બીજા કાર્યકાળના 100 દિવસ બાદ અનેક રીતે મોદી સરકાર પર સવાલો થઈ રહ્યાં છે. સરકાર દ્વારા અનેક સુધારાત્મક પગલાં લેવામાં આવ્યાં છે. અનેક ક્ષેત્રમાં સહાય પણ આપાઈ છે. ભાજપનો દાવો છે કે, આઝાદીના 75 વર્ષ પુરા થયાના પહેલા 2022 સુધી ભારતને એક મજબુત રાષ્ટ્ર બનાવવા અમારી સરકાર કામ કરી રહી છે.
મોદી 2.Oના 100 દિવસઃ ભાજપના રાષ્ટ્રીય પ્રવક્તા ગોપાલ અગ્રવાલ સાથે ETV ભારતની ખાસ વાતચીત
નવી દિલ્હીઃ મોદી સરકારના બીજા કાર્યકાળના 100 દિવસ પુરા થયાં છે. સરકાર અર્થતંત્ર મુદ્દે વિપક્ષના ઘેરામાં છે. દેશનું જીડીપીનું સ્તર છેલ્લાં 7 વર્ષમાં સૌથી નીચે આવી ગયું છે. ભાજપના રાષ્ટ્રીય પ્રવક્તા અને આર્થિક નિષ્ણાત ગોપાલ અગ્રવાલ સાથે ETV ભારતની ખાસ વાતચીત કરી હતી.
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બીજા કાર્યકાળના 100 દિવસ બાદ અનેક રીતે મોદી સરકાર પર સવાલો થઈ રહ્યાં છે. સરકાર દ્વારા અનેક સુધારાત્મક પગલાં લેવામાં આવ્યાં છે. અનેક ક્ષેત્રમાં સહાય પણ આપાઈ છે. ભાજપનો દાવો છે કે, આઝાદીના 75 વર્ષ પુરા થયાના પહેલા 2022 સુધી ભારતને એક મજબુત રાષ્ટ્ર બનાવવા અમારી સરકાર કામ કરી રહી છે.
Intro:मोदी सरकार 2.0 के 100 दिन पूरे होने वाले हैं । दूसरे कार्यकाल में इस सरकार ने बेशक मजबूत फैसलों से लोकप्रियता हासिल की हो लेकिन अर्थव्यवस्था की बात करें तो बैकफुट पर रही है ।
हालांकि बाजार में निवेश की स्थिति और जीडीपी में गिरावट को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कुछ घोषणाएं जरूर की और कैबिनेट कमिटी की बैठक में भी बड़े निर्णय लिये गए हैं । सरकारी बैंकों का विलय भी इनमें से एक बड़ा फैसला माना जा रहा है ।
ईटीवी भारत ने बातचीत की अर्थशास्त्री और SEBI के सलाहकार विजय सरदाना से जिन्होंने साफ तौर पर कहा की मोदी 2.0 में पहले सौ दिनों के कार्यकाल को पॉलिटिकल मैसेजिंग यानी कि राजनीतिक संदेश प्रेषित करने के लिये ज्यादा याद किया जाएगा ।
Body:अगर देश की अर्थव्यवस्था के मद्देनजर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों को देखा जाए तो कुछ विशेष योजना या क्रियान्वन सामने नहीं आया है । जबकि देश की जीडीपी में बड़ी गिरावट आई है और रोजगार का संकट भी पैदा हुआ है ।
विशेषज्ञ विजय सरदाना मानते हैं कि वित्त मंत्री द्वारा हाल में कई गई घोषणाएं बजट में हुई गलतियों के लिये एक तरह का डैमेज कंट्रोल है ।
बाज़ार में मंदी के कई कारण हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था और व्यापार भी इसके लिये जिम्मेदार है लेकिन विजय सरदाना का कहना है कि 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला देश खुद में एक बहुत बड़ा बाज़ार है और यदि सरकार कुछ बड़े कदम उठाये तो स्थिति बेहतर हो सकती है ।
उनका कहना है कि सरकार को सबसे पहले घरेलू बाजार की स्थिति को मजबूत करना चाहिये ताकि निवेशकों में विश्वास पैदा हो । इसके लिये बहुत जरूरी है कि पुराने नियम कानून बदले जाएँ । आज समय प्रतिस्पर्धा का है और सरकार को एक्सपोर्ट के साथ साथ FDI को बढ़ाने को बढ़ाने की तरफ ध्यान देने की जरूरत है ।
Conclusion:
हालांकि बाजार में निवेश की स्थिति और जीडीपी में गिरावट को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कुछ घोषणाएं जरूर की और कैबिनेट कमिटी की बैठक में भी बड़े निर्णय लिये गए हैं । सरकारी बैंकों का विलय भी इनमें से एक बड़ा फैसला माना जा रहा है ।
ईटीवी भारत ने बातचीत की अर्थशास्त्री और SEBI के सलाहकार विजय सरदाना से जिन्होंने साफ तौर पर कहा की मोदी 2.0 में पहले सौ दिनों के कार्यकाल को पॉलिटिकल मैसेजिंग यानी कि राजनीतिक संदेश प्रेषित करने के लिये ज्यादा याद किया जाएगा ।
Body:अगर देश की अर्थव्यवस्था के मद्देनजर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों को देखा जाए तो कुछ विशेष योजना या क्रियान्वन सामने नहीं आया है । जबकि देश की जीडीपी में बड़ी गिरावट आई है और रोजगार का संकट भी पैदा हुआ है ।
विशेषज्ञ विजय सरदाना मानते हैं कि वित्त मंत्री द्वारा हाल में कई गई घोषणाएं बजट में हुई गलतियों के लिये एक तरह का डैमेज कंट्रोल है ।
बाज़ार में मंदी के कई कारण हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था और व्यापार भी इसके लिये जिम्मेदार है लेकिन विजय सरदाना का कहना है कि 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला देश खुद में एक बहुत बड़ा बाज़ार है और यदि सरकार कुछ बड़े कदम उठाये तो स्थिति बेहतर हो सकती है ।
उनका कहना है कि सरकार को सबसे पहले घरेलू बाजार की स्थिति को मजबूत करना चाहिये ताकि निवेशकों में विश्वास पैदा हो । इसके लिये बहुत जरूरी है कि पुराने नियम कानून बदले जाएँ । आज समय प्रतिस्पर्धा का है और सरकार को एक्सपोर्ट के साथ साथ FDI को बढ़ाने को बढ़ाने की तरफ ध्यान देने की जरूरत है ।
Conclusion: