नई दिल्ली: कांग्रेस 20 दिसंबर को संसद सत्र समाप्त होने के बाद भी आंबेडकर से जुड़े मुद्दे को उठाना जारी रखेगी. बता दें कि, तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस आंबेडकर मुद्दे को सत्तापक्ष के खिलाफ भुनाकर उसे हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिशों में जुट गई है. दरअसल, हालिया विधानसभा चुनाव में मिली हार से पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ा है.
कांग्रेस को 20 दिसंबर को समाप्त होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की विवादास्पद टिप्पणी के रूप में ऑक्सीजन मिली. न केवल कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन परिसर में इस मुद्दे का विरोध किया, बल्कि इस मामले ने राज्य इकाइयों को भी उत्साहित कर दिया, जिन्होंने भगवा पार्टी को निशाना बनाने और हाशिए पर पड़े समुदायों को संदेश देने के लिए सड़कों पर उतर आए, जो अंबेडकर को बहुत सम्मान देते हैं.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के रणनीतिकारों को गृह मंत्री की टिप्पणी में राजनीतिक अवसर को समझने में थोड़ा समय लगा. जब पार्टी के सांसदों ने 17 दिसंबर को संसद भवन के प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया. हालांकि, सभी राज्य इकाइयों को एक दिन बाद 18 दिसंबर को इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरने का निर्देश दिया गया.
जिसका नतीजा यह हुआ कि, उसी दिन राजस्थान, असम, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में कांग्रेस की पार्टी इकाइयों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया. कांग्रेस की यूपी इकाई ने भी 18 दिसंबर को लखनऊ में नौकरी, महंगाई, किसानों की दुर्दशा और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर पूर्व निर्धारित विरोध प्रदर्शन किया.
इसी मुद्दे पर कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने ईटीवी भारत से कहा कि,कांग्रेस हमेशा जमीन पर सक्रिय रहती है और आम आदमी को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाती है. उन्होंने कहा कि, डॉ. आंबेडकर के प्रति दिखाया गया अनादर एक ऐसा मुद्दा था जिस पर हमें कड़ी प्रतिक्रिया देनी पड़ी और इसे लोगों तक ले जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि, देश में सब कुछ संविधान से होता है और गृह मंत्री ने इसे तैयार करने वाले व्यक्ति के बारे विवादास्पद टिप्पणी की.
कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने ईटीवी भारत से आगे कहा कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समाज के वंचित वर्गों के हितों की रक्षा के लिए लंबे समय से 'संविधान बचाओ' अभियान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि, अमित शाह की टिप्पणी ने फिर से भाजपा की पोल खोल दी है.
उन्होंने कहा आगे कहा कि, वे (बीजेपी) राहुल गांधी के संसद जाने के रास्ते को रोककर और महिला सांसदों के साथ दुर्व्यवहार करके मामले को और खराब कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस 20 दिसंबर को संसद सत्र समाप्त होने के बाद भी इस मुद्दे को उठाना जारी रखेगी.
उन्होंने कहा कि, बाबा साहेब का अपमान एक गंभीर मुद्दा है और सत्तारूढ़ पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि, समाजवादी पार्टी जैसे कुछ भारतीय ब्लॉक सहयोगी, जिन्हें अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने पर आपत्ति थी, टीएमसी, जिसका ईवीएम मुद्दे पर अलग दृष्टिकोण था, वे भी अंबेडकर पर विरोध में शामिल हो गए. वे संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह कांग्रेस के रुख का समर्थन किया.
गुरुवार को जहां कांग्रेस सदस्यों ने आंबेडकर के अपमान के मुद्दे को उठाने के लिए नीले कपड़े पहने, वहीं सपा सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए लाल टोपी पहनी. 19 दिसंबर को युवा कांग्रेस के सदस्यों ने इस मुद्दे पर विरोध जताने के लिए अपनी शर्ट उतार दी.
राज्यों में कांग्रेस सदस्यों ने गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा के अंदर इस मुद्दे को उठाया, जबकि कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी-एसपी विधायकों ने अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री की विवादास्पद टिप्पणी पर अपना गुस्सा दिखाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने ईटीवी भारत से कहा, "डॉ अंबेडकर को देश भर में लाखों लोग पूजते हैं. उनके द्वारा लिखा गया संविधान किसी पवित्र ग्रंथ से कम नहीं है.
उन्होंने कहा, 'भाजपा यह जानती है और जानबूझकर उनका अनादर करने की कोशिश करती है. डॉ अंबेडकर का कोई भी अनादर पूरे दलित समुदाय का अपमान है. हम उनका (आंबेडकर) का सम्मान करना जारी रखेंगे और जिन्होंने अनादर किया है उनसे माफी मांगने के लिए कहेंगे. '
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