हैदराबाद: रेलवे ट्रैक पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचाने में एआई ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम काफी अहम साबित हो रहा है. ऐसा ही मामला असम में सामने आया जहां एआई ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम की मदद से बड़ी दुर्घटना टल गई. इस मामले में हाथियों के एक बड़े झुंड को ट्रेन की टक्कर से बचा लिया गया. सोशल मीडिया पर इसकी जमकर तारीफ की जा रही है. पर्यावरण प्रेमी आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने हाथियों को दुर्घटना से बचाने को लेकर प्रशंसा की है.
असम में कैसे टला हादसा
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल शर्मा ने बताया कि एक सतर्क लोको पायलट ने जंगली हाथियों के झुंड को ट्रेन से टकराने से बचाया. उन्होंने बताया कि बुधवार रात कम से कम 60 हाथियों का एक झुंड जिसमें उनके बच्चे भी शामिल थे ट्रैक पार कर रहे थे. लुमडिंग जाने वाली कामरूप एक्सप्रेस लामसाखांग स्टेशन पहुंचने वाली थी.
Incredible sight ! A big shout-out to Loco Pilot Das and Assistant Loco Pilot Umesh Kumar of the 15959 Kamrup Express for their swift and heroic action on 16th October in saving a herd of about 60 elephants crossing the railway tracks between Habaipur and Lamsakhang by applying… pic.twitter.com/otfQ3nwjDJ
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) October 18, 2024
तभी ट्रेन के पायलटों को उस सेक्शन में लगे एआई ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम से सतर्क किया गया. हाबईपुर और लामसाखांग स्टेशन के बीच हाथियों के झुंड को रेलवे ट्रैक पार करते सतर्क लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ने भी देखा और इमरजेंसी ब्रेक लगाई. इस तरह नई प्रणाली हाथियों की जान बचाने में काफी सफल रही है. एनएफ रेलवे ने एनएफआर में फैले अन्य सभी हाथी गलियारों में धीरे-धीरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)-आधारित घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली (आईडीएस) स्थापित करने की भी योजना बनाई हैं.
एआई ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम कैसे काम करता है
यह डिवाइस अल्ट्रासोनिक सेंसर का उपयोग करके ट्रैक के अंदर की बाधा का पता लगाता है. इन्फ्रारेड सेंसर का उपयोग करके ट्रेन ट्रैक पर दिखाई देने वाली अवरोध या दरार का पता लगाता है. यदि ट्रैक पर रूकावट या दरार मौजूद है तो यह सिस्टम सचेत कर देता है. ड्राइवर दुर्घटना संबंधी अलर्ट पर त्वरित कार्रवाई करता है. ड्राइवर इमर्जेंसी ब्रेक लगाकर दुर्घटना होने से बचा लेता है.
40 किमी तक खतरों का पता लगाता है
एआई-आधारित सॉफ्टवेयर ट्रैक पर 40 किमी तक असामान्य गतिविधियों की निगरानी कर सकता है. इसके अवाला पटरी में दरार, रेलवे पटरियों पर अतिक्रमण, पत्थर, पटरियों के पास भूस्खलन आदि के खतरों के बारे में पता लगाकर अलर्ट करने में मदद करता है.
पर्यावरण प्रेमी आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू
अविश्वसनीय दृश्य! हबीपुर और लामसाखांग के बीच रेलवे ट्रैक पार कर रहे लगभग 60 हाथियों के झुंड को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर बचाने के लिए कामरूप एक्सप्रेस के लोको पायलट दास और सहायक लोको पायलट उमेश कुमार को बहुत-बहुत बधाई. पायलटों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डिटेक्शन सिस्टम के माध्यम से सतर्क किया गया था. ये ट्रैक को व्यापक रूप से कवर करता है. यह ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में टेक्नोलॉजी के महत्व को उजागर करती है. एआई (AI) आधारित निगरानी प्रणाली ने थर्मल कैमरों और वास्तविक समय अलर्ट के साथ निगरानी से हाथी-ट्रेन की टक्कर को भी सफलतापूर्वक रोका है.