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क्या है बूढ़ा पहाड़ पर चलाया गया अभियान अशोका? तीन दशक बाद इलाके में दाखिल हुआ था विभाग - ASHOKA CAMPAIGN IN BUDHA PAHAD

बूढ़ा पहाड़ के इलाके में अभियान अशोका चलाया गया है. इसकी शुरुआत वन विभाग के द्वारा की गई है.

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पीटीआर में मौजूद बाघ (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 20, 2025, 3:25 PM IST

पलामू: पूरे देश में बूढ़ापहाड़ पर नक्सलियों के खिलाफ चलाया गया अभियान ऑक्टोपस चर्चा में है. अभियान 'ऑक्टोपस' के खत्म होने के बाद बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक और अभियान चलाया गया जिसका नाम 'अशोका' रखा गया है. अभियान ऑक्टोपस को केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं सुरक्षबलों ने चलाया था. जबकि अभियान अशोका को वन विभाग ने चलाया है.

अभियान अशोका के तहत वन विभाग की टीम तीन दशकों के बाद बूढ़ापहाड़ के इलाके में दाखिल हुई है. वन विभाग का बूढ़ापहाड़ के इलाके में दाखिल होने का नतीजा है कि बाघ ने कई दशक से बंद झारखंड-मध्य प्रदेश कॉरिडोर को एक्टिव किया है.

जानकारी देते पीटीआर के उपनिदेशक (ETV BHARAT)

अभियान के दौरान मिलने वाले बाघ का नाम रखा गया अशोका

जनवरी 2023 में बूढ़ापहाड़ को पूरी तरह से नक्सली मुक्त घोषित किया गया था. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बूढ़ापहाड़ पर पहुंचने वाले पहले सीएम बने थे. अप्रैल 2023 में बूढ़ापहाड़ के इलाके में वन्य जीव की सुरक्षा को पलामू टाइगर रिजर्व, गढ़वा वन प्रमंडल, लातेहार वन प्रमंडल और छत्तीसगढ़ के वन विभाग के सहयोग से एक अभियान की शुरुआत की गई.

इस अभियान का नेतृत्व पलामू टाइगर रिजर्व कर रहा था, जिसे अशोका नाम दिया गया. अभियान के क्रम में बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक दशक बाद जिंदा बाघ को देखा गया था. पहली बार पलामू टाइगर रिजर्व की टीम बाघ के नजदीक पहुंची थी और बाघ का फोटो लिया. मिलने वाले बाघ का नाम भी अशोका रख दिया गया.

अप्रैल 2023 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन को लेकर एक अभियान की शुरुआत की गई थी. इस अभियान का नाम अशोका रखा गया था. अभियान के क्रम में एक बाघ मिला था और कई अन्य वन्य जीव की जानकारी मिली थी. मिलने वाले बाघ का नाम अशोका रखा गया था. पूरे इलाके में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन को लेकर कई कदम उठाए गए हैं और बूढ़ापहाड़ के लिए खास योजना भी तैयार की गई है- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पीटीआर

झारखंड में बाघों का द्वार है बूढ़ापहाड़

पलामू टाइगर रिजर्व रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पीटीआर करीब 400 वर्ग किलोमीटर बूढ़ापहाड़ के इलाके में मौजूद है. पूरा बूढ़ापहाड़ पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में मौजूद है. यह इलाका 90 के दशक से नक्सलियों के कब्जे में था. बूढ़ापहाड़ को माओवादियों ने अपना ट्रेनिंग सेंटर बना लिया था.

बूढ़ापहाड़ से नक्सलियों के कब्जा खत्म होने के बाद अप्रैल 2023 में पहली बार पीटीआर की टीम दाखिल हुई थी. बूढ़ापहाड़ का इलाका छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है. यह पलामू टाइगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा है. झारखंड के इलाके में मध्य प्रदेश से बूढ़ापहाड़ के रास्ते ही बाघ दाखिल होते हैं.

ये भी पढ़ें: दलमा के बाघ को लाया जाएगा पलामू! पीटीआर ने एनटीसीए से मांगी अनुमति

पीटीआर में कितने प्रकार के हैं वन्य जीव? जूलॉजिकल टीम कर रही सर्वे - Survey in PTR

पीटीआर में देखा गया छठा टाइगर, एमपी के बाघों को लुभा रहा है झारखंड

पलामू: पूरे देश में बूढ़ापहाड़ पर नक्सलियों के खिलाफ चलाया गया अभियान ऑक्टोपस चर्चा में है. अभियान 'ऑक्टोपस' के खत्म होने के बाद बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक और अभियान चलाया गया जिसका नाम 'अशोका' रखा गया है. अभियान ऑक्टोपस को केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं सुरक्षबलों ने चलाया था. जबकि अभियान अशोका को वन विभाग ने चलाया है.

अभियान अशोका के तहत वन विभाग की टीम तीन दशकों के बाद बूढ़ापहाड़ के इलाके में दाखिल हुई है. वन विभाग का बूढ़ापहाड़ के इलाके में दाखिल होने का नतीजा है कि बाघ ने कई दशक से बंद झारखंड-मध्य प्रदेश कॉरिडोर को एक्टिव किया है.

जानकारी देते पीटीआर के उपनिदेशक (ETV BHARAT)

अभियान के दौरान मिलने वाले बाघ का नाम रखा गया अशोका

जनवरी 2023 में बूढ़ापहाड़ को पूरी तरह से नक्सली मुक्त घोषित किया गया था. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बूढ़ापहाड़ पर पहुंचने वाले पहले सीएम बने थे. अप्रैल 2023 में बूढ़ापहाड़ के इलाके में वन्य जीव की सुरक्षा को पलामू टाइगर रिजर्व, गढ़वा वन प्रमंडल, लातेहार वन प्रमंडल और छत्तीसगढ़ के वन विभाग के सहयोग से एक अभियान की शुरुआत की गई.

इस अभियान का नेतृत्व पलामू टाइगर रिजर्व कर रहा था, जिसे अशोका नाम दिया गया. अभियान के क्रम में बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक दशक बाद जिंदा बाघ को देखा गया था. पहली बार पलामू टाइगर रिजर्व की टीम बाघ के नजदीक पहुंची थी और बाघ का फोटो लिया. मिलने वाले बाघ का नाम भी अशोका रख दिया गया.

अप्रैल 2023 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन को लेकर एक अभियान की शुरुआत की गई थी. इस अभियान का नाम अशोका रखा गया था. अभियान के क्रम में एक बाघ मिला था और कई अन्य वन्य जीव की जानकारी मिली थी. मिलने वाले बाघ का नाम अशोका रखा गया था. पूरे इलाके में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन को लेकर कई कदम उठाए गए हैं और बूढ़ापहाड़ के लिए खास योजना भी तैयार की गई है- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक पीटीआर

झारखंड में बाघों का द्वार है बूढ़ापहाड़

पलामू टाइगर रिजर्व रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पीटीआर करीब 400 वर्ग किलोमीटर बूढ़ापहाड़ के इलाके में मौजूद है. पूरा बूढ़ापहाड़ पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में मौजूद है. यह इलाका 90 के दशक से नक्सलियों के कब्जे में था. बूढ़ापहाड़ को माओवादियों ने अपना ट्रेनिंग सेंटर बना लिया था.

बूढ़ापहाड़ से नक्सलियों के कब्जा खत्म होने के बाद अप्रैल 2023 में पहली बार पीटीआर की टीम दाखिल हुई थी. बूढ़ापहाड़ का इलाका छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है. यह पलामू टाइगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच का हिस्सा है. झारखंड के इलाके में मध्य प्रदेश से बूढ़ापहाड़ के रास्ते ही बाघ दाखिल होते हैं.

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