नई दिल्ली:भारत में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख महानगरों में ट्रैफिक की भीड़भाड़ एक आम बात है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए. यहां तेजी से बढ़ता शहरीकरण, भीड़भाड़ वाली सड़कें, खराब वायु गुणवत्ता, हाई ट्रैफिक भीड़भाड़ और लंबा आवागमन समय कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो अब एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं.
दिल्ली परिवहन विभाग के स्पेशल कमिश्नर शहजाद आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा, "सर्दियों में प्रदूषण के स्तर बढ़ने पर वाहनों से होने पर प्रदूषण पर नियंत्रण करना कारगर उपाय होता है. इसके लिए पार्किंग शुल्क में कुछ समय के लिए इजाफा, भीड़भाड़ वाले इलाके में निर्धारित समय में ही वाहनों की एंट्री, उसके बाद कोई वाहन लेकर जाता है तो अतिरिक शुल्क (कन्जेशन शुल्क), लोड-अनलोड के लिए समय तय करना, वाहनों की आवाजाही के लिए ऑड-इवन को कुछ समय के लिए लागू करना बेहतर विकल्प है. ऐसा हुआ तो विभाग की सिफारिश पर इन विकल्पों को लागू किया जा सकता है."
सीधे-सीधे कहें तो दिल्ली सरकार सड़कों पर भीड़भाड़ की समस्या से निपटने और दिन के सबसे व्यस्त समय में ट्रैफिक पर अंकुश लगाने के लिए कंजेशन टैक्स नीति पर विचार कर रही है.
कंजेशन प्राइसिंग निर्धारण रणनीति के लिए क्या है रोडमैप
जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार पीक डिमांड वाले इलाकों में कंजेशन टैक्स लगाने की योजना बनाने के अंतिम चरण में है. पायलट चरण में, सरकार ने दिल्ली की सीमा/बाहरी इलाकों में 13 बिंदुओं की पहचान की है, जहां कंजेशन टैक्स लगाया जाएगा. कंजेशन मूल्य निर्धारण का मतलब एक ऐसी रणनीति से है, जिसमें राज्य सरकार, अधिकतम यातायात घंटों के दौरान चिन्हित सड़क या मार्ग का उपयोग करने के लिए वाहन चालकों से शुल्क लेती है.