प्रयागराज: High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर की भूमि को लेकर वाराणसी जिला जज के समक्ष विचाराधीन दीवानी मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. साथ ही विपक्षी शैलेन्द्र कुमार पाठक व्यास व दो अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
हाईकोर्ट ने यह आदेश प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर नाथ की पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याची भगवान विश्वेश्वर नाथ ने निषेधात्मक वाद दाखिल किया है. उसी मामले में विपक्षी ने भी मुकदमा करते हुए और व्यवस्था करने के अधिकार की मांग की है.
जबकि ज्ञानवापी क्षेत्र के तीनों प्लॉट का प्रबंधन याची के पास है. याचिका में कहा गया है कि प्लॉट नंबर 9130, 9131 और 9132 का संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर भगवान के प्राचीन मंदिर वाली पुरानी चारदीवारी से घिरा हुआ है.
इसमें चार मंडपों और उसके खंडहरों सहित विश्वेश्वर, ज्ञानकुम, मुक्तिमंडप नवनिर्मित, व्यास गद्दी, प्रतिमाएं श्री गंगेश्वर गंगा देवी, श्री हनुमान जी, नंदी, श्री गौरी शंकर, श्री गणेश जी, श्री महाकालेश्वर, श्री महेश्वर, श्रृंगार गौरी, श्री गणेश और कई हिंदू देवी-देवताओं की अन्य मूर्तियां विधिवत दिखाई देती हैं.
तीन वृक्ष नंदी की मूर्ति के ऊपर हैं. नौबत खाना के ऊपर मंदिर के पूर्व की ओर उत्तरी द्वार एवं सेवकों का घर है. पूर्व में गोयनका का घर, गली से नेपाली खपरा, महंथ का घर परमानंद गिरि, हाउस ऑफ सीके 35/8 सोमनाथ व्यास है.
पश्चिम में विश्वनाथ गली, बाबू लाल जैन का घर, जारवारी का घर और पुतलीवाला शिवाला राज राजेश्वर मंदिर और सिद्धजी का मठ उसके बाद विश्वनाथ लेन है. उत्तर में श्योदत्त राय धर्मशाला और अभय मुक्तेश्वर मंदिर, गेट और विश्वनाथ लेन है जबकि दक्षिण में रानी भवानी का शिव मंदिर, गणपत राय का सत्य नारायण मंदिर खेमका, अहिल्या द्वारा निर्मित भगवान विश्वनाथ मंदिर का स्वर्ण मंदिर राम शरण गोसाईं और केदार दीक्षित का बाई हाउस है. इस पूरे परिसर में हस्तक्षेप की कोशिश की जा रही है.
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