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जल्द ही किसी भी जिले में बनवा सकेंगे अपना DL, परिवहन विभाग देने जा रहा है सहूलियत

परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए गृह जनपद नहीं जाना पड़ेगा, किसी भी आरटीओ कार्यालय में जाकर सकेंगे आवेदन

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 6 hours ago

किसी भी जिले में बनवा सकेंगे अपना DL
किसी भी जिले में बनवा सकेंगे अपना DL (Etv Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोगों को अब बहुत जल्द परिवहन विभाग एक बड़ी सहूलियत देने जा रहा है. किसी भी आवेदक का लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस भले ही अपने जिले से क्यूं न बना हो, लेकिन परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस वह किसी भी जिले में बनवा सकेगा. अर्थात अगर कोई व्यक्ति जौनपुर का है और लखनऊ में रह रहा है. लर्नर लाइसेंस जौनपुर से बना है और परमानेंट लाइसेंस लखनऊ से बनवाना चाहता है तो अब जल्द ही यह सुविधा यूपी की जनता को पूरी मिलेगी. इससे आवेदक के समय के साथ ही पैसे की भी बचत होगी. अभी तक यह व्यवस्था अधिकृत तौर पर लागू नहीं है.

उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों के सामने एक सबसे बड़ी समस्या ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के दौरान तब आती है, जब परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए उन्हें अपना अतिरिक्त समय और पैसा दोनों बेवजह ही खर्च करना पड़ता है. लर्नर लाइसेंस की फेसलेस व्यवस्था होने के बाद अब कोई भी कहीं से बैठकर अपने आधार कार्ड पर दर्ज एड्रेस से लर्नर लाइसेंस जारी कर लेता है. लेकिन परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस अगर किसी भी जिले से बनवाना चाहे तो ऐसी सुविधा उपलब्ध ही नहीं है. जबकि एनआईसी के सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है और फीस भी कट रही है. लेकिन आरटीओ कार्यालय के अधिकारी यह कहकर परमानेंट लाइसेंस के लिए मना कर देते हैं कि आधार कार्ड से लर्नर लाइसेंस जिस जिले से बना है.

परिवहन विभाग देने जा रहा है यूपी के लोगों को बड़ी सहूलियत (Video Credit; ETV Bharat)

वहीं से परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो सकता है. इससे अपने घरों से दूर किसी अन्य जिले में जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उन्हें परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ही अपने जिले में समय और पैसा खर्च कर जाना पड़ता है. परिवहन विभाग ने आवेदकों की इस समस्या की ओर अब ध्यान दिया है. जिससे परमानेंट डीएल के लिए अपने जिले के आरटीओ कार्यालय में जाने के बजाय प्रदेश के किसी भी जिले के आरटीओ कार्यालय में अपना डीएल बनवा सकेंगे.

लर्नर लाइसेंस में सिर्फ आधार का ही विकल्पःआरटीओ कार्यालय में परमानेंट डीएल के लिए ऑनलाइन आवेदन कर पहुंच रहे आवेदक उस समय निराश हो जाते हैं. जब उन्हें पता चलता है कि संबंधित जिले का लोकल ऐड्रेस होने के बावजूद उनका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन सकता. कार्यालय के अधिकारी अधिकृत तौर पर कोई आदेश न होने का तर्क देकर इसे एक्सेप्ट नहीं करते हैं. पहले आधार कार्ड के अलावा अन्य विकल्प भी आरटीओ कार्यालय में एड्रेस प्रूफ के लिए एक्सेप्ट हो जाते थे. लेकिन जब से लर्नर लाइसेंस में सिर्फ आधार को ही विकल्प माना गया तब से अन्य विकल्प खत्म हो गए, जबकि पहले पांच विकल्प थे. इसके बाद नई व्यवस्था से आवेदकों के सामने दिक्कतें
खड़ी हो गईं.

परिवहन विभाग ने एक जून 2022 से आधार प्रमाणीकरण के जरिए घर बैठे ऑनलाइन लर्निंग डीएल बनवाने की व्यवस्था के बाद स्थाई डीएल के लिए नई शर्त ने आवेदकों को परेशानी में डाल दिया था. लर्निंग कहीं से भी बैठकर ऑनलाइन बन सकता है, लेकिन परमानेंट डीएल के लिए आवेदक को अपने आधार में दर्ज जिले में ही जाना होता है. एक जून को लर्निंग लाइसेंस लेने वाले लोगों को एक माह बाद अपने आधार के पते वाले जिले में ही स्थायी के लिए आवेदन करना होता है. उदाहरण के तौर पर हरदोई, गोंडा, बाराबंकी या गोरखपुर से बने आधार के जरिए लखनऊ में डीएल बनवाना चाहे और आप सरकारी नौकरी में ही क्यों न हों, लेकिन वर्तमान में ये संभव ही नहीं.

हर रोज दर्जनों आवेदक पहुंच रहे आरटीओ
स्थाई डीएल के लिए पते के तौर पर दूसरे विकल्प खत्म होने से आवेदकों के सामने समस्या खड़ी हो गई. ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय के अफसरों ने बताया कि आधार के अलावा पते के प्रमाण के तौर पर संस्थान का आईडी कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, रजिस्ट्री प्रमाण पत्र और बीमा रसीद मान्य होती थी. जब से आधार प्रमाणीकरण के जरिए लर्निंग डीएल आवेदन व्यवस्था शुरू हुई है, आवेदकों के सामने पते के प्रमाण के तौर पर दूसरा विकल्प पूछने हर रोज दर्जनों आवेदक पहुंच रहे हैं.


यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. इस सुविधा से आवेदक काफी लाभान्वित होंगे. सभी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे ऑनलाइन की जा रही हैं. पहले लर्नर लाइसेंस आधार से लिंक हुआ और लोगों को ऑनलाइन लाइसेंस बनवाने की सुविधा मिली. वैसे ही उम्मीद है आठ से 10 दिन के अंदर एनआईसी काम पूरा कर लेगी और उसके बाद कोई भी किसी भी जिले में अपना परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा सकेगा. -चंद्र भूषण सिंह, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर -उत्तर प्रदेश

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