गुवाहाटी: असम मंत्रिमंडल ने गुरुवार को असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम एवं नियम 1935 को रद्द करने के एक विधेयक को मंजूरी दे दी जो विशिष्ट परिस्थितियों में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति देता था. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी दी. विधानसभा के आगामी मानसून सत्र के दौरान निरसन विधेयक 2024 पेश किया जाएगा. इस साल की शुरुआत में, मंत्रिमंडल ने अधिनियम को समाप्त करने को मंजूरी दी थी और गुरुवार की बैठक में इस निर्णय को लागू करने के लिए आवश्यक निरसन विधेयक को अधिकृत किया गया.
उन्होंने यहां मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के तुरंत बाद एक्स पर पोस्ट किया, 'हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.' उन्होंने कहा, 'असम मंत्रिमंडल की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है.' सीएम ने कहा कि इसे निरस्त करने का निर्णय 'विवाह और तलाक के पंजीकरण में समानता' लाने के उद्देश्य से है.उन्होंने कहा कि निरसन विधेयक को अगले मानसून सत्र में विधानसभा के समक्ष विचारार्थ रखा जाएगा.
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडल को यह भी निर्देश दिया गया है कि असम में मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के लिए एक उपयुक्त कानून लाया जाए, जिस पर विधानसभा के अगले सत्र में विचार किया जाएगा.' मंत्रिमंडल ने राज्य में बाल विवाह की सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए 23 फरवरी को अधिनियम को निरस्त करने के निर्णय को मंजूरी दी थी. सरमा ने तब एक्स पर पोस्ट किया था, 'इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने के प्रावधान थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन की कानूनी आयु 18 और 21 वर्ष न हुई हो. यह कदम असम में बाल विवाह को प्रतिबंधित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है.' वहीं, विपक्षी दलों ने इस निर्णय की निंदा की थी और इसे चुनावी वर्ष में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए लाया गया मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया था.
क्या बोले असम के सीएमबता दें कि, असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान फिर से शुरू किया जाएगा. अगले नवंबर और दिसंबर से असम सरकार इस पर काम करेगी. गुवाहाटी के बसिस्था स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मीडिया को यह जानकारी दी.
प्रेस को संबोधित करते हुए सीएम हिमंत ने कहा कि इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार बाल विवाह की रोकथाम के मामले में असम शीर्ष स्थान पर है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा कम उम्र में विवाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है.
सीएम हिमंत ने यह भी कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार के जीरो टॉलरेंस कदमों के कारण बाल विवाह में शामिल लगभग 3,000 लोगों को हिरासत में लिया गया है. 2021 से असम में बाल विवाह की दर में 81 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने आगे कहा कि असम में लगभग 80 प्रतिशत बाल विवाह अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा और 20 प्रतिशत बहुसंख्यक समुदाय द्वारा किए जाते हैं.
सीएम सरमा ने कहा कि उन्होंने कभी भी बाल विवाह को धर्म के आधार पर नहीं देखा. असम पहले से ही बाल विवाह को पूरी तरह से समाप्त करने की कगार पर है. इसलिए अगले नवंबर तक सरकार फिर से बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाएगी. दूसरी ओर, असम कैबिनेट ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का फैसला किया है.
मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, असम कैबिनेट ने असम निरसन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी है. इस विधेयक को असम विधानसभा के अगले मानसून सत्र में विचार के लिए रखा जाएगा.