પશ્ચિમ બંગાળમાં જુનિયર ડૉકટરોએ ના પાડી હતી અને મુખ્યપ્રધાનના આદેશને પણ અવગણી અને આંદોલનને વધુ વેગ આપ્યો હતો, સાથે જ આંદોલન યથાવત રાખ્યું હતું.
આ સમગ્ર ધટનામાં જવાબદાર અધિકારીઓએ રાજીનામા પણ આપ્યા છે.
વિપક્ષે દીદી પર આકરા પ્રહાર કર્યા છે અને ભાજપા તેના પર 'હિટલર' ની જેમ કામ કરાવી રહી છે તેવા આક્ષેપો કર્યા હતા.
જ્યારે મુખ્યપ્રધાન બપોરે સરકારી હોસ્પિટલ પહોંચ્યા ત્યારે ડોક્ટરોએ ન્યાય માટેના સ્લોગન શરૂ કર્યા હતા.
તેઓએ કહ્યું કે, હું આંદોલનને વખોળું છું, કારણ કે આ આંદોલન માકપા અને ભાજપાના ષડયંત્રથી થયુ છે.
આ ઉપરાંત દીદીએ ડોક્ટરોને 4 કલાકમાં કામ પર પરત ફરવાનુ જણાવ્યું હતું. જો ત્યાર બાદ પણ તે આંદોલન ચાલુ રાખશે તો તેના પર કાયદેસરની કાર્યવાહી પર તેને છાત્રાલયો ખાલી કરવી પડશે.
માગ પુરી ન થાય ત્યાં સુધી પ્રદર્શન યથાવત: જુનિયર ડોક્ટર દીદીના આ આદેશને ધ્યાનમાં લીધા વગર જ ડોક્ટરોએ તેમની હડતાળ ચાલુ રાખી હતી.
આ સમગ્ર આંદોલનના પડઘા રાજધાની સુધી પડયા હતા. જ્યાં પણ કેટલીક હોસ્પિટલોએ પોતાની કામગીરી બંધ રાખી હતી અને કેટલાક ડોક્ટરોએ કામગીરી સમયે માથા પર કાળી પટ્ટી ધારણ કરી અને કામગીરી કરી હતી.
મળતી માહિતી મુજબ આ આંદોલન વધુ ઉગ્ર બન્યુ છે અને તેમાં દિલ્હી સહીત હૈદરાબાદ,રાજસ્થાન, કેરળ પંજાબ, બિહાર, મધ્યપ્રદેશના ડોક્ટરોએ પણ સમર્થન આપ્યુ હતું. આ સમગ્ર વિરોધ પ્રદર્શન વચ્ચે હૈદરાબાદના ડોક્ટરોએ રેલી કાઢી હતી.
દિલ્હીમાં AIIMSના ડોક્ટરોએ નવા દર્દીઓના રજીસ્ટ્રેશન પણ બંધ કરી દીધુ છે. જેને લઇને દર્દીઓને મુશ્કેલીનો સામનો કરવો પડ્યો છે.
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हड़ताली डॉक्टरों ने नहीं मानी ममता की बात, मांग पूरी होने तक जारी रखेंगे प्रदर्शन
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश को नहीं माना और कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी. वहीं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर बरसते हुए विपक्षी भाजपा और माकपा पर उन्हें भड़काने तथा मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया.
इकाइयां
डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कई सरकारी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों अस्पतालों में तीसरे दिन भी आपातकालीन वार्ड, ओपीडी सेवाएं, पैथोलॉजिकल इकाइयां बंद रही. वहीं निजी अस्पतालों में भी चिकित्सकीय सेवाएं बंद रहीं. डॉक्टर कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद भीड़ द्वारा अपने दो सहकर्मियों पर हमले के मद्देनजर प्रदर्शन कर रहे हैं.
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने घटना के खिलाफ तथा हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को 'अखिल भारतीय विरोध दिवस' घोषित किया है.
इस बीच एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी तथा चिकित्सा अधीक्षक एवं उप प्रधानाचार्य प्रो सौरभ चटोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया है.
विपक्ष ने गतिरोध के लिए बनर्जी पर हमला किया है और भाजपा ने उनपर 'हिटलर' की तरह काम करने का आरोप लगाया.
जब मुख्यमंत्री दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने 'हमें इंसाफ चाहिए' के नारे लगाए.
उन्होंने कहा, 'मैं आंदोलन की निंदा करती हूं. कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन माकपा और भाजपा का षड्यंत्र है.'
बनर्जी के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है.
उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया। उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे.
बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी.
बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी.
त्रिपाठी से भेंट के बाद राजभवन के बाहर एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, 'मांग पूरी होने तक हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे। हमारी मांगे साधारण हैं... उचित सुरक्षा मिले और सभी अस्पताल में सशस्त्र पुलिस बल तैनात हों तथा एनआरएस अस्पताल में शनिवार को हुए हमले में शामिल अपराधियों को गैर जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए.'
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा, हमें उनसे उसकी उम्मीद नहीं थी.
बहरहाल, बनर्जी ने आरोप लगाया कि बाहर के लोग चिकित्सीय कॉलेजों और अस्पतालों में व्यवधान डालने के लिए घुस आए हैं. उन्होंने भाजपा पर हड़ताल को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, 'माकपा की मदद से भाजपा हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रही है. मैं उनके बीच प्रेम को देखकर स्तब्ध हूं.'
बनर्जी ने कहा, 'भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने और फेसबुक पर दुष्प्रचार चलाने के लिए उकसा रहे हैं.'
एक फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने हड़ताल की वजह से मरीजों की खराब हालात को रेखांकित किया तथा दावा किया कि सरकार डॉक्टरों के साथ सहयोग कर रही है.
उन्होंने एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दो जूनियर डॉक्टरों को आई चोटों को दुर्भाग्यपूर्ण कहा.
बनर्जी ने कहा कि इस बाबत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इलाज में लापरवाही की शिकायत पर भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि कैंसर व गुर्दे के मरीज तथा दुर्घटना पीड़ित और दूर दराज से आए बच्चे इलाज नहीं मिलने की वजह से सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं.
विपक्षी पार्टियों ने हड़ताली डॉक्टरों को कथित 'धमकी' देने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की और स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उनका इस्तीफा मांगा.
भाजपा नेता मुकुल रॉय ने आरोप लगाया कि बनर्जी अराजक बन गई हैं और 'हिटलर' की तरह काम कर रही है.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि बनर्जी की गतिरोध को खत्म करने में दिलचस्पी नहीं लगती है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने भी मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
डॉक्टरों की हड़ताल की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को मरीजों और उनके तीमारदारों से संयम बरतने का अनुरोध किया और घटना की निंदा की. उन्होंने कहा कि कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाएंगे.
राष्ट्रीय राजधानी में कई निजी एवं सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने शुक्रवार को काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है जिससे सेवाओं के प्रभावित होने का अंदेशा है.
राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने बृहस्पतिवार को सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपने सिर पर पट्टियां बांधकर काम किया.
इस बीच बनर्जी ने एसएसकेएम अस्पताल के हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों पर उनके दौरे के समय अपशब्द बोलने का आरोप लगायाा.
उन्होंने बृहस्पतिवार रात को एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, 'मैं आपातकालीन विभाग में गयी थी जहां वे मुझसे बात कर सकते थे, लेकिन जब मैं वहां थी तो उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, वह मुझे अपशब्द बोलने जैसा था.'
Conclusion: