उत्तरकाशी: भारतीय वायुसेना चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर 1 से 10 अप्रैल तक दो चरणों में रात और दिन का अभ्यास करेगी. इसके लिए वायुसेना ने जिला प्रशासन से एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड आदि आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संपर्क किया है. अभ्यास के दौरान पहली बार वायुसेना के 7 पायलट भी यहीं रुकेंगे.
: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना नियमित अभ्यास करती रहती है. पिछले माह भी वायुसेना ने यहां अपने अपाचे हेलीकॉप्टर से रात-दिन का अभ्यास किया था. लेकिन उस समय मौसम खराब होने से अभ्यास बीच में स्थगित करना पड़ा था. अब यहां फिर से वायुसेना ने दो चरणों में रात-दिन के अभ्यास की तैयारी कर ली है. जिसमें आगरा एयरबेस के अलावा पहली बार गोरखपुर एयरबेस से भी वायुसेना के विमान पहुंचेंगे, जो कि यहां हवाई अड्डे पर लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास करेंगे.
जानकारी के अनुसार अभ्यास के लिए 31 मार्च को आगरा एयरबेस से 7 पायलट सहित अन्य तकनीकी स्टाफ चिन्यालीसौड़ पहुंचेगा. इस दौरान पायलट पहली बार यहीं रुकेंगे. पहले चरण का अभ्यास 1 से 5 अप्रैल तक चलेगा. इसके बाद गोरखपुर एयरबेस से दूसरे चरण में 6 से 10 अप्रैल तक एमआई 17 व एएलएच हेलीकॉप्टर यहां अभ्यास के लिए पहुंचेंगे. इधर, एसडीएम डुंडा नवाजिश खलीक ने वायुसेना की ओर से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर अभ्यास की पुष्टि करते हुए बताया कि यह अभ्यास 1 से 10 अप्रैल तक चलेगा. 11 अप्रैल को वायुसेना की टीम वापस लौटेगी.
लटका है विस्तारीकरण: चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के विस्तारीकरण को लेकर दो साल पहले 19 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था. लेकिन प्रस्ताव पर बजट नहीं मिलने से हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है. रनवे का 150 मीटर विस्तारीकरण होता तो यहां वायुसेना के लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेक-ऑफ भी संभव होते. इसके अलावा हवाई अड्डे के रनवे पर भी लाइटिंग नहीं लग पाई है, जिससे रात्रि अभ्यास में दिक्कत होती है.
ये भी पढ़ें:
- उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना का अभ्यास, पहली बार चिनूक हेलीकॉप्टर ने रात में भी किया लैंडिंग और टेकऑफ
- उत्तराखंड में वायुसेना तैयार कर रही एडवांस लैंडिंग ग्राउंड, हवाई पट्टियों पर अभ्यास तेज, चिन्यालीसौड़ में उतरा चिनूक
- चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे से टेक ऑफ नहीं कर पाया वायुसेना का मालवाहक विमान, जानिए वजह
- चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे का सौंदर्यीकरण कागजों में सिमटा, इस कारण रात में नहीं होती है लैंडिंग