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जैविक पिता होने से शख्स ने किया इनकार तो हाईकोर्ट ने दिया आदेश- बच्चों को गुजारा भत्ता दे या डीएनए टेस्ट कराए पिता - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

अपने ही बच्चों का जैविक पिता होने से इंकार करने वाले व्यक्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों को गुजारा भत्ता देने या डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला (फोटो क्रेडिट-इलाहाबाद हाईकोर्ट)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 9:15 PM IST

प्रयागराज: अपने ही बच्चों का जैविक पिता होने से इंकार करने वाले व्यक्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों को गुजारा भत्ता देने या डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि बच्चों को भरण पोषण देने से मना करना उनके मूल अधिकार का उल्लंघन है. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश खुद को बच्चों का पिता होने से इंकार करने वाले व्यक्ति की याचिका पर दिया.

मामले में पुलिस स्टेशन वृंदावन, मथुरा निवासी महिला ने गुजारा भत्ता के लिए परिवार न्यायालय में वाद दायर किया था. पिता ने यह कहते हुए गुजारा भत्ता देने से इंकार कर दिया कि महिला के बच्चों का वह जैविक पिता नहीं है. महिला की इससे शादी भी नहीं हुई है, इसलिए पूर्व में उसकी दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का वाद कोर्ट खारिज कर चुका है. महिला के अनुरोध पर माता-पिता का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण की मांग की गई. ट्रायल कोर्ट ने 03 नवंबर 2021 बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए डीएनए जांच कराने का आदेश दिया. इस आदेश के विरोध में याची ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया.

याची अधिवक्ता ने दलील दी कि महिला कानूनी रूप से उसकी पत्नी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि कोई भी अदालत आवेदक को उसकी सहमति के बिना डीएनए परीक्षण कराने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. इसलिए डीएनए परीक्षण का आदेश पूरी तरह से कानून के विपरीत है. महिला के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची ही महिला के बच्चों का जैविक पिता है. सिर्फ गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए कह रहा है कि बच्चे उसकी संतान नहीं हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करना चाहिए. न्यायपालिका का यह मूल कर्तव्य है कि वह सबसे सटीक और विश्वसनीय तरीकों का उपयोग करके सच्चाई का पता लगाए और न्याय करे. कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण का अधिकार केवल कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि मौलिक मानवाधिकारों में निहित है. ऐसे में अनसुलझे पितृत्व मुद्दों के कारण भरण-पोषण से इनकार करना, उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने याची को आदेश दिया कि या तो डीएनए जांच कराएं या गुजारा भत्ता दें.

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प्रयागराज: अपने ही बच्चों का जैविक पिता होने से इंकार करने वाले व्यक्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों को गुजारा भत्ता देने या डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि बच्चों को भरण पोषण देने से मना करना उनके मूल अधिकार का उल्लंघन है. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश खुद को बच्चों का पिता होने से इंकार करने वाले व्यक्ति की याचिका पर दिया.

मामले में पुलिस स्टेशन वृंदावन, मथुरा निवासी महिला ने गुजारा भत्ता के लिए परिवार न्यायालय में वाद दायर किया था. पिता ने यह कहते हुए गुजारा भत्ता देने से इंकार कर दिया कि महिला के बच्चों का वह जैविक पिता नहीं है. महिला की इससे शादी भी नहीं हुई है, इसलिए पूर्व में उसकी दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का वाद कोर्ट खारिज कर चुका है. महिला के अनुरोध पर माता-पिता का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण की मांग की गई. ट्रायल कोर्ट ने 03 नवंबर 2021 बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए डीएनए जांच कराने का आदेश दिया. इस आदेश के विरोध में याची ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया.

याची अधिवक्ता ने दलील दी कि महिला कानूनी रूप से उसकी पत्नी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि कोई भी अदालत आवेदक को उसकी सहमति के बिना डीएनए परीक्षण कराने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. इसलिए डीएनए परीक्षण का आदेश पूरी तरह से कानून के विपरीत है. महिला के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची ही महिला के बच्चों का जैविक पिता है. सिर्फ गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए कह रहा है कि बच्चे उसकी संतान नहीं हैं.

हाईकोर्ट ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करना चाहिए. न्यायपालिका का यह मूल कर्तव्य है कि वह सबसे सटीक और विश्वसनीय तरीकों का उपयोग करके सच्चाई का पता लगाए और न्याय करे. कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण का अधिकार केवल कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि मौलिक मानवाधिकारों में निहित है. ऐसे में अनसुलझे पितृत्व मुद्दों के कारण भरण-पोषण से इनकार करना, उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने याची को आदेश दिया कि या तो डीएनए जांच कराएं या गुजारा भत्ता दें.

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