नई दिल्ली: दुनिया भर में सांप के काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं. बिहार के सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने सोमवार को लोकसभा में यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि देश में हर साल सांप के काटने से करीब 50,000 लोगों की मौत होती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. रूडी ने कहा कि हर साल पूरे भारत में 30-40 लाख लोगों को सांप काटता है.
रूडी ने सांप के काटने से होने वाली मौतों की दर पर चिंता जताई और कहा कि बिहार सबसे गरीब राज्य है, जो गरीबी और प्राकृतिक आपदाओं दोनों को झेलता है. पूरे भारत में 30 से 40 लाख लोगों को सांप काटता है और 50,000 लोग मरते हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कई मौतों को रोका जा सकता है, उन्होंने 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर सांप के काटने की घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की ओर इशारा किया.
बीड़ी मजदूरों के लिए फंड और पेंशन की मांग
तमिलनाडु के वेल्लोर के सांसद एम. कथिर आनंद ने बीड़ी मजदूरों की दुर्दशा पर चिंता जताई, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं. उन्होंने बहुत कम केंद्रीय फंड का हवाला देते हुए उनके वेतन में वृद्धि की मांग की. आनंद ने केंद्र सरकार से बजट आवंटन पर विचार करने और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए पेंशन प्रदान करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि बीड़ी मजदूर धूल और अन्य व्यावसायिक खतरों की जद में रहते हैं.
सिफारिशों के कोटे को बढ़ाने की अपील
वहीं, कन्याकुमारी के सांसद विजय वसंत ने लोगों की बेहतर सहायता के लिए सिफारिशों के कोटे को बढ़ाकर प्रति वर्ष 150 करने का आह्वान किया. उन्होंने सरकार से आयुष्मान भारत योजना का दोबारा मूल्यांकन करने का भी आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी चिकित्सा व्यय कवर किए गए हैं. उन्होंने स्वास्थ्य सेवा कवरेज में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि आइये हम सब मिलकर इसकी पूरी क्षमता का उपयोग करें.
पंजाब के बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर ने राज्य में एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) पूरक पोषण कार्यक्रम में भ्रष्टाचार को लेकर चिंता जताई और दावा किया कि फर्जी लाभार्थियों को कथित तौर पर निजी संस्थाओं के माध्यम से सहायता मिल रही है.
मामले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए कौर ने कहा, मैं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूं कि पंजाब में आईसीडीएस पूरक पोषण कार्यक्रम में भ्रष्टाचार जारी है, जहां निजी संस्थाओं के माध्यम से फर्जी लाभार्थियों को सहायता दी जा रही है. उन्होंने बताया कि 28 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को केवल 2,200 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है, इसे मानक से नीचे बताया और माताओं और बच्चों के लिए न्याय की मांग की.
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