देहरादून (उत्तराखंड): बागेश्वर जिले के सुंदरढुंगा (सुंदरढूंगा) ग्लेशियर स्थित विवादित देवीकुंड मंदिर के ढांचे को ढहा दिया गया है. यह मंदिर सुंदरढूंगा ग्लेशियर पर 14,500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर अवैध रूप से बनाया गया था. जिसे लेकर जमकर विवाद हुआ था. अब प्रशासन ने अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया है.
कपकोट एसडीएम अनुराग आर्य ने बताया कि पुलिस, एसडीआरएफ और वन कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने कठिन इलाके से होकर देवीकुंड मंदिर तक पहुंची. जहां पहुंचने के लिए टीम को दो दिन लगे. जिसके बाद शनिवार यानी 5 अक्टूबर को ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया. सुंदरढुंगा ग्लेशियर नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है. जहां किसी भी अनाधिकृत निर्माण पर सख्त प्रतिबंध है. यानी कोई भी वहां पर निर्माण कार्य नहीं कर सकता है.
एसडीएम बोले- मंदिर नहीं साधारण कमरे का था ढांचा: एसडीएम आर्य ने स्पष्ट किया कि यह ढांचा कोई मंदिर नहीं था. मीडिया में इसे मंदिर बताया गया, लेकिन वो साधारण एक कमरे का ढांचा था. आर्य ने पीटीआई को बताया कि इसे स्वयंभू बाबा चैतन्य आकाश ने चुपचाप बनवाया था. इसके बाद उन्होंने आस पास के गांवों के निवासियों को ये विश्वास दिलाया था कि उन्हें सपने में ऐसा करने का दिव्य आदेश मिला है.
पवित्र कुंड को 'स्विमिंग पूल के रूप में इस्तेमाल करता था बाबा: एसडीएम अनुराग आर्य का कहना है कि 'बाबा चैतन्य आकाश का इतिहास संदिग्ध रहा है. यहां आने से पहले उन्हें द्वाराहाट समेत कई स्थानों से बाहर निकाला गया था' उन्होंने कहा कि जब इसे ध्वस्त किया जा रहा था, तब संरचना के अंदर कोई नहीं मिला. उन्होंने कहा कि पवित्र देवीकुंड के किनारे संरचना का निर्माण करने के बाद बाबा ने कुंड का इस्तेमाल स्विमिंग पूल के रूप में करना शुरू कर दिया था. जिसमें वो अक्सर स्नान भी करता था. जिसे लेकर लोगों में काफी आक्रोश भी था.
कुंड में देवताओं की मूर्तियों का स्नान कराते हैं लोग: वहीं, स्थानीय लोगों ने इसका विरोध कर इसे अपवित्र करने वाला कृत्य बताया. स्थानीय लोगों का कहना था कि वो हर 12 साल में होने वाली नंदा राजाजात यात्रा के दौरान अपने देवताओं की मूर्तियों को इस पवित्र कुंड में स्नान कराते हैं. इस मामले में स्थानीय लोगों ने जुलाई महीने में जिला प्रशासन को सूचना दी थी, लेकिन मामला सामने आने के दो महीने से ज्यादा समय के बाद कार्रवाई संभव हो पाया.
ढांचे को गिराने में इतना समय क्यों लगा? एसडीएम अनुराग आर्य का कहना था कि यह मंदिर 14,500 फीट की ऊंचाई पर खतरनाक इलाके में स्थित है. जुलाई में भी मौके पर पहुंचने का प्रयास किया गया, लेकिन खराब मौसम की वजह से टीम वहां पहुंचे बिना ही वापस लौट आई थी. यह जगह काफी दुर्गम है, ऐसे में मानसून सीजन में वहां जाकर ढांचे को गिराना जोखिम भरा हो सकता था. ऐसे में अब मौसम साफ होने पर ढांचे को ढहा दिया गया है.
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