देहरादून (उत्तराखंड): नैनीताल हाई कोर्ट के एक और न्यायाधीश ने उत्तराखंड के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले से खुद को अलग कर लिया. इस बार उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने उत्तराखंड कैडर के अफसर संजीव चतुर्वेदी के मामले से खुद को अलग किया है. इस तरह संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले न्यायाधीशों की संख्या अब 9 हो गई है.
केंद्र सरकार की उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्थानांतरण याचिका को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े इस मामले पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया है. उच्च न्यायालय में आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के प्रतिनियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई को लेकर केंद्र सरकार ने स्थानांतरण याचिका दायर की थी. केंद्र सरकार इस मामले की सुनवाई उत्तराखंड उच्च न्यायालय से स्थानांतरित करते हुए कैट की दिल्ली बेंच में करवाना चाहती है. जबकि संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से ही मामले का निपटारा करने के निर्देश मांगे हैं.
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इस मामले में अब न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ द्वारा आदेश पारित करते हुए रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि संजीव चतुर्वेदी के मामलों को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के समक्ष सूचीबद्ध ना किया जाए. हालांकि इस आदेश में खुद को अलग करने का कोई कारण नहीं बताया गया है. संजीव चतुर्वेदी के मामले से खुद को अलग करने से जुड़ा यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के कई न्यायाधीश अलग-अलग मामलों में खुद को सुनवाई से अलग कर चुके हैं. इससे पहले 2013 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज यू यू ललित ने भी उनके एक मामले में शुरुआती से खुद को अलग कर लिया था.आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी विभिन्न मामलों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करते रहे हैं और भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों में कार्रवाई करने को लेकर वह देश भर में चर्चाओं में भी रहे हैं.
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जानिए मामले पर क्या बोले संजीव चतुर्वेदी: उधर इस मामले को लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने संजीव चतुर्वेदी से बात की. आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने इस आदेश पर हैरानी जताते हुए कहा कि वो नहीं जानते कि ऐसा आदेश क्यों जारी किया गया है और क्यों न्यायाधीश ने खुद को मामले से अलग किया है.