गाजीपुरःअपने पुरखों के गांव को ढूंढते-ढूंढते मॉरीशस से एक युवक गाजीपुर पहुंचा. गांव में पहुंचकर मंदिर में पूजा-अर्चना की और मिट्टी को चूमने के साथ अपने साथ ले गया. मॉरीशस से आए कृष्णा ने पूर्वजों के गांव आने से पहले महाकुंभ में स्नान किया. यहां से गंगाजल लेकर पूर्वजों के पचोखर गांव पहुंचा और मंदिर में पूजा पाठ किया. पुरखों की जमीन पर पांच पीढ़ी बाद लौटे युवक को देखने और मिलने वालों की भीड़ जुट गई.
1859 में पचोखर गांव से परदादा गए थे मॉरीशसःमॉरीशस में शिक्षक के रूप में काम करने वाले कृष्णा ने बताया कि 9 साल की उम्र में उनके परदादा कुबेर 1859 में गाजीपुर जिले के जमानिया क्षेत्र स्थित पचोखर गांव से मॉरीशस गए थे. तभी से उनका परिवार वहां बस गया. अपने पूर्वजों की जानकारी हासिल करने के लिए मॉरीशस स्थित महात्मा गांधी संस्थान गया. जहां पर भारत से गए हुए गिरमिटिया मजदूरों के रिकॉर्ड रखे गए हैं. वहां से जानकारी मिली कि पूर्वज भारत के रहने वाले थे. तभी से मेरे मन में अपने पूर्वजों की जमीन पर जाकर उनको नमन करने की इच्छा थी.
166 साल बाद मारीशस से गांव पहुंचे कृष्णा. (video Credit; ETV Bharat)
गंगा जल लेकर पूर्वजों के गांव पहुंचेःकृष्णा ने बताया कि उड़ीसा में बीते दिनों प्रवासी दिवस आयोजित किया गया था, जिसमें मॉरीशस से करीब 300 लोग आए थे. प्रवासी सम्मेलन में शामिल होने के बाद उड़ीसा से महाकुंभ पहुंचे और वहां अमृत स्नान किया. त्रिवेणी से और गंगाजल लेकर पूर्वजों की धरती गाजीपुर पहुंचे हैं. गाजीपुर शहर स्थित महादेवा मंदिर में पूजा अर्चना किया और वहां से पूर्वजों के गांव पचोखर पहुंचे.
गांव के लोगों से मिलते मारीशस से आए कृष्णा. (Photo Credit; ETV Bharat)
गोबर से लगाया तिलक और मिट्टी किया एकत्रितःपूर्वजों के गांव में पहुंचने के बाद कृष्णा ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की. गौशाला जाकर गोबर से तिलक लगाया और शिवालय समेत अन्य मंदिरों में जाकर गंगाजल चढ़ाने के साथ ही पूजा अर्चना किया. इसके साथ ही कृष्णा ने गांव के पोखरे का पानी लिया, जिसे मॉरीशस के शिव मंदिर में चढ़ाएंगे. इतना ही नहीं गांव की धरती को नमन करते हुए कृष्णा ने कुछ मिट्टी अपने साथ मॉरीशस ले जाने के लिए एकत्र किये. समाजसेवी उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह भारत की मिट्टी से जुड़ाव ही है कि पांच पीढ़ी बाद भी कृष्णा अपने पूर्वजों की धरती खोजते हुए यहां पहुंचे हैं.
गांव के लोगों से मिलते मारीशस से आए कृष्णा. (Photo Credit; ETV Bharat)
कौन होते थे गिरमिटिया मजदूर :गिरमिटिया शब्द एग्रीमेंट शब्द से निकला है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को अंग्रेजी शासन काल में एक एग्रीमेंट के आधार पर भारत से दूसरे देशों में ले जाकर मजदूरी कराई जाती थी. भोजपुरी में एग्रीमेंट शब्द को न बोल पाने की वजह से ग्रीमेंट कहा जाता था. इसलिए इस एग्रीमेंट के तहत भारत से जाने वाले मजदूरों को गिरिमिटिया कहा जाने लगा. बता दें कि गिरमिटियों के साथ एग्रीमेंट होता था कि वे पांच साल बाद छूट सकते थे. लेकिन उनके पास वापस भारत लौटने को पैसे नहीं होते थे. ऐसे में उनके पास कोई चारा नहीं होता था कि या तो अपने ही मालिक के पास काम करें या किसी अन्य मालिक के गिरमिटिये हो जायें. जहां पर प्रताड़ित किए जाते थे. धीरे-धीरे गिरमिटिया मजदूर वहीं बस गए.
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