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हिमाचल के संसदीय इतिहास में अनुराधा राणा के नाम अनूठा रिकार्ड दर्ज, जानिए क्या है ये पूरी खबर - ZERO HOUR IN HIMACHAL VIDHAN SABHA

हिमाचल विधानसभा में शून्यकाल की शुरुआत की गई है. सदस्यों को प्रश्न काल के बाद आधे घंटे का समय दिया जाएगा.

हिमाचल विधानसभा
हिमाचल विधानसभा (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 8 hours ago

Updated : 8 hours ago

शिमला: हिमाचल के संसदीय इतिहास में नया अध्याय जुड़ा है. पहली बार हिमाचल के विधानसभा में शून्यकाल की शुरुआत की गई है. इस शीतकालीन सत्र में शून्यकाल के साथ साथ हिमाचल ने ई-विधानसभा को छोड़ NeVA को अपनाया था. अब शीतकालीन सत्र में शून्यकाल को स्वीकृति मिल गई है. जनहित के मुद्दे उठाने के लिए सदस्यों को प्रश्न काल के बाद सदस्यों को आधे घंटे का समय दिया जाएगा. इस साल के मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने शून्य काल शुरू करने की बात कही थी.

हिमाचल विधानसभा में शुरू हुए शून्यकाल लाहौल स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने पहला सवाल पूछा. अनुराधा राणा ने फोरलेन बनने के बाद धोलू नाला में बने टोल टैक्स को लेकर सवाल किया. अनुराधा राणा हिमाचल विधानसभा में शून्यकाल में पहला सवाल पूछने वाली विधायक बनीं.

लाहौल स्पीति से हैं अनुराधा राणा

अनुराधा राणा लाहौल स्पीति से उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनीं है. 32 साल की अनुराधा राणा ने उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रवि ठाकुर और निर्दलीय प्रत्याशी रामलाल मारकंडे को हराया था. उपचुनाव में अनुराधा राणा को 9 हजार 414 वोट मिले थे. इस समय हिमाचल विधानसभा में अनुराधा राणा सबसे युवा विधायक हैं. इससे पहले अनुराधा राणा हिमाचल प्रदेश जिला परिषद की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.

संसद में 1962 में हुई थी शुरुआत

शून्यकाल भारतीय संसदीय इतिहास का नवाचार है. इसकी शुरुआत भारत में 1962 में हुई थी. शून्यकाल भारतीय संसद की कार्यवाही में प्रश्नकाल के तुरंत बाद 12 बजे शुरू होता है, इसलिए इसे जीरो आवर्स और शून्य काल भी कहा जाता है. ये संसद के दोनों सदनों में होता है. शून्यकाल में संसद सदस्य बिना पूर्व सूचना दिए महत्वपूर्ण मामले उठा सकते हैं. इसकी अवधि 30 मिनट की होती है. शून्यकाल की अवधारणा संविधान या संसद के नियमों में कहीं भी नहीं है.

हिमाचल विधानसभा में भी हुई शुरुआत

अब हिमाचल विधानसभा में इस शीतकालीन सत्र से शून्यकाल की शुरुआत की गई है. इससे पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल के समय भी हिमाचल विधानसभा में शून्यकाल शुरू करने की पहल की गई थी, लेकिन उस समय इसे किन्हीं कारणों से शुरू नहीं किया जा सका था. अब हिमाचल विधानसभा में सत्र के दौरान प्रश्न काल के बाद 30 मिनट का शून्य काल होगा. इसमें जनहित से संबंधित मामले उठाने के लिए सदस्यों को बैठक के शुरू होने से डेढ़ घंटा पहले विधानसभा अध्यक्ष या विधानसभा सचिव को लिखित या ऑनलाइन माध्यम से सूचित करना होगा.

रोजाना 10 विषयों को रखने की अनुमति

हिमाचल विधानसभा में शून्यकाल के दौरान प्राथमिकता के तहत ही रोजाना 10 विषयों को सदन में रखने की अनुमति मिलेगी. इसे भी विधानसभा अध्यक्ष ही तय करेंगे. शून्य काल में प्रदेश सरकार के क्षेत्राधिकार में आने वाले विषयों को ही उठाने की अनुमति मिलेगी. इस दौरान ऐसे विषयों को उठाने की अनुमति नहीं होगी जिन पर सत्र में पहले चर्चा हो चुकी है. इसके साथ ही पिछले सत्र के बाद वर्तमान सत्र के बीच के ही मुद्दों को उठाने की अनुमति होगी. एक नोटिस में एक से अधिक विभाग से संबंधित विषयों के बारे में सवाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही नोटिस 50 से अधिक शब्दों का नहीं होगा. इसके अलावा अगर किसी सदस्य ने सवाल पूछा है और मंत्री के पास उसका जवाब है तो वो सदन में इसका जवाब दे सकता है, अगर इसका जवाब उपलब्ध नहीं है तो मंत्री की ओर से इसे पटल पर बाद में रख दिया जाएगा.

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