खलन की घटना हो रही है. हालांकि, इसकी निगरानी करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि, हर साल ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन की घटनाएं होती हैं. कुछ घटनाओं का पता चल जाता है लेकिन अधिकतर घटनाओं का पता नहीं चलता है. खासकर जब स्लोप पर ताजा बर्फ जमा होती है, तो उसके खिसकने की संभावना बनी रहती है क्योंकि ताजा बर्फ को ग्लेशियर बनने में काफी समय लगता है. यही वजह है कि जब ग्लेशियर पिघलती है तो हिमस्खलन की घटनाएं भी होती हैं.

बता दें कि, इससे पहले केदारनाथ क्षेत्र में हल्की बारिश हुई थी. इसके बाद इस घटना के होने की बात कही जा रही है. इससे पहले इसी ग्लेशियर के पास कई बार हिमस्खलन की घटना हो चुकी है. हालांकि साल 2013 में 16-17 जून को आई आपदा के बाद से ही लगातार वैज्ञानिक इस पूरे क्षेत्र पर नजरें बनाए रखते हैं. ग्लेशियर पर किसी तरह की झील का निर्माण होने को लेकर भी मॉनिटरिंग की जाती है. बताया जाता है कि तापमान बढ़ने के बाद ग्लेशियर में बर्फ पिघलने से पानी जमा हो जाता है. इसके बाद इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं. हालांकि लगातार इसकी निगरानी की जा रही है.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर का जियोलाॅजिकल सर्वे करेगी टीम, सामने आएगी 'हकीकत'

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में एवलॉन्च की कई तस्वीरें सामने आती रही हैं. एक ऐसी ही तस्वीर केदारनाथ क्षेत्र से सामने आई है. बताया जा रहा है कि केदारनाथ मंदिर से इस दृश्य को देखा गया और कई लोगों ने अपने मोबाइल पर भी इन तस्वीरों को रिकॉर्ड किया. यहां चोराबाड़ी ग्लेशियर से करीब 7-8 किलोमीटर ऊपर बर्फ का गुबार बनने की घटना देखी गई है. बताया जा रहा है कि लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण हिमालय क्षेत्र में इस तरह के एवलॉन्च देखे जा रहे हैं. हालांकि, वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र में बर्फ का गुबार बनने जैसी इस घटना को सामान्य मान रहे हैं.

केदारनाथ क्षेत्र में आया एवलॉन्च: जानकारी के अनुसार चोराबाड़ी ग्लेशियर से करीब 7-8 किलोमीटर ऊंचाई पर इस तरह की घटना देखने को मिली है. हालांकि, इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है. बताया जा रहा है कि हिमालय के ऊंचे क्षेत्र में ग्लेशियर टूटा है, जिससे बर्फ के गुबार की तस्वीर सामने आई है. ग्लेशियर टूटने के बाद बर्फ का एक बड़ा गुबार नीचे खाई में समता हुआ दिखाई दिया है. एवलॉन्च आने की ये घटना रविवार की बताई जा रही है.

2013 में केदारनाथ में आई थी आपदा: दरअसल, चोराबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित है. चोराबाड़ी वही ग्लेशियर है जो 2013 में केदारनाथ आपदा के लिए जिम्मेदार माना जाता है. तेज बारिश के कारण इसी ग्लेशियर में बेहद ज्यादा पानी भरने के बाद अचानक बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. शायद यही कारण है कि अब जब इस ग्लेशियर के ऊंचे क्षेत्र पर इस तरह की घटना हुई है तो हर कोई इसकी चर्चा कर रहा है.

हिमनद वैज्ञानिक ने बताई सामान्य घटना: वहीं, केदारनाथ मंदिर से करीब 7 से 8 किलोमीटर ऊपर हुए हिमस्खलन की इस घटना को देहरादून वाडिया इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल ने सामान्य घटना बताया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ डीपी डोभाल ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाएं होना सामान्य है. लगातार बढ़ रही गर्मी के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसके चलते भी हिमस्खलन की घटना हो रही है. हालांकि, इसकी निगरानी करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि, हर साल ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन की घटनाएं होती हैं. कुछ घटनाओं का पता चल जाता है लेकिन अधिकतर घटनाओं का पता नहीं चलता है. खासकर जब स्लोप पर ताजा बर्फ जमा होती है, तो उसके खिसकने की संभावना बनी रहती है क्योंकि ताजा बर्फ को ग्लेशियर बनने में काफी समय लगता है. यही वजह है कि जब ग्लेशियर पिघलती है तो हिमस्खलन की घटनाएं भी होती हैं.

बता दें कि, इससे पहले केदारनाथ क्षेत्र में हल्की बारिश हुई थी. इसके बाद इस घटना के होने की बात कही जा रही है. इससे पहले इसी ग्लेशियर के पास कई बार हिमस्खलन की घटना हो चुकी है. हालांकि साल 2013 में 16-17 जून को आई आपदा के बाद से ही लगातार वैज्ञानिक इस पूरे क्षेत्र पर नजरें बनाए रखते हैं. ग्लेशियर पर किसी तरह की झील का निर्माण होने को लेकर भी मॉनिटरिंग की जाती है. बताया जाता है कि तापमान बढ़ने के बाद ग्लेशियर में बर्फ पिघलने से पानी जमा हो जाता है. इसके बाद इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं. हालांकि लगातार इसकी निगरानी की जा रही है.

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