हैदराबादः संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2016 में संकल्प के माध्यम से 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस घोषित किया था, ताकि 'हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 30 जून 1908 को साइबेरिया, रूसी संघ पर तुंगुस्का प्रभाव की वर्षगांठ मनाई जा सके और क्षुद्रग्रह प्रभाव के खतरे के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके.'
अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस का उद्देश्य क्षुद्रग्रह प्रभाव के खतरे के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना और किसी विश्वसनीय निकट-पृथ्वी वस्तु खतरे के मामले में वैश्विक स्तर पर की जाने वाली संकट संचार कार्रवाइयों के बारे में लोगों को सूचित करना है. महासभा का निर्णय एसोसिएशन ऑफ स्पेस एक्सप्लोरर्स के एक प्रस्ताव के आधार पर लिया गया था, जिसे बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग समिति (COPUOS) द्वारा समर्थन दिया गया था.
धरती के निकटवर्ती पिंड (NEO) हमारे ग्रह के लिए संभावित रूप से विनाशकारी खतरे का प्रतिनिधित्व करते हैं. NEO एक क्षुद्रग्रह या धूमकेतु है, जो पृथ्वी की कक्षा के करीब से गुजरता है. NASA के NEO अध्ययन केंद्र के अनुसार 16 000 से अधिक पृथ्वी के निकटवर्ती क्षुद्रग्रहों की खोज की गई है. 30 जून 1908 को रूसी संघ के साइबेरिया में तुंगुस्का क्षुद्रग्रह घटना, दर्ज इतिहास में पृथ्वी का सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह प्रभाव था.
2013 में 'सुपरबोलाइड' पहुंचा था वायुमंडल 15 फरवरी 2013 को एक बड़ा आग का गोला (तकनीकी रूप से, जिसे 'सुपरबोलाइड' कहा जाता है) 18.6 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करते हुए, वायुमंडल में प्रवेश किया था. इसके बाद चेल्याबिंस्क के ऊपर आसमान में बिखर गया. NASA के अनुसार क्षुद्रग्रह का अनुमानित प्रभावी व्यास 18 मीटर है.
वहीं इसका द्रव्यमान 11,000 टन होने का अनुमान लगाया गया था. चेल्याबिंस्क फायरबॉल की अनुमानित कुल प्रभाव ऊर्जा, किलोटन टीएनटी विस्फोटकों में (आमतौर पर फायरबॉल के लिए उद्धृत ऊर्जा पैरामीटर), 440 किलोटन थी. चेल्याबिंस्क घटना एक असाधारण रूप से बड़ी आग का गोला थी, जो रूसी साइबेरिया में 1908 के तुंगुस्का विस्फोट के बाद से सबसे ऊर्जावान प्रभाव घटना थी.