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असम: पुलिस ने उल्फा (आई) के शिविर में जासूसों को तैनात करने के दावों का खंडन किया - असम उल्फा आई शिविर जासूस

Assam police spies ULFA I camp: असम के मुख्यमंत्री और पुलिस ने उल्फा (आई) के शिविरों में जासूसों को तैनात करने के दावों का खंडन किया.

Assam CM and State police denies claims made by ULFA (I) of planting spies in its camp
असम: पुलिस ने उल्फा (आई) के शिविर में जासूसों को तैनात करने के दावों का खंडन किया
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 29, 2024, 12:04 PM IST

गुवाहाटी: असम पुलिस और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के बीच तनातनी एक बार फिर बढ़ गई है. इस सिलसिले में रविवार को प्रतिबंधित संगठन द्वारा एक वीडियो जारी किया गया. इसमें संगठन ने दावा किया कि असम पुलिस ने उसके शिविर में एक जासूस को छोड़ा.

इस संबंध में जारी किए गए वीडियो में उल्फा (आई) ने एक शख्स को दिखाया गया. उसका नाम मानस बुरागोहेन बताया गया. दावा किया गया कि वह कथित तौर पर जासूसी कर रहा था. उसने असम पुलिस के खिलाफ आरोप लगाए. उसने असम पुलिस की विशेष शाखा का एक अधिकारी होने का दावा किया जो बाद में नवंबर 2023 में उल्फा (आई) में शामिल हो गया.

वीडियो जारी किए जाने के तुरंत विवाद बढ़ गया. असम पुलिस की ओर से एक बयान जारी किया जिसमें अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया और उन्हें पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और प्रेरित बताया. यहां तक कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मकुम में कहा कि उल्फा (आई) गुट द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि लड़का नवंबर 2023 में एक वीडियो जारी करके समूह में शामिल हुआ. उसने खुद को इंजीनियरिंग छात्र के रूप में पेश किया था. सीएम ने उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ से भी लड़के को नुकसान न पहुंचाने और उसे उसके परिवार को सौंपने की अपील की. गौरतलब है कि रविवार को उल्फा (आई) खेमे की ओर से जारी वीडियो में गिरफ्तार युवक ने असम पुलिस के शीर्ष अधिकारियों पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. मानस का सबसे बड़ा आरोप यह है कि पुलिस ने जासूस बनाकर जिन लोगों को भेजा है उनमें से कई युवतियां हैं. उन्हें कथित तौर पर यौन शिक्षा देने के बाद उल्फा (आई) शिविर में भेजा गया था ताकि वे प्रतिबंधित संगठन के नेताओं को फंसा सके.

ये भी पढ़ें- 44 वर्षों के संघर्ष के बाद यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम औपचारिक रूप से भंग

गुवाहाटी: असम पुलिस और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के बीच तनातनी एक बार फिर बढ़ गई है. इस सिलसिले में रविवार को प्रतिबंधित संगठन द्वारा एक वीडियो जारी किया गया. इसमें संगठन ने दावा किया कि असम पुलिस ने उसके शिविर में एक जासूस को छोड़ा.

इस संबंध में जारी किए गए वीडियो में उल्फा (आई) ने एक शख्स को दिखाया गया. उसका नाम मानस बुरागोहेन बताया गया. दावा किया गया कि वह कथित तौर पर जासूसी कर रहा था. उसने असम पुलिस के खिलाफ आरोप लगाए. उसने असम पुलिस की विशेष शाखा का एक अधिकारी होने का दावा किया जो बाद में नवंबर 2023 में उल्फा (आई) में शामिल हो गया.

वीडियो जारी किए जाने के तुरंत विवाद बढ़ गया. असम पुलिस की ओर से एक बयान जारी किया जिसमें अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया और उन्हें पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और प्रेरित बताया. यहां तक कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मकुम में कहा कि उल्फा (आई) गुट द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि लड़का नवंबर 2023 में एक वीडियो जारी करके समूह में शामिल हुआ. उसने खुद को इंजीनियरिंग छात्र के रूप में पेश किया था. सीएम ने उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ से भी लड़के को नुकसान न पहुंचाने और उसे उसके परिवार को सौंपने की अपील की. गौरतलब है कि रविवार को उल्फा (आई) खेमे की ओर से जारी वीडियो में गिरफ्तार युवक ने असम पुलिस के शीर्ष अधिकारियों पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. मानस का सबसे बड़ा आरोप यह है कि पुलिस ने जासूस बनाकर जिन लोगों को भेजा है उनमें से कई युवतियां हैं. उन्हें कथित तौर पर यौन शिक्षा देने के बाद उल्फा (आई) शिविर में भेजा गया था ताकि वे प्रतिबंधित संगठन के नेताओं को फंसा सके.

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